PRATIRODH BUREAU

नया नागरिकता कानून संविधान ही नहीं, हिन्दू धर्म की मूल भावना के भी विरुद्ध है

स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि पूरी दुनिया में भारत एक ऐसा देश है जहां हर कोने से आये हर धर्म के लोगों को शरण मिलती है। इसलिए यह कहना सही नहीं है कि नागरिकता कानून महज आर्थिक चुनौतियों से लोगों का ध्यान हटाने के लिए है। इसका एक दीर्घकालीन लक्ष्य है, इसको नजरंदाज करना ठीक नहीं होगा।