Skip to content
Hindi News, हिंदी समाचार, Samachar, Breaking News, Latest Khabar – Pratirodh

Hindi News, हिंदी समाचार, Samachar, Breaking News, Latest Khabar – Pratirodh

Primary Menu Hindi News, हिंदी समाचार, Samachar, Breaking News, Latest Khabar – Pratirodh

Hindi News, हिंदी समाचार, Samachar, Breaking News, Latest Khabar – Pratirodh

  • Home
  • Newswires
  • Politics & Society
  • The New Feudals
  • World View
  • Arts And Aesthetics
  • For The Record
  • About Us
  • World View

मालदीव की अस्थिरता भारत के लिए चिंताजनक

Feb 8, 2012 | डॉ. सुशील उपाध्याय

मालदीव का घटनाक्रम न केवल भारत, वरन पूरी दक्षिण एशिया के लिए चिंता का सबब है. राष्ट्रपति नौशीद के इस्तीफे से साफ हो गया है कि यह छोटा-सा देश अब कमोबेश कट्टरपंथियों के हवाले है. इस घटनाक्रम से मालदीव के लोकतंत्र के सामने जीवन-मरण का प्रश्न आ खड़ा हुआ है.

 
हिंद महासागर में मालदीव महज सवा तीन लाख की आबादी का देश है. इस आबादी में भी करीब 15 फीसद विदेशी है. लेकिन, इस द्वीपीय देश की भौगोलिक स्थिति इसे दुनिया की बड़ी ताकतों के लिए महत्वपूर्ण बनाती है. 
 
यदि भारत का दबाव न हो तो यह देश न जाने से कब से अमेरिका का सैनिक अड्डा बन चुका होता. सामरिक-राजनीतिक लिहाज से चीन भी मालदीव में रुचि लेता रहा है. चार साल पहले नौशीद मालदीव के राष्ट्रपति चुने गए.
 
इससे पूर्व के 30 साल तक अबुल मोमुन गयूम राष्ट्रपति पद संभालते रहे हैं. गयूम हमेशा भारत के साथ रहे, लेकिन आखिरी कार्यकाल में उनका भारत से मोहभंग हो गया था. उस वक्त बदले हुए हालात में भारत ने परोक्ष तौर पर इस देश में लोकतंत्र की स्थापना में मदद की और अंतत: नौशीद को देश की बागडोर मिली. 
 
नौशीद ने कर्इ वजहों से दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा. उन्होंने राष्ट्रपति भवन में न रहने का फैसला किया और राष्ट्रपति भवन को आय हासिल करने का माध्यम बनाकर अपने देश के 65 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों को दो हजार प्रति माह की पेंशन का इंतजाम कर दिया गया. नौशीद के इस कदम से आम लोगों के प्रति उनके जुड़ाव का पता भी चला. 
 
इसके बाद कोपेनहेगन में जलवायु परिवर्तन संबंधी सम्मेलन में यह कहकर भाग लेने से मना कर दिया कि उनके देश के पास उनकी यात्रा के लिए 50 हजार डालर का इंतजाम नहीं है. उनके इस फैसले से दुनिया का ध्यान मालदीव को समुद्र से आसन्न खतरे की ओर गया. ध्यान रहे की मालदीव दुनिया का समुद्र तल से सबसे कम उंचार्इ पर बसा देश है. इसके मुख्यदीप की समुद्र दल से उंचार्इ महज ढार्इ मीटर है. कुछ दीप तो ऐसे हैं जो समुद्र तल से केवल एक मीटर उंचार्इ पर है. ऐसे में, किसी भी सामान्य भौगोलिक परिवर्तन की स्थिति में मालदीव का समुद्र में दफन होना तय है. 
 
इसका प्रमाण है कि विगत सदी में मालदीव के 50 छोटे-छोटे द्वीप समुद्र में समा चुके हैं. नौशीद ने जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में न जाकर दुनिया भर तक अपनी बात पहुंचा दी कि उनके देश को तत्काल मदद की जरूरत है. हालांकि, अब तक उन्हें मदद नहीं मिली. मदद न मिलने के चलते भी देश के आंतरिक हालात जटिल होते गए. 
 
