Skip to content
Hindi News, हिंदी समाचार, Samachar, Breaking News, Latest Khabar – Pratirodh

Hindi News, हिंदी समाचार, Samachar, Breaking News, Latest Khabar – Pratirodh

Primary Menu Hindi News, हिंदी समाचार, Samachar, Breaking News, Latest Khabar – Pratirodh

Hindi News, हिंदी समाचार, Samachar, Breaking News, Latest Khabar – Pratirodh

  • Home
  • Newswires
  • Politics & Society
  • The New Feudals
  • World View
  • Arts And Aesthetics
  • For The Record
  • About Us
  • Featured

पिता ने तुम्हारे साथ कितनी बार सम्भोग किया?

May 22, 2012 | भंवर मेघवंशी

तुम्हारे पिता ने तुम्हारे साथ कितनी बार सम्भोग किया? यह अमानवीय प्रश्न राजस्थान पुलिस ने एक 12 वर्षीय दलित किशोरी से पूछा है, जिसकी छोटी बहन को अज्ञात हत्यारों ने सिर पर पत्थर मार-मार कर मार डाला.

 
‘पहले दिन पुलिस ने मुझे दो पट्टे मारे तो मैं दौड़कर बाहर चली गई, मेरे परिवार के लोग मुझे समझाकर वापस थाने के अंदर लाये और कहा कि अब नहीं पीटेंगे. फिर सी.आई. व अन्य पुलिस वालों ने मेरे पिता व अन्य परिजनों को थाने के बाहर भेज दिया, उनके जाने के बाद पुलिस वालों ने मेरी आंखों एवं मुंह पर पट्टी बांध दी, फिर पीछे की तरफ हाथ बांध दिये तथा मेरे दोनों पैर भी बांध दिये, मुझे उल्टा लिटा दिया, मेरी पीठ एवं नितंबों पर पट्टों से मारा तथा मुझसे पूछा कि तेरे पिता ने तेरे साथ कितनी बार सम्भोग किया? जब मैंने इस का विरोध किया तो उन्होंने कहा कि तुम वैश्यावृति करके अपने बाप के लिए शराब और मांस लाती हो, तुमने और तुम्हारे पिता ने मिलकर तुम्हारी बहन को मारा है. फिर मेरे सिर के बाल पकड़कर दीवार से भचीड़ा मारा, मेरी आंखे बांधकर पता नहीं कहां लेकर गये. थाने में नशे की गोलियां भी दी गई. मुझे पुलिस कई बार थाने में ले गई, वहां ले जाकर हर बार मुझे डेढ़ गोली (नशे की) देते और मेरे साथ मारपीट करते एवं मुझे कहते कि तू यह कह दे कि तेरी बहन को तूने व तेरे बाप ने मारा है. पुलिस वाले मेरे पैरों की पकतलियों (तलुवों) को डंडों से मारते और मुझे जबरदस्ती हां करने को कहते थे.’ यह कहना है 12 वर्षीय एक दलित किशोरी कंचन कालबेलिया का, जिसकी 9 वर्षीय बहन सविता कालबेलिया की 22 अप्रैल 2012 को सिर पर पत्थरों से वार करके किसी ने निर्मम हत्या कर दी थी.
 
हत्या के तुरन्त बाद हत्यारों की खोज के लिये आई पुलिस की खोजी कुतिया ‘कुटीपी’ जिस व्यक्ति के डेरे में जाकर रूकी, उनसे पुलिस न तो पूछताछ कर रही है और न ही उन्हें गिरफ्तार किया गया है, उल्टे मृतका की बड़ी बहन और पिता को ही कातिल साबित करने की कोशिश की जा रही है तथा जबरन हां कराने के लिए 12 वर्षीय इस दलित किशोरी के पांव के तलुवों से लेकर गुदा तक पर डंडों से निर्मम वार किये जा रहे है. बेहूदगी की हद तो यह है कि इस मासूम पर वैश्यावृति का आरोप लगाते हुए पुलिस रिश्तों को शर्मसार करने वाला सवाल पूछ रही है कि तुम्हारे बाप ने तुम्हारे साथ कितनी बार सम्भोग किया है? इस घटियापन का विरोध करने पर यह दलित किशोरी और पिटती है, उसके हाथ, पांव और आंखे बांध दी जाती है और मारपीट का सिलसिला तब तक चलता है जब तक कि वह निढ़ाल नहीं हो जाती.
 
