Skip to content
Hindi News, हिंदी समाचार, Samachar, Breaking News, Latest Khabar – Pratirodh

Hindi News, हिंदी समाचार, Samachar, Breaking News, Latest Khabar – Pratirodh

Primary Menu Hindi News, हिंदी समाचार, Samachar, Breaking News, Latest Khabar – Pratirodh

Hindi News, हिंदी समाचार, Samachar, Breaking News, Latest Khabar – Pratirodh

  • Home
  • Newswires
  • Politics & Society
  • The New Feudals
  • World View
  • Arts And Aesthetics
  • For The Record
  • About Us
  • World View

गद्दाफी की मौत अमरीका के लिए उदाहरण

Oct 21, 2011 | Panini Anand
गद्दाफी मारा गया. कई लोगों के लिए जश्न का मौका है और कई लोगों के लिए राहत का. पश्चिम बल्लियों उछल रहा है. अमरीका बेवजह भी हंस रहा है. रह रह कर, जैसे ही याद आता है कि एक पागल कुत्ता मारा गया. (अमरीकी राष्ट्रपति रोनल्ड रीगन ने गद्दाफी को इसी विशेषण से नवाज़ा था).
 
सो हुआ कुछ नया नहीं, एक और कुत्ते की मौत पर इंसान होने का दावा करने वाले हंस रहे हैं. इनकी हंसी लादेन की मौत पर, इनकी हंसी सद्दाम की मौत पर ऐसी ही थी. बिल्कुल ऐसी जैसे, मानवता ने पगलाए कुत्तों से राहत पा ली हो.
 
बेशक, गद्दाफी की प्रवृत्तियों, दोषों को दरकिनार नहीं किया जा सकता. न ही इस बात को भूला जा सकता है कि गद्दाफी ने अपने स्वार्थों के नंगे नाच में कोई कसर नहीं छोड़ी. न ही स्वामित्व के जिन राजवंशों को ध्वस्त करके वो स्थापित हुआ था, वैसा बनने का मोह वो खुद त्याग सके.
 
पर लीबिया और अरब के बाकी देशों को तेल के कुंओं का मालिक होने का एहसास दिलाने वाले वो थे. तेल के मूल्य को तय करने का अधिकार सबसे पहले लीबिया के इसी कर्नल ने अपने हाथ लेकर बाकी देशों को राह दिखाई और मुनाफाखोरों को बताया कि तुम्हारी मनमानी हमारी कीमत तय नहीं करेगी.
 
अपने देश के चहुमुखी विकास के लिए भी गद्दाफी की तारीफ की जानी चाहिए. आमदनी का हिस्सा उनको लगातार समृद्ध बनाता गया पर लोगों को भी इसका लाभ मिला और मुनाफा देशभर में बंटा, इस्तेमाल हुआ. एक छोटा पर सजा-संवरा देश बना लीबिया. गद्दाफी ने तेल की कीमत से लेकर कृतिम नदी के निर्माण तक अपने देश और मध्यपूर्व को कुछ ऐतिहासिक उदाहरण दिए.
 
मध्यपूर्व में वर्ष 2010 में ट्यूनीशिया से शुरू हुआ असंतोष और सत्ता के खिलाफ विद्रोह का सिलसिला जब कई देशों को चपेट में ले रहा था और सत्तासुख में डूबे शासकों के खिलाफ लोग उठ खड़े हो रहे थे तो गद्दाफी का नाम असंतुष्ट जनता की सूची में नहीं था. हालांकि बाद में वो इसकी चपेट में आए और खुद को बचाने के क्रम में फंसते गए. किन लोगों की शै पर और किन देशों की मदद पर वो अंततः मारे गए, यह अभी तसल्ली से खुलकर आना बाकी है.
 
क्यों खुश है पश्चिम
 
पश्चिम को गद्दाफी नहीं भाए तो इसलिए कि उन्होंने पश्चिम के आगे जब-तब घुटने नहीं टेके. न उनकी किसी भी मांग को एक ही बार में मानने के लिए राजी दिखे. सही रहे हों या ग़लत, गद्दाफी अपने स्टाइल और तेवर से टस से मस न होने वाले शासक थे. 
 
पश्चिमी देशों को, सुरक्षा परिषद को, अमरीका को, यूरोपीय संघ को ज़रूर गद्दाफी के नाम से ही दिक्कत होने लगी थी. उनका अपराध ना-हुक्मफरमानी था.
 
अब नैटो की मदद से गद्दाफी को मरवाने के बाद अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा है कि कर्नल गद्दाफ़ी की मौत से लीबिया के लोगों के लिए लंबा और दर्दनाक अध्याय समाप्त हो गया है. साथ ही चेतावनी भी दे डाली कि अरब जगत की निरंकुश सरकारें आख़िरकार गिर जाएँगी.
 
