यह मशाल ओलंपिक की नहीं, जन विद्रोह की है
Oct 20, 2011 | Pratirodh Bureauग्रीस ने अपने आधुनिक दौर का शायद सबसे बड़ा प्रदर्शन देखा है. शायद मुख्यधारा के मीडिया को यह नज़र न आ रहा हो पर दो लाख से ज़्यादा की भीड़ सड़कों पर है और सरकार की नीतियों के खिलाफ ज़ोरदार प्रदर्शन हुआ है.
48 घंटे के विरोध के आहवान पर हज़ारों का हुजूम कल से ही जुटना शुरू हो गया था और गुरुवार को इसने महासागर जैसा रूप ले लिया.
एथेंस सुलग उठा. किसी ओलंपिक की मशाल से नही, किसी विश्व विजय का इतिहास बताने वाली कहानी से नहीं, सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ लोगों के उग्र हो चले प्रदर्शन से.
इस भीड़ ने बहुत शांतिपूर्ण ढंग से अपने विरोध प्रदर्शन को शुरू किया पर कुछ जगहों पर आगजनी और पथराव की भी ख़बरें आ रही हैं. सड़कें लोगों से अटी पड़ी हैं. पुलिस बेबस और लोग हताश नज़र आ रहे हैं.
ग्रीस में ताज़ा कटौतियों के विरोध में लोग प्रदर्शन कर रहे हैं. मंदी की मार और कर्ज़े का बोझ लिए घिसट रहे ग्रीस के पास आर्थिक नीतियों को नए ढर्रे पर लाने की कोई तैयारी या राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं दिखती. जो दिखता है, वो है अपने आकाओं की रायशुमारी के मुताबिक नए फैसले लेना जिनका न तो कोई दूरगामी लाभ है और न ही जनहित का इससे कोई वास्ता.
बीबीसी के मुताबिक वामपंथियों के समर्थन वाली ट्रेड यूनियनों के प्रदर्शन पर कुछ नकाबपोश हमलावरों ने पथराव भी किया है. इन दंगाइयों ने पैट्रोल बम भी फेंके. बदले में पुलिस ने भी आंसू गैस का प्रयोग किया है.
सड़कों पर पत्थर, टूटे-फूटे सामान, घायल लोग, पुलिस की बेहिसाब तैनाती, आगजनी और अफरातफरी की तस्वीरें ग्रीम से देखने को मिल रही हैं.
समाजवादियों के प्रभुत्ववाली संसद में एक कठोर बिल पर गुरूवार को अंतिम मोहर लगाई जा रही है जिसमें कई तरह की कर बढ़ोत्तरी और तनख्वाहों में कटौती के प्रावधान हैं.
कर्जें में डूबे ग्रीस को अपने आर्थिक स्थिति और कर्ज़ निपटाने के लिए इस तरह के कदम उठाना ज़रूरी लग रहा है पर इन्हें व्यापक जनविरोध का सामना करना पड़ रहा है.
सरकारी अमले के कर्मचारियों से लेकर टैक्सी ड्राइवर, चिकित्सक, वकील, अध्यापक, निर्माण कार्यों के कर्मचारी, मजदूर, और ऐसे कई वर्गों के लोग प्रदर्शनों में शामिल हुए हैं.