इससे भी भयानक तथ्य यह है कि पुलिस हत्या के कथित ‘सच’ को उगलवाने के लिये बिना कोर्ट की इजाजत के ड्रग्स का इस्तेमाल कर रही है और इस मासूम को हर बार डेढ़ छोटी-छोटी गोलियां दी जाती है, जिन्हें खाकर उसे नशा होने लगता है, फिर पुलिस क्या पूछती है और वो क्या जवाब देती है, इसका उसे कुछ भी पता नहीं रहता है. दलित अत्याचारों में देशभर में अव्वल दर्जे पर आ गए राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के रायपुर थाने की पुलिस कितनी अमानवीय है, इसका पता मासूम कंचन तथा उसके परिजनों के दर्दनाक बयानों से चलता है.
 
विगत दिनों दलित व मानव अधिकार संगठनों के एक तथ्यान्वेषी दल ने पीड़ित कालबेलिया परिवार से मुलाकात की तो पता चला कि पुलिस तंत्र के अमानवीय अत्याचारों के चलते 12 वर्षीय दलित किशोरी कंचन कालबेलिया लगभग पागल होने के कगार पर पहुंच चुकी है. उसके पूरे शरीर पर मारपीट के निशान है, अभ्रदता जो उससे की गई है, उसका उसके बाल पर क्या असर पड़ेगा, इसका तो अंदाजा लगाना भी कठिन जान पड़ता है. दलित अधिकार नेटवर्क राजस्थान के राज्य संयोजक तुलसीदास राज तथा अम्बेडकर फैलोशिप के तहत काम कर रहे दलित आदिवासी एवं घुमन्तु अधिकार अभियान राजस्थान (डगर) के प्रदेश सह सचिव रतननाथ कालबेलिया द्वारा जारी एक रिपोर्ट पुलिस तंत्र की क्रूरता की कलई खोलती है कि किस प्रकार राजस्थान पुलिस घुमन्तु दलित परिवारों को तबाह कर रही है.
 
गौरतलब है कि सुरमनाथ कालबेलिया की 9 वर्षीय पुत्री सविता घर से बकरियां चराने के लिए निकली थी, लेकिन शाम तक घर नहीं पहुंची तो कालबेलिया परिवार को उसकी चिंता हुई, रातभर ढूंढ़ा मगर सविता नहीं मिली. 23 अप्रेल को सुबह सविता की लाश गांव के बाहर एक खण्डहरनुमा कमरे में लावारिश हालात में पड़ी मिली, पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक सविता का गला घोंटा गया तथा उसके बाद उसके सिर पर पत्थर मार-मार कर उसकी हत्या कर दी गई. परिजनों ने हत्यारे का पता नहीं लगने तक लाश लेने से मना कर दिया लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों व स्थानीय राजनेताओं के आश्वासन के पश्चात् दुःखी परिजनों ने मासूम की लाश ले ली और अंतिम संस्कार कर दिया.
 
अंतिम संस्कार के दूसरे ही दिन से पुलिस का तांडव पीड़ित परिवार को झेलना पड़ा रहा है, पुलिस के आला अधिकारियों ने अनौपचारिक बातचीत में बताया कि- ये लोग तो  वैश्यावृति करवाते है अपनी लड़कियों से, ये सभी लड़कियां वैश्यावृति में संलग्न थी, शायद किसी लड़की को संदिग्ध स्थिति में उसने देख लिया, इसलिये उसे मार डाला गया. अब क्या कहा जाए, पुलिस के सामान्य ज्ञान पर ? 9, 10, 11 व 12 वर्ष की दलित लड़कियां राजस्थान में वैश्यावृति करती है ? या इस उम्र की लड़कियों का यौनशोषण हो रहा है ? जिसकी खबर स्थानीय पुलिस को है, फिर भी वह कुछ नहीं करती है, क्या यौनाचार एक तरफा होता है, जो श्रीमंत इस प्रकार के कुकर्म को बढ़ा रहे है, रायपुर के उन सफेदपोशों के नाम क्यों उजागर नहीं करती पुलिस ? मगर यह केवल बहानेबाजी है, न तो कंचन का मेडिकल करवाया गया, हमने कहा पुलिस से – आपको लगता है कि यह मासूम बच्ची वैश्या है तो इसका मेडिकल कराओं, मगर पुलिस अच्छी तरह से जानती है कि जैसे ही वह लड़की का मेडिकल करवायेंगी उसकी पोल खुल जाएगी. पुलिस यह भी जानती है कि अगर कंचन को अवैध रूप से हिरासत में ले कर किए गए पुलिसिया अत्याचार की कहानी और उनके अभ्रद सवाल आमजन, मानवाधिकार आयोग, बाल अधिकार संरक्षण आयोग और मीडिया के बीच पहुंच जाएंगे तो उनके लिए खाल बचाना मुश्किल होगा, इसलिए वह जल्द से जल्द मारपीट कर, धमकी देकर, ड्रग्स देकर, हर संभव तरीके से मासूम कंचन कालबेलिया और मृतका सविता के पिता सूरमनाथ को ही हत्यारा साबित करने में पुरजोर रूप से जुटी हुई है, जैसा कि पुलिस का चरित्र है, उसे मानवीय संवेदनाओं, मानवीय रिश्तों और गरीब जातियों के दुःखी इंसानों की पीड़ाओं से कोई वास्ता नहीं है.
 
