सत्रहवीं लोकसभा में आधी दुनिया: पिछड़ा कहे जाने वाले सूबे ओडिशा का महिला सांसदों में दबदबा

May 28, 2019 | PRATIRODH BUREAU

आम चुनाव 2019 के परिणामों के विश्लेषण विभिन्न आयामों के सन्दर्भ में लम्बे अरसे तक किये जाते रहेंगे। इनमें महिलाओं का भारी मतदान और महिला प्रत्याशिओं का अपेक्षाकृत बेहतर प्रदर्शन भी शामिल है। मीडियाविजिल के मंगलवारी चुनाव चर्चा के इस अंक में हम इसका विस्तृत जायजा लेंगे।

पिछले आम चुनाव में 61 महिलाएं लोकसभा में जीत कर गई थीं। स्वतंत्र भारत के इतिहास में इस बार नया रिकार्ड कायम कर सर्वाधिक 76 महिलाएं लोकसभा में पहुंची हैं, लेकिन हक़ीकत और भी है। इस आम चुनाव में भी पुरुष प्रत्याशियों का ही बोलबाला रहा, जो कुल 7334 थे। महिला प्रत्याशियों की संख्या में अपेक्षित वृद्धि नहीं हुई। कुल 8049 उम्मीदवारों में 10 प्रतिशत से भी कम सिर्फ 717 महिलाएं थीं जबकि देश में उनकी आबादी लगभग आधी है। भारत भर में औसतन करीब 14 प्रतिशत महिला उम्मीदवार ही जीत सकीं।

महिला प्रत्याशियों ने सबसे ज्यादा 33 प्रतिशत जीत अपेक्षाकृत पिछड़े कहे जाने वाले राज्य ओडिशा में दर्ज की। वहां की केउंझार सीट से जीती आदिवासी नेता चंद्राणी मुर्मू नई लोकसभा में सबसे युवा (करीब 26 बरस की) हैं। 2019 के आम चुनाव में भी पुरुष प्रत्याशियों का ही बोलबाला था जो कुल 7334 थे। देश में क्षेत्रफल के हिसाब से सबसे बड़े राज्य राजस्थान की राजधानी जयपुर शहर की लोकसभा सीट पर  48 बरस बाद कोई पहली महिला प्रत्याशी कांग्रेस की पूर्व मेयर ज्योति खण्डेलवाल चुनाव मैदान में तो उतरीं पर वो भारतीय जनता पार्टी के पुरुष प्रत्याशी एवं निवर्तमान सांसद राम चरण बोहरा से हार गईं। जयपुर से पूर्ववर्ती राजघराने की गायत्री देवी 1962 से तीन बार स्वतंत्र पार्टी की लोकसभा सदस्य रही थीं। इस बार जयपुर राजघराने की दूसरी सदस्य एवं भाजपा की दीया कुमारी राजसमंद सीट पर कांग्रेस के देवकीनंदन गुर्जर को करीब पांच लाख वोटों से हरा कर लोकसभा के लिए निर्वाचित हुईं। दिवंगत गायत्री देवी उनकी दादी थीं। पूर्ववर्ती ही सही राजघरानों के दिन नहीं लदे हैं। राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी पूर्ववर्ती ग्वालियर राजघराना की वंशज हैं, जिनके पुत्र दुष्यंत सिंह भाजपा प्रत्याशी के रूप में राजस्थान की झालावाड़-बारां लोकसभा सीट से लगातार तीसरी बार जीते हैं।