मैं प्रेम में भरोसा करती हूं. इस पागल दुनिया में इससे अधिक और क्या मायने रखता है?
टूटी शादियों वाली इस अस्तव्यस्त धरती से मेरा सलाम. यह सराय अब टूटकर बिखर रहा…
टूटी शादियों वाली इस अस्तव्यस्त धरती से मेरा सलाम. यह सराय अब टूटकर बिखर रहा…
With a voice known to millions of Indian movie goers, Zubeen Garg crooned one of…
A young woman lounges in a meadow, daydreaming about her love. Her friend sings and…
Nobel laureate Toni Morrison, a pioneer and reigning giant of modern literature, whose imaginative power…
India’s southern state of Tamil Nadu has long been characterised by its mountains, its proximity…
British Indian novelist Salman Rushdie’s yet-to-be-published novel “Quichotte” has made it to the longlist of…
Volkswagen is halting production of the last version of its Beetle model this week at…
In this, his first book, K S Komireddi takes on the challenge of exposing the…
A woman handed over glasses of milk to two children, a boy and a girl….
The town of Phillaur in Ludhiana in Indian Punjab is an unremarkable town. In 2017,…
He succumbed to multiple-organ failure at his residence in Bengaluru. Girish Karnad (81), well-known…
लोगों के संघर्षों को महज़ अपनी कहानियों और कविताओं में जगह देने से बात नहीं बनने वाली, न ही आपका पुरस्कार लौटाना जनता की अभिव्यक्ति की आज़ादी को बहाल कर पाएगा. अगर आप ऐसा वाकई चाहते हैं, तो आपको इसे जीवन-मरण का सवाल बनाना पड़ेगा. आपको नवजागरण का स्वर बनना पड़ेगा.
मरने पर मजबूर करना/ किसी की उम्र नहीं बढ़ाता/ न ही खेतों में सहवास से,/ अच्छी होती है फसल/ न गंगा नहाने से, / धुलते हैं पाप/ न जीतने से,/ सही साबित होता है युद्ध
मुरुगन ने किसी प्रथा पर कोई मूल्य निर्णय नहीं दिया है, अच्छा या बुरा नहीं कहा है, उन्होंने सिर्फ एक कोमल कहानी कही है जो एक समाज में जन्मी है. उस समाज की कुछ प्रथाएं और मान्यताएं हैं जो उस समाज में जी रहे लोगों के जीवन से लिपटी हैं,
हम एक ऐसे समय में खड़े हैं जब सहजता का नाम तक असहिष्णु होता जा रहा है. जब प्रगति के घोड़े सबसे तेज़ भागते दिखाए जा रहे हैं, हम आक्रामक और असहिष्णुताओं के प्राचीर बन गए हैं. एक कविता…
एक प्रधान सेवक के द्वारा अपने मालिक के अस्पताल के उदघाटन पर दिए गए गौरवमयी शल्यचिकित्सकीय अतीत के उद्धरणों को समर्पित कविता… सर्जरी
साथ पढ़े कितने ही दोस्त अमरीका जाकर रहने लगे. कुछ बस गए. कुछ बसने की कोशिश में हैं. कोई बुराई नहीं. पर आजकल भारतीयता की किताब से सबक याद करा रहे हैं. देश के भगोड़े जब कथित राष्ट्रभक्ति की लुटिया से शौंचते नज़र आते हैं तो हंसी आती है. उन्हें समर्पित एक कविता…
भारत में 16 मई के बाद की परिस्थितियों में जो कुछ घटता-चलता दिख रहा है, उससे लोग भी प्रभावित हैं और इसीलिए कविता भी. कविता अपने समय के सच को कहती है. ऐसी ही एक कविता- नया शासनादेश.
इस फ़िल्म में कश्मीर केवल वैसे ही है जैसे खादी चोरों की बैठक में गांधी का चित्र. इस्तेमाल करो और किनारे लगाओ. जो लोग इस फ़िल्म के आधार पर निर्देशक या उनके उस्ताद के बारे में कोई बड़ी राय बना रहे हैं, मेरे खयाल से वे लोग रेत में पानी खोद रहे हैं.
प्रतीकात्मक ही तो लड़ते आ रहे हो तुम केवल प्रतीकात्मक सच्ची लड़ाई का भ्रम पैदा…
पिछले बरस इन्हीं दिनों कश्मीर की यात्रा पर था. श्रीनगर, वहाँ से सीरजागीर यानी अफ़ज़ल…
सुबोध गुप्ता की कलाकृति ‘एवीरीथिंग इज़ इनसाइड’ पर कुछ टिप्पणियां स्टील और पीतल इन दो…
(Remembering folk icon, activist Pete Seeger (1919-2014) in his own words and songs AMY GOODMAN,…
मशहूर पाकिस्तानी शायरा और एक्टिविस्ट फ़हमीदा रियाज़ पिछले माह 8 से 10 नवम्बर तक इलाहाबाद…