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आखिर निकहत से मिलने से क्यों डरते हैं नीतीश

Aug 30, 2012 | अविनाश कुमार चंचल

देश में लगातार एक खास समुदाय के लोगों को आतंकी कौम घोषित करने की अघोषित साजिश चल रही है. इस साजिश के तहत ही आजमगढ़ जैसे उत्तर प्रदेश के कई इलाकों को आतंकी जमीन घोषित करने की साजिश भी चली लेकिन अब लगता है कि आजमगढ़ की अगली कड़ी बिहार के दरभंगा और मधुबनी जैसे इलाकों को बनाने की तैयारी सुरक्षा एजेंसियों ने शुरू कर दी है.

 
कुछ महीने पहले कर्नाटक से आई एटीएस की टीम ने बिना राज्य सरकार को सूचना दिए दरभंगा से कई युवकों को गिरफ्तार किया था और ये सभी मुस्लिम समुदाय के ही थे. उस समय मीडिया में खबरें आईं कि इन गिरफ्तारियों से बिहार की सुशासन की सरकार बहुत गुस्से में है, सुशासन बाबू ने भी बढ़चढ़कर अपने गुस्से का इजहार किया. लेकिन अन्य सारे नाट्य कर्म जो नीतीश बाबू अपनी धर्मनिरपेक्ष छवि बनाने के लिए और मुस्लिम वोट के सहारे प्रधानमंत्री बनने तक के सपने को पूरा करने के लिए कर रहे हैं ये बयानबाजी भी उसी की एक कड़ी नजर आ रही है.
 
नीतीश बाबू लगातार खुद को अल्पसंख्यक हितैषी घोषित करते आ रहे हैं, जबकि वे देश की सबसे घोर साम्प्रदायिक पार्टी के साथ लंबे अरसे से सत्ता-लाभ भी ले रहे हैं. इसी मामले को देखें तो दरभंगा में हो रही गिरफ्तारियों के खिलाफ जिस तरह से नीतीश सरकार की तरफ से बयान आ रहे थे लग रहा था कि अल्पसंख्यकों के लिए नीतीश बाबू के दिल में कांग्रेसिया दर्द से भी ज्यादा दर्द छिपा बैठा है लेकिन हकीकत में ये सच नहीं है. अगर ऐसा होता तो इन गिरफ्तारियों पर वे सिर्फ बयानबाजी करते या फिर चिट्ठी लिखते नहीं रह जाते. सच्चाई तो ये है कि सुरक्षा एजेंसियों के आगे नीतीश सरकार ही नहीं खुद केन्द्र सरकार भी लाचार नजर आ रही है. वैसे आप सबको मालूम है कि कांग्रेस पार्टी के नेता सबसे ज्यादा अपने अल्पसंख्यक प्रेम को मीडिया के सामने जाहिर करते रहते हैं. ये अलग बात है कि कांग्रेस सरकार में आतंकी के नाम पर अनेकों ऐसे मुस्लिम युवकों की गिरफ्तारियां हुई जो बाद में निर्दोष साबित हुए. इसी कांग्रेस पार्टी की सरकार ने फसीह महमूद के मामले में बार-बार झूठ बोले और अपने बयान बदले.
 
दरभंगा के युवक फसीह महमूद सउदी अरब में इंजीनियर के रूप में कार्यरत थे. इसी वर्ष 13 मई को वे अपने घर में खाना खाने की तैयारी कर ही रहे थे कि तभी दो सउदी पुलिस और दो भारतीय उनको गिरफ्तार करने उनके घर पर आयी. उनको बिना वारंट के पूछताछ के नाम पर अपने साथ ले गए. पुलिस ने फसीह की पत्नी निकहत को कहा कि कुछ आरोप होने की वजह से फसीह को भारत भेजा जा रहा है. इसके बाद 16 मई को निकहत भी भारत आ गयी. यहां उन्होंने भारत सरकार की सुरक्षा एजेंसियों से लेकर केन्द्रीय मंत्रियों तक सबसे मुलाकात की. सबने एक ही बात कही कि हमें फसीह महमूद की तलाश नहीं है और न ही हमने उन्हें गिरफ्तार किया है. लेकिन फिर भी सवाल तो उठता ही है कि एक भारतीय नागरिक की विदेश में गिरफ्तारी पर सरकार की क्या जिम्मेदारी बनती है. हद तो तब हो जाता है जब न्याय के लिए निकहत उच्चतम न्यायालय पहुंचती हैं और फिर सरकार को फसीह एक आतंकी नजर आने लगता है और आनन-फानन में वो रेड कार्नर नोटिस जारी कर कहती है कि फसीह 2010 से फरार है. सरकार भूल जाती है कि इसी देश की राजधानी दिल्ली के एयरपोर्ट से इस बीच अपनी शादी से लेकर घ्घर के अन्य कामों से फसीह घर आता जाता है. पुलिस उस समय उसे गिरफ्तार नहीं करती है. फिलहाल तो सरकार फसीह की गिरफ्तारी का ही खुलासा नहीं कर रही है.
 
देश की जांच एजेंसियां किस पूर्वाग्रह से काम करती हैं. इसका उदाहरण है कि लगातार पकड़े गए मुस्लिम युवक बेगुनाह साबित हो रहे हैं. भले इन एजेंसियों के पूर्वाग्रह के कारण उन्हें तीन साल से लेकर बारह साल तक जेल में रहना पड़ रहा है, उनकी जिंदगी बर्बाद हो रही है लेकिन सवाल के घेरे में तो सबसे ज्यादा सरकार है. क्योंकि केन्द्र सरकार भी उसी पूर्वाग्रह से काम करती नजर आ रही है. हाल ही में अमरीका के सुरक्षा प्रमुख ने मुसलमानों के बारे में विवादास्पद बयान दिया है. हर काम में अमरीका का पिछलग्गू बन कर वाहवाही लूटने में लगी सरकार लगता है अल्पसंख्यकों के मामले में भी अपने बड़े भाई का अनुकरण कर रही है.
 
लेकिन बिहार की नीतीश सरकार इतना हो-हल्ला मचाने के बाद भी अपने राज्य के मुस्लिम युवकों को क्यों नहीं बचा पा रही है. अभी तक किसी भी सरकारी प्रतिनिधि ने निकहत से मिलने की जहमत नहीं उठायी. वो लगातार नीतीश से मिलने की कोशिश कर रही हैं लेकिन उसे वहां से समय तक नहीं दिया जा रहा है. अन्य अल्पसंख्यक नेता अली अनवर राज्य भर के मुस्लिमों के अगुआ बने घूमते हैं लेकिन वे भी पीडित परिवार से मिलने की जहमत नहीं कर पाये हैं.
 
दरअसल, नेताओं की ये प्रवृति कोई छिपी हुई चीज नहीं है. सभी देश में बढ़ रहे अल्पसंख्यक वोट को बटोरने के प्रयास में लगे हुए हैं. किसी को अल्पसंख्यकों के सवाल को लेकर कोई चिंता नहीं दिखाई देती है. हां ये अलग बात है कि मीडिया के सहारे ये लोग अपने अल्पसंख्यक प्रेम को जगजाहिर करते रहते हैं और अल्पसंख्यक समुदाय भी इनके बहकावे में आता रहता है.
 
फिलहाल निकहत सउदी अरब जाकर अपने पति से मिलना चाह रही हैं लेकिन सरकार की तरफ से उसके वीजा पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है. निकहत चाहती हैं कि फसीह को जल्द से जल्द सरकार भारत लाए और उनपर कानूनी कार्रवाई करे क्योंकि उन्हें अब भी देश के कानून पर भरोसा है.

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