नौशीद ने दो और कारणों से दुनिया का ध्यान खींचा. पहला, उन्होंने अपनी कैबिनेट की मीटिंग समुद्र के भीतर की और दूसरा देश को अन्य स्थान पर बसाने के लिए भूमि तलाश का अभियान छेड़ा. उन्होंने भारत और श्रीलंका की सरकारों से भी गुहार लगार्इ कि उनके देश को बचाने के लिए कोर्इ द्वीप या जमीन का टुकड़ा दे दिया जाए. 
 
जिस वक्त नौशीद इन बड़े कामों में लगे थे, ठीक उसी वक्त उनके विरोधी उनके पैरों तले की जमीन खिसकाने में जुटे थे. सत्ता से अलग होने के बाद गयूम भले ही खामोश बैठे दिख रहे हों, लेकिन देश के कटटरपंथी उनके नाम की माला लेकर नौशीद को ठिकाने लगाने के काम पर जुटे थे. नौशीद के कुछ फैसलों ने विरोधियों की मुहिम को हवा देने का काम किया. नौशीद ने इजरायल तक हवार्इ यातायात की अनुमति देकर कट्टरपंथियों को भड़का दिया. जिस देश की 90 प्रतिशत आबादी सुन्नी मुसलमान हों, वहां ऐसा फैसला जोखिम भरा था. नौशीद ने यह कदम देश की आर्थिक सेहत के लिए उठाया था, लेकिन इसका कट्टरपंथियों के एकजुट होने के रूप में सामने आया. इसके बाद उन पर आरोप लगे कि वे यहूदियों और र्इसाइयों के हाथों में खेल रहे हैं. 
 
नौशीद ने देश में पर्यटकों की मौजूदा संख्या को बढ़ाने का अभियान छेड़ा तो कटटरपंथियों ने सांस्कृतिक हमले के सवाल उठाया. जबकि, मालदीव की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से पर्यटन पर आधारित है. यह दुनिया का अकेला ऐसा देश है जहां उसकी कुल आबादी से दोगुने लोग हर साल पर्यटन के लिए आते हैं. नौशीद इस आंकड़े को तीन गुना करने में जुटे थे. कट्टरपंथियों के खिलाफ सख्त रुख दिखाने और वैशिवक मंचों पर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवार्इ की बात कहते रहना भी नौशीद को भारी पड़ा. वजह यह थी कि उन्हें वैश्विक स्तर पर तो समर्थन हासिल था, लेकिन देश के भीतर पुलिस-फौज और न्यायिक तंत्र उनके विरोध में खड़ा हो गया. पूरा मामला उस वक्त और बिगड़ गया जब पिछले महीने अब्दुल्ला मुहम्मद नाम के न्यायाधीश को गिरफतार किया गया. इस न्यायाधीश ने गयूम के प्रभाव के चलते उनकी पार्टी के एक बड़े नेता को रिहा करने के आदेश दिए थे. 
 
अब, नौशीद सत्ता छोड़ चुके हैं और उप राष्ट्रपति मुहम्मद वहीद के हाथ सत्ता सौंप चुके हैं, लेकिन स्थितियां जल्द काबू में आने के आसार नहीं हैं. भले ही नौशीद का समर्थन गयूम जैसा गहरा न हो, लेकिन देश के प्रगतिशील और पढ़े-लिखे लोग उन्हें अपने प्रतिनिधि के तौर पर स्वीकारते रहे हैं. ऐसे में, मालदीव के दो ध्रुवों में बंटने का खतरा पैदा हो गया है. 
 