हमें याद रखना होगा कि पीड़ा झेल रही यह वहीं कालबेलिया जाति है, जिस पर जरामपेशा कहकर सदियों से अत्याचार किया गया, जिनके पास आज भी रहने को घर नहीं है, लाशों को दफनाने के लिए श्मशान नहीं, उनकी कोई इज्जत नहीं, उनके दुःखों की सुनवाई नहीं, उन्हें कोई सुरक्षा नहीं और उनकी शिकायतों पर कोई कार्यवाही नहीं ? कुछ भी तो तब हो, जब उन्हें इंसान माना जाए, क्योंकि वे नेताओं, प्रशासनिक अधिकारियों व पुलिस की नजर में आज भी इंसान नहीं है, तभी तो सत्तारूढ़ दल का कोई भी जनप्रतिनिधि मृतक सविता के घर शोक प्रकट करने नहीं गया और न ही दुःख में डूबे सूरमनाथ और पुलिसिया अत्याचार की मारी लगभग पागलपन के किनारे खड़ी मासूम दलित किशोरी कंचन कालबेलिया की व्यथा सुनने का किसी को समय नहीं है ? क्या आपके पास है ?

Continue Reading

Previous Thorough probe sought into RTI activist’s death
Next Koodankulam struggle: An urgent appeal

More Stories

  • Featured

What Makes The Indian Women’s Cricket World Cup Win Epochal

2 hours ago Shalini
  • Featured

Dealing With Discrimination In India’s Pvt Unis

4 hours ago Pratirodh Bureau
  • Featured

‘PM Modi Wants Youth Busy Making Reels, Not Asking Questions’

21 hours ago Pratirodh Bureau

Recent Posts

  • What Makes The Indian Women’s Cricket World Cup Win Epochal
  • Dealing With Discrimination In India’s Pvt Unis
  • ‘PM Modi Wants Youth Busy Making Reels, Not Asking Questions’
  • How Warming Temperature & Humidity Expand Dengue’s Reach
  • India’s Tryst With Strategic Experimentation
  • ‘Umar Khalid Is Completely Innocent, Victim Of Grave Injustice’
  • Climate Justice Is No Longer An Aspiration But A Legal Duty
  • Local Economies In Odisha Hit By Closure Of Thermal Power Plants
  • Kharge Calls For Ban On RSS, Accuses Modi Of Insulting Patel’s Legacy
  • ‘My Gender Is Like An Empty Lot’ − The People Who Reject Gender Labels
  • The Environmental Cost Of A Tunnel Road
  • Congress Slams Modi Govt’s Labour Policy For Manusmriti Reference
  • How Excess Rains And Poor Wastewater Mgmt Send Microplastics Into City Lakes
  • The Rise And Fall Of Globalisation: Battle To Be Top Dog
  • Interview: In Meghalaya, Conserving Caves By Means Of Ecotourism
  • The Monster Of Misogyny Continues To Harass, Stalk, Assault Women In India
  • AI Is Changing Who Gets Hired – Which Skills Will Keep You Employed?
  • India’s Farm Policies Behind Bad Air, Unhealthy Diet, Water Crisis
  • Why This Darjeeling Town Is Getting Known As “A Leopard’s Trail”
  • Street Vendors Struggle With Rising Temps

Search

Main Links

  • Home
  • Newswires
  • Politics & Society
  • The New Feudals
  • World View
  • Arts And Aesthetics
  • For The Record
  • About Us

Related Stroy

  • Featured

What Makes The Indian Women’s Cricket World Cup Win Epochal

2 hours ago Shalini
  • Featured

Dealing With Discrimination In India’s Pvt Unis

4 hours ago Pratirodh Bureau
  • Featured

‘PM Modi Wants Youth Busy Making Reels, Not Asking Questions’

21 hours ago Pratirodh Bureau
  • Featured

How Warming Temperature & Humidity Expand Dengue’s Reach

1 day ago Pratirodh Bureau
  • Featured

India’s Tryst With Strategic Experimentation

1 day ago Pratirodh Bureau

Recent Posts

  • What Makes The Indian Women’s Cricket World Cup Win Epochal
  • Dealing With Discrimination In India’s Pvt Unis
  • ‘PM Modi Wants Youth Busy Making Reels, Not Asking Questions’
  • How Warming Temperature & Humidity Expand Dengue’s Reach
  • India’s Tryst With Strategic Experimentation
Copyright © All rights reserved. | CoverNews by AF themes.