विकास की बलिवेदी पर: दूसरी किस्‍त

सोनभद्र में हालांकि बात विकास से काफी आगे जा चुकी है। याद करें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पद संभालने के बाद पिछले साल न्‍यूयॉर्क के मैडिसन चौक में एक बात कही थी कि उनकी इच्‍छा है कि ”विकास को जनांदोलन” बना दिया जाए। इस बात को न तो बहुत तवज्‍जो दी गयी और न ही इसका कोई फौरी मतलब निकाला गया, लेकिन ऐसा लगता है कि ”विकास को जनांदोलन” बनाने की सीख सबसे पहले लोहिया के शिष्‍यों ने उत्‍तर प्रदेश में ली और उसे आज सोनभद्र में लागू किया जा रहा हैा भरोसा न हो तो विंध्‍य मंडल के मुख्‍य अभियंता कुलभूषण द्विवेदी के इस बयान पर गौर करें जिनके क्षेत्राधिकार में कनहर परियोजना आती है। एक पत्रकार द्वारा नदियों की और पर्यावरण की खराब सेहत पर सवाल पूछे जाने के जवाब में उसे टोकते हुए अभियंता ने कहा, ”पहली बार देश को मर्द प्रधानमंत्री मिला है। पूरी दुनिया में उसने भारत का सिर ऊंचा किया है वरना हम कुत्‍ते की तरह पीछे दुम दबाए घूमते थे।” (बातचीत को सुनने के लिए ऊपर दिए प्‍लेयर को चलाएं)

इनका कहना है कि मुख्‍य सचिव, मुख्‍यमंत्री और आला अधिकारी 14 अप्रैल की गोलीबारी के बाद कनहर बांध पर रोज़ बैठकें कर रहे हैं और पूरे इलाके को छावनी तब्‍दील करने का आदेश ऊपर से आया है। फिलहाल कनहर में मौजूद पुलिस चौकी को थाने में तब्‍दील किया जा रहा है। मोदी जिसे ”विकास का जनांदोलन” कहते हैं, उसकी शक्‍ल यहां ”बांध बनाओ हरियाली लाओ” नाम के कथित आंदोलन में देखी जा सकती है जिसने 20 अप्रैल को भाकपा (माले) की पोलित ब्‍यूरो सदस्‍य कविता कृष्‍णन के नेतृत्‍व में दिल्‍ली से यहां आए एक जांच दल को पुलिस के उकसावे पर भरपूर गालियां देते हुए दो घंटे तक अस्‍पताल में बंधक बनाए रखा और इसके सदस्‍यों को ”विकास विरोधी”, ”अंतरराष्‍ट्रीय आतंकवादी” व ”आइएसआइ एजेंट” के तमगों से नवाज़ा।

विकास के इस कथित उग्र ”जनांदोलन” के बारे में सोनभद्र के पुलिस अधीक्षक शिवशंकर यादव ऐसे समझाते हैं, ”पूरी पब्लिक साथ में है कि बांध बनना चाहिए। सरकार साथ में है। तीनों राज्‍य सरकारों का एग्रीमेंट हुआ है बांध बनाने के लिए… हम लोगों ने जितना एहतियात बरता है, उसकी पूरी पब्लिक तारीफ़ कर रही है।” यादव का यह बयान एक मान्‍यता है जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आकांक्षा और अभियंता द्विवेदी के दावे जैसा है। इस मान्‍यता के पीछे काम कर रही तर्क-प्रणाली को आप सोनभद्र के युवा जिलाधिकारी संजय कुमार के इस बयान से समझ सकते हैं, ”हमने जो भी बल का प्रयोग किया, वह इसलिए ताकि लोगों को मैसेज दिया जा सके कि लॉ ऑफ दि लैंड इज़ देयर…। आप समझ रहे हैं? ऐसे तो लोगों में प्रशासन और पुलिस का डर ही खत्‍म हो जाएगा। कल को लोग कट्टा लेकर गोली मार देंगे… आखिर हमारे दो गज़ेटेड अफसर घायल हुए हैं…! बेचारे एसडीएम ने अपनी जेब से दस लाख अपने इलाज पर खर्च किया है!”

यह बात अपने आप में चौंकाने वाली है कि एक एसडीएम ने अपने इलाज पर अपनी जेब से दस लाख रुपये कैसे खर्च कर दिए। ज़ाहिर है, होगा तभी खर्च किए होंगे। सुन्‍दरी, भीसुर और कोरची के आदिवासियों के पास अपने ऊपर खर्च करने को सिर्फ आंसू हैं। समय के साथ वे भी अब कम पड़ते जा रहे हैं। दुद्धी के अस्‍पताल में भर्ती जोगी साव (जिनका नाम घायलों की सरकारी सूची में दर्ज नहीं है) हमें देखते ही फफक कर रो पड़ते हैं। गला भर्रा जाता है। इशारे से दिखाते हैं कि कहां-कहां पुलिस की मार पड़ी है। पैर के ज़ख्‍म दिखाने के लिए हलका सा झुकते हैं तो कमर पकड़कर ऐंठ जाते हैं। इनकी उम्र सत्‍तर बरस के पार है। 18 अप्रैल की सुबह धरनास्‍थल पर ये सो रहे थे। जब पुलिस बल आया, तो नौजवानों की फुर्ती से ये भाग नहीं पाए। वहीं गिर गए। वे रोते हुए बताते हैं, ”ओ दिन हमहन रह गइली ओही जगह… एके बेर में पहुंच गइलन सब… धर-धर के लगावे लगलन डंटा। मेहरारू के झोंटा धर के लेसाड़ के मारे लगलन… लइकनवो के नाहीं छोड़लन…।” जोगी साव के शरीर पर डंडों के निशान हैं। उनके आंसू नहीं रुकते जब वे हाथ दिखाते हुए कहते हैं, ”एक डंटा मरले हउवन… दू डंटा गोड़े में… तब जीप में ले आके इहां गिरउलन।” यह पूछे जाने पर कि क्‍या कोई मुकदमा भी दर्ज हुआ है उनके खिलाफ़, वे बोले, ”मुकदमा त दर्ज नाहीं कइलन, बाकी कहलन कि अस्‍पताल में चलिए, जेल नहीं जाना पड़ेगा।”