यह बात पारे की तरह साफ है कि भारत के हित इसी बात में सुरक्षित हैं कि मालदीव में राजनीतिक स्थिरता रहे. इसीलिए विगत डेढ़ दशक में भारत दो बार मालदीव में तख्तापलट को नाकाम कर चुका है. इस बार भारत ने मालदीव के मामले से तात्कालिक तौर पर खुद को अलग रखा है. लेकिन, भारत की चुप्पी मालदीव के हालात को और जटिल बनाएगी.
 
(लेखक उत्तराखंड संस्कृत विश्ववि़धालय, हरिद्वार में सहायक प्रोफेसर हैं. यह लेख लेखक के निजी विचारों एवं विश्लेषण पर आधारित है.)

Continue Reading

Previous Maldives president resigns amid unrest
Next Pakistan SC turns down Gilani\’s appeal

More Stories

  • Featured
  • Politics & Society
  • World View

U.S. Targets Hit: Iran May Have Deliberately Avoided Casualties

6 years ago Pratirodh Bureau
  • Featured
  • Politics & Society
  • World View

U.S., Iran Both Signal To Avoid Further Conflict

6 years ago Pratirodh Bureau
  • Featured
  • Politics & Society
  • World View

Avenging Gen’s Killing, Iran Strikes At U.S. Troops In Iraq

6 years ago Pratirodh Bureau

Recent Posts

  • Dealing With Discrimination In India’s Pvt Unis
  • ‘PM Modi Wants Youth Busy Making Reels, Not Asking Questions’
  • How Warming Temperature & Humidity Expand Dengue’s Reach
  • India’s Tryst With Strategic Experimentation
  • ‘Umar Khalid Is Completely Innocent, Victim Of Grave Injustice’
  • Climate Justice Is No Longer An Aspiration But A Legal Duty
  • Local Economies In Odisha Hit By Closure Of Thermal Power Plants
  • Kharge Calls For Ban On RSS, Accuses Modi Of Insulting Patel’s Legacy
  • ‘My Gender Is Like An Empty Lot’ − The People Who Reject Gender Labels
  • The Environmental Cost Of A Tunnel Road
  • Congress Slams Modi Govt’s Labour Policy For Manusmriti Reference
  • How Excess Rains And Poor Wastewater Mgmt Send Microplastics Into City Lakes
  • The Rise And Fall Of Globalisation: Battle To Be Top Dog
  • Interview: In Meghalaya, Conserving Caves By Means Of Ecotourism
  • The Monster Of Misogyny Continues To Harass, Stalk, Assault Women In India
  • AI Is Changing Who Gets Hired – Which Skills Will Keep You Employed?
  • India’s Farm Policies Behind Bad Air, Unhealthy Diet, Water Crisis
  • Why This Darjeeling Town Is Getting Known As “A Leopard’s Trail”
  • Street Vendors Struggle With Rising Temps
  • SC Denies Two-Week Extension In Umar Khalid, Sharjeel Imam Bail Pleas

Search

Main Links

  • Home
  • Newswires
  • Politics & Society
  • The New Feudals
  • World View
  • Arts And Aesthetics
  • For The Record
  • About Us

Related Stroy

  • Featured

Dealing With Discrimination In India’s Pvt Unis

1 hour ago Pratirodh Bureau
  • Featured

‘PM Modi Wants Youth Busy Making Reels, Not Asking Questions’

18 hours ago Pratirodh Bureau
  • Featured

How Warming Temperature & Humidity Expand Dengue’s Reach

22 hours ago Pratirodh Bureau
  • Featured

India’s Tryst With Strategic Experimentation

22 hours ago Pratirodh Bureau
  • Featured

‘Umar Khalid Is Completely Innocent, Victim Of Grave Injustice’

2 days ago Pratirodh Bureau

Recent Posts

  • Dealing With Discrimination In India’s Pvt Unis
  • ‘PM Modi Wants Youth Busy Making Reels, Not Asking Questions’
  • How Warming Temperature & Humidity Expand Dengue’s Reach
  • India’s Tryst With Strategic Experimentation
  • ‘Umar Khalid Is Completely Innocent, Victim Of Grave Injustice’
Copyright © All rights reserved. | CoverNews by AF themes.