सोनी सोरी का दिल्ली के एम्स में होगा इलाज
May 2, 2012 | पाणिनि आनंदपुलिस उत्पीड़न का शिकार सोनी सोरी को बुधवार को देश के सर्वोच्च न्यायालय से कुछ राहत मिलती नज़र आई है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश दिया है कि सोनी सोरी को दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में इलाज के लिए लाया जाए.
अदालत ने कहा है कि एक सप्ताह के भीतर सोनी सोरी को दिल्ली लाया जाए और यहाँ एक मेडिकल टीम गठित करके उनके स्वास्थ्य की ताज़ा स्थिति पर रिपोर्ट तैयार की जाए.
पीयूसीएल की राष्ट्रीय महासचिव कविता श्रीवास्तव ने कहा कि अदालत का यह फैसला फौरी तौर पर राहत देने वाला है क्योंकि इससे सोनी कम से कम अपना इलाज करा सकेगी और यातना और दर्द से कुछ मुक्ति पा सकेगी लेकिन असली लड़ाई उसकी रिहाई है. एक निर्दोष महिला को जेल में डालकर उसके साथ ऐसा बर्ताव करना इस लोकतंत्र के लिए कलंक की तरह है.
सोनी सोरी फिलहाल रायपुर जेल में हैं. उनपर माओवादियों की मदद करने के आरोप लगाए गए हैं. पेशे से अध्यापिका सोनी सोरी का कहना है कि ये सारे आरोप ग़लत है और इसलिए लगाए गए हैं क्योंकि उन्होंने राज्य सरकार द्वारा आदिवासियों के दमन के खिलाफ आवाज़ उठाई थी.
अक्टूबर, 2011 में जेल में भयंकरतम और घृणित यातनाओं को झेल रही सोनी सोरी को कोलकाता के एक मेडिकल कॉलेज में इलाज के लिए ले जाया गया था जहाँ उनके जननांगों और मलद्वार से पत्थर निकाले गए थे. ये पत्थर उनके शरीर में पुलिस अधिकारियों के द्वारा प्रताड़ना के दौरान जबरन ठूंसे गए थे.
हालांकि सोनी सोरी को कोलकाता में इलाज के लिए दोबारा 15 दिनों के भीतर ले जाने की सलाह दी गई थी लेकिन रायपुर पुलिस ने ऐसा कुछ नहीं किया. तब से सोनी सोरी की स्थिति दिन ब दिन और बदतर होती गई.
सूजन, जननांगों से लगातार रक्तश्राव और असहनीय दर्द में तड़पती सोनी सोरी अभी भी रायपुर की जेल में बंद हैं. ताज्जुब की बात है कि जिस मामले में उन्हें जेल में रखा गया है, उस मामले के बाकी कॉर्पोरेट अभियुक्तों को रायपुर हाईकोर्ट ने ज़मानत पर रिहा कर दिया है.
लगभग छह महीने से भयंकर शारीरिक और मानसिक यातना झेल रही सोनी सोरी को जिस अपमान और दर्द से गुज़रना पड़ा है, उसका अनुमान लगा पाना भी मुश्किल है. बदले में ऐसा करने वाले पुलिस अधिकारी अंकित गर्ग को राष्ट्रपति पदक से सम्मानित किया गया है. एक महिला के इस घृणित शोषण उत्पीड़न के बाद एक महिला राष्ट्रपति द्वारा ऐसा करने वाले को सम्मानित करना खुद में न्याय और मानवाधिकारों के प्रति हमारी राजसत्ता की कलई उतारकर रख देता है.