कविता 16 मई के बादः नया शासनादेश
Oct 15, 2014 | Panini Anandभारत में 16 मई के बाद की परिस्थितियों में जो कुछ घटता-चलता दिख रहा है, उससे लोग भी प्रभावित हैं और इसीलिए कविता भी. कविता अपने समय के सच को कहती है. ऐसी ही एक कविता- नया शासनादेश.
नया शासनादेश
होकर नंगे
धंस जाओ टांगों के बीच
कौन कहेगा नीच
संस्कृति की मुट्ठी भींच
तोड़ दो मुख
किसको है दुख
फिर मरा बाल्मीकि
स्वच्छता अभियान और पान की पीक
जुर्माना दुइ सौ रुपिया
नहीं लगेगा तुमपर
मरेगा कसाई
गोशाला के संचालक कर रहे कमाई
हाण्डा की कार, बिना ईएमआई
अमरीका की दवा और वाई-फाई
सोशल नेटवर्किंग पर
मां की दो गाली
“अरुंधति रॉय बनती है साली”
लगाकर लाउडस्पीकर, हनी सिंह का गाना
रात में हुड़दंग, दिन में
भंडारे का खाना
नहीं मजा आए तो
और करो दंगे
नमामि गंगे
बनता है वीर, खुद को
कहता फकीर है
मुंह में बवासीर है
आंखों में नफ़रत है
जिह्वा पे तीर है
न रांझा है, न हीर है
उतारेंगे सबका लव जेहाद का भूत
योगी के दूत
मां के सपूत
लगा रहे हैं गांधी प्रतिमा को भोग
गोडसे के लोग
कौन जाने क्या है रोग
समाधान योग,
कह रहा है चूरन वाला
काटे है बवाला
स्कूल की जमीन पर
बनेगा शिवाला
दाम हुआ दून
पीता है खून
कहता है गुर्राकर
अहम राष्ट्र रक्षामि संघे
नमामि गंगे
बोलेगा कौन
कांप रहा मौन
अपने ही आंगन में रुकी हुई पौन
चाहे हो जौन
सबकी सांस सुस्त है
सेनापति दुरुस्त है
रखेगा साधकर
द्रोणों को बांधकर
जीतेगा अश्वमेध
भेदेगा कौन, चक्रव्युह
लगा है कर्फ़्यु
शूट एट साइट
लेफ्ट नहीं, राइट
लाइव हैं भाषण
काट रहे बाइट
गूंगों की पार्टी
एक ही महारथी
अपना ही रथ है और
अपना ही सारथी
बुद्धि में है पूंजीवाद
झंडे पर भारती
माता का नाम है
शुद्धता का काम है
नेकर की है सुबह
चोटी की शाम है
मुंह में राम राम है.
जिनका नहीं राम है
उनका क्या काम है
हम हैं अमरीका
वो सारे सद्दाम हैं
ख़ून रहा खौल है
काहे की तौल है
सीधा, न पिसना
न बाट, न पसंगे
नमामि गंगे
11 अक्टूबर, 2014
नई दिल्ली