मध्यपूर्व के अधिकतर विद्रोहों का संकट यह है कि न तो उनकी कोई तैयार राजनीतिक ज़मीन है और न ही विचारधारात्मक स्पष्टता. मिस्र ताज़ा उदाहरण है. वो चीज़ों को हटाना चाहते हैं. उनके आक्रोश और हताशा को पश्चिम सेंधमारी के लिए इस्तेमाल कर रहा है. नतीजा यह है कि ये विद्रोह चीज़ें खत्म तो कर रहे हैं पर विकल्प नहीं बन पा रहे हैं. विकल्प की मलाई खाने वाले पश्चिम में बैठे हैं. लीबिया का तेल निकालने का वक्त और मौका पश्चिम को मिल गया है.
 
गद्दाफी को इसी विद्रोह और फिर पश्चिम प्रायोजित, समर्थित विद्रोह ने मार दिया. पर क्या मछुआरे को मार देना समंदर की मछलियों की सुखद ज़िंदगी की गारंटी है. खासकर तब, जबकि मछुआरे को मारने का जश्न मनाने वाले ज़हर से भरे पोतों को समुंदर में डुबो रहे हैं. बिना किसी आहट के सबकुछ खत्म करने, निगल जाने की नापाक नीयत लिए… नस्ल की नस्ल खत्म हो रही हैं. लोग पीढ़ियों के लिए बेघर, अपाहिज, खौफज़दा, हलकान, अस्थिर, बिखरे, बेचैन, नाउम्मीद, अधूरे, टूटे और सदियों पीछे ढेल दिए गए हैं. मध्यपूर्व के देशों में, इराक़ इसका साक्षी है, फलस्तीन इसकी कहानी को बार बार कहता है, अफ़ग़ानिस्तान इसके ज़ख्मों के साथ सदियों तक जिएगा शायद.
 
मिस्टर ओबामा, हैप्पी दिवाली… पर कब तक
 
गद्दाफी के मरने पर जश्न कौन मना रहा है. किनकी शै पर गद्दाफी मार दिया गया और किसको इसमें सबसे बड़ी जीत हासिल हुई है. ऐसा ही किया था सद्दाम ने. अपना राज और निरंकुशता स्थापित करता गया था वो भी. पर इस राज और निरंकुशता की सज़ा पहले सद्दाम और फिर अब गद्दाफी को मिलने पर जो अमरीका जश्न मना रहा है, क्या उसे ये घटनाएं उदाहरण जैसी नहीं लगतीं. क्या उसे नहीं लगता कि पिछले कई दशकों से दुनिया के अधिकतर हिस्से पर चल रही उसकी निरंकुशता का भी अंत आना है. क्या उसे नहीं लगता कि गद्दाफी और सद्दाम के द्वारा सताए गए लोगों से सैकड़ों गुना ज्यादा बड़ी तादाद उन लोगों की है जिन्हें पश्चिम की बर्बर चालों ने सताया है.
 
अमरीका ने अपने विकास और संपन्नता के क्रम में दुनिया का जो हाल किया है वो सौ सद्दाम और सौ गद्दाफी भी मिलकर न कर पाते. क्या लोग ऐसे में अमरीका और यूरोप की ऐसी खतरनाक साजिशों को भूल जाएंगे. क्या लोग किसी पागल कुत्ते की मौत की खबर भर से अमरीका को इंसान मान लेंगे. 
 
कितने चेहरे हैं इस अमरीका के. कुत्ते, लोमड़, भेड़िए, सियार, लकड़बग्घे, दीमक, सांप, सुअर, जोंक, कनखजूरे, अजगर, कबर बिज्जू, डायनासोर, भैंसे और ऐसे अनगिनत जीवों से, जिनके व्यवहार और जीवन शैली से मुझे बचपन में बेहद डर और खौफ लगता था, सबके नाम मेरी आंखों के आगे आज बस अमरीका की ही तस्वीर दिखाते हैं.
 
अमरीका खुद विद्रोहों के मुहाने पर खड़ा है. दुनिया के अधिकतर देश उसके आगे नतमस्तक ज़रूर हैं पर दुनिया का बहुमत आबादी अमरीका से नफरत करती है. दुनिया को विकास दिखाने से ज्यादा विकास छीनने वाले के तौर पर लोग अमरीका को जानने लगे हैं. अमरीका की आर्थिक नीतियों ने दुनियाभर का खून चूसने के बाद अब अपने ही घर की चीज़ों को दीमक की तरह खाना शुरू कर दिया है. बढ़ती बेरोज़गारी और अराजकता अमरीका के लिए बड़ी चेतावनी की दस्तक है.
 