जांच दल के सदस्‍यों कविता कृष्‍णन, प्रिया पिल्‍लई, पूर्णिमा गुप्‍ता, ओमप्रकाश सिंह, रजनीश और सिद्धांत मोहन समेत देबोदित्‍य सिन्‍हा के साथ जब यह लेखक 20 अप्रैल को दुद्धी अस्‍पताल के इस वार्ड में पहुंचा, तो कुल आठ पुरुष यहां भर्ती थे। महिला वार्ड में पांच महिलाएं थीं और अस्‍पताल के गलियारे में दो घायलों को अलग से लेटाया गया था। कुल दस पुरुषों में बस एक नौजवान था जिसका नाम था मोइन। बाकी नौ पुरुषों की औसत उम्र साठ के पार रही होगी। गलियारे में पहले बिस्‍तर पर जो बुजुर्ग लेटे थे, उनके चेहरे पर कोई भाव नहीं था। नाम- बूटन साव, गांव कोरची। इन्‍हें भी डंडे की मार पड़ी थी। चोट दिखाते हुए बोले, ”आप जनते के तरफ से हैं न?” हां में जवाब देने पर बोले, ”हम लोगों को छोड़वा दीजिए घर तक”। और इतना कह कर वे अचानक रोने लगे। यह पूछने पर कि कब यहां से छोड़ने को कहा गया है, बूटन बोले, ”छोड़ेंगे नहीं… किसी को मिलने भी नहीं आने दे रहे हैं। बोले हैं यहीं रहना है, नहीं तो जेल जाओ।”

सुन्‍दरी में 18 अप्रैल की सुबह साठ-सत्‍तर साल के बूढ़ों के सिर पर डंडा मारा गया है। औरतों के कूल्‍हों में डंडा मारा गया है। जहूर को पुलिस ने इतनी तेज़ हाथ पर मारा कि तीन उंगलियां ही फट गयी हैं। पुलिस अधीक्षक यादव कहते हैं, ”सिर पर इरादतन नहीं मारा गया, ये ”इन्सिडेन्‍टल” (संयोगवश) है।” ”क्‍या तीनों बुजुर्गों के सिर पर किया गया वार ”इन्सिडेन्‍टल” है?” इस सवाल के जवाब में वे बोले, ”बल प्रयोग किया गया था, ”इन्सिडेन्‍टल” हो सकता है। हम कोई दुश्‍मन नहीं हैं, इसकी मंशा नहीं थी।” ”और 14 अप्रैल को अकलू के सीने को पार कर गयी गोली?” यादव विस्‍तार से बताते हैं, ”पुलिस ने अपने बचाव में गोली चलायी। थानेदार (कपिलदेव यादव) को लगा कि मौत सामने है। वैसे भी हमारे यहां पहले एसडीएम पर हमला हो चुका है। सबसे पहले अकलू ने बांस की पटिया से थानेदार को मारा। फिर उसके भाई रमेश ने थानेदार के हाथ पर कुल्‍हाड़ी से हमला किया। पुलिस अफसर नीचे गिर गया। उसे लगा कि वह नहीं बच पाएगा, तो उसने रक्षा के लिए हवा में दो राउंड फायर किया।”

यह पूछे जाने पर कि हवा में फायर करने से अकलू की छाती के पास गोली कैसे लगी, यादव कहते हैं, ”थानेदार ”लेड डाउन” (पीछे की ओर झुका हुआ) था, ऐसी आपात स्थिति में ज्‍योमेट्री नहीं नापी जाती है। उसने खुद कहा कि उसे पता ही नहीं चला कि गोली कहां लगी है।” इस घटना के बारे में बीएचयू में भर्ती अकलू का कहना है, ” हमको मारकर के थानेदार (कपिलदेव यादव) अपने हाथे में गोली मार लिए हैं और कह दिए कि ये मारे हैं… बताइए…।” (अकलू का पूरा बयान पढ़ने के लिए यहां जाएं)

Recent Posts

  • Featured

Kashmir: Indoor Saffron Farming Offers Hope Amid Declining Production

Kashmir, the world’s second-largest producer of saffron has faced a decline in saffron cultivation over the past two decades. Some…

34 mins ago
  • Featured

Pilgrim’s Progress: Keeping Workers Safe In The Holy Land

The Church of the Holy Sepulchre, Christianity’s holiest shrine in the world, is an unlikely place to lose yourself in…

3 hours ago
  • Featured

How Advertising And Not Social Media, Killed Traditional Journalism

The debate over the future relationship between news and social media is bringing us closer to a long-overdue reckoning. Social…

4 hours ago
  • Featured

PM Modi Reading From 2014 Script, Misleading People: Shrinate

On Sunday, May 5, Congress leader Supriya Shrinate claimed that PM Narendra Modi was reading from his 2019 script for…

4 hours ago
  • Featured

Killing Journalists Cannot Kill The Truth

As I write, the grim count of journalists killed in Gaza since last October has reached 97. Reporters Without Borders…

1 day ago
  • Featured

The Corporate Takeover Of India’s Media

December 30, 2022, was a day to forget for India’s already badly mauled and tamed media. For, that day, influential…

1 day ago

This website uses cookies.