ऐसा अमरीका अपनी बारी को कितने दिनों तक रोके रखेगा. गद्दाफी मारा गया है, सद्दाम पहले ही मारा जा चुका है. लादेन भी समुंदर की अतल गहराइयों में दफ्न है. पर अमरीका, कुछ वर्ष… कुछ दशक. हममें से अधिकतर के जीवित रहते, जो इस लेख को पढ़ रहे हैं.
 
गद्दाफी की मौत और अमरीका की खुशी पर मुझे याद आती है कुछ स्थितियां जो नीचे व्यक्त कर रहा हूं. 
 
पुलिस ने आज 
शहर के किनारे की बस्ती को हटा दिया
सोहनलाल परचून स्टोर 
अब मिट्टी में मिल गया है
अब मैदान साफ है
कुछ दिन में बुलडोज़र आएंगे
फिर मशीनें, गारे और ईंट.
एक नया बाज़ार बनेगा यहाँ
पक्का, मज़बूत, बहुमंज़िला
चमकता हुआ.
 
पुलिस अधिकारी की बीवी इसमें सौदे करेगी
कई डिज़ाइनरों के ड्रेस यहां लहराएंगे
शासकों के कुत्तों के पट्टे तक बिकेंगे यहां
सोहनलाल का यहां कोई नामलेवा न होगा.
 
देखते हैं, कौन इस मॉल को उजाड़ेगा
हम देखेंगे
लाज़िम है, हम भी देखेंगे…

Continue Reading

Previous Remembering Che on Martyrdom day
Next Truths, ‘facts’ and facts on the ground

More Stories

  • Featured
  • Politics & Society
  • World View

U.S. Targets Hit: Iran May Have Deliberately Avoided Casualties

1 year ago Pratirodh Bureau
  • Featured
  • Politics & Society
  • World View

U.S., Iran Both Signal To Avoid Further Conflict

1 year ago Pratirodh Bureau
  • Featured
  • Politics & Society
  • World View

Avenging Gen’s Killing, Iran Strikes At U.S. Troops In Iraq

1 year ago Pratirodh Bureau

Recent Posts

  • Shops, Factories, Banks Closed As Protests Intensify In Myanmar
  • Rohingyas In Jammu Fear Deportation After Police Detain Over 150
  • Govt Blasts US Think Tank That Calls India Only ‘Partly Free’
  • Farmers Organise Blockade To Mark 100th Day Of Protest
  • UN Envoy Calls For Action Against Myanmar Junta Over Bloodshed
  • While Delhi Doctor Battles Covid, Her Autistic Sons Pine
  • Kashmir’s Copper Craftsmen Hope For Better Times After Lockdown
  • Farmers Plan Major Road Blockade On 100th Day Of Protests
  • All Wasted Food Packed In Big Trucks Would Circle Earth 7 Times
  • India Downgraded To ‘Partly Free’ In Report By US Think Tank
  • 19 Myanmar Police Personnel Seek Refuge In India, More Expected
  • Taj Mahal Vacated After Hoax Bomb Call
  • Maharashtra Man Dies After Getting 2nd Dose Of Covid Vaccine
  • Myanmar: 38 Killed In Most Violent Day Of Unrest Since Coup
  • Amazon Issues Rare Apology After Complaints Over ‘Tandav’
  • Dissent Can’t Be Termed Seditious: Supreme Court
  • U.S., EU Impose Sanctions On Russia For Navalny Poisoning, Jailing
  • Emergency Was ‘Absolutely’ A Mistake, Says Rahul Gandhi
  • ‘Can Sexual Intimacy Between A Live-In Couple Be Termed Rape?’
  • Narayanasamy Threatens Defamation Case Against Amit Shah

Search

Main Links

  • Home
  • Newswires
  • Politics & Society
  • The New Feudals
  • World View
  • Arts And Aesthetics
  • For The Record
  • About Us

Related Stroy

  • Featured

Shops, Factories, Banks Closed As Protests Intensify In Myanmar

3 hours ago Pratirodh Bureau
  • Featured

Rohingyas In Jammu Fear Deportation After Police Detain Over 150

3 hours ago Pratirodh Bureau
  • Featured

Govt Blasts US Think Tank That Calls India Only ‘Partly Free’

2 days ago Pratirodh Bureau
  • Featured

Farmers Organise Blockade To Mark 100th Day Of Protest

2 days ago Pratirodh Bureau
  • Featured

UN Envoy Calls For Action Against Myanmar Junta Over Bloodshed

2 days ago Pratirodh Bureau

Recent Posts

  • Shops, Factories, Banks Closed As Protests Intensify In Myanmar
  • Rohingyas In Jammu Fear Deportation After Police Detain Over 150
  • Govt Blasts US Think Tank That Calls India Only ‘Partly Free’
  • Farmers Organise Blockade To Mark 100th Day Of Protest
  • UN Envoy Calls For Action Against Myanmar Junta Over Bloodshed
Copyright © All rights reserved. | CoverNews by AF themes.