रीटेल में एफ़डीआई का फैसला अमरीकी दबाव में
Nov 30, 2011 | शेष नारायण सिंहखुदरा कारोबार में विदेशी पूंजी के निवेश पर केंद्र सरकार के ऊपर राजनीतिक हमले बहुत तेज़ हो गए है. विपक्ष के साथ साथ यूपीए की साथी पार्टियों ने भी खुलेआम सरकार का विरोध किया.
कम्युनिस्ट पार्टी के संसद सदस्य गुरुदास दासगुप्ता ने साफ़ आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को वादा किया था कि अमरीकी अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए लिए वे अपने देश के रिटेल कारोबार को बड़ी अमरीकी कंपनियों के लिए खोल देगें.
इसीलिये उन्होंने बिना संसद को भरोसे में लिए कैबेनिट में ऐसा फैसला ले लिया जिसकी वजह से आने वाली पीढियां भी परेशानी में पड़ सकती हैं.
उन्होंने यह कहा कि इस फैसले को लेने में डॉ मनमोहन सिंह ने जो हड़बड़ी दिखाई है वह शक़ पैदा करती है . गुरुदास दासगुप्ता ने आरोप लगाया कि मनमोहन सिंह ने यह फैसला किसी दबाव में लिया है.
उनका कहना है कि यह फैसला आर्थिक कारणों से नहीं राजनीतिक कारणों से लिया गया है. प्रधानमंत्री पर गंभीर आरोप लगाते हुए वाम मोर्चे ने कहा कि इस फैसले से देश का कोई भला नहीं होगा.
इसके पहले मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्यसभा में नेता, सीताराम येचुरी ने कहा कि जब संसद का सत्र चल रहा हो तो इतने अहम फैसले को संसद को विश्वास में लिए बिना लेना बिलकुल गलत है.
उन्होंने कहा कि जो हड़बड़ी केंद्र सरकार ने दिखाई है, वह बिल्कुल आश्चर्यजनक है. आज़ादी के बाद के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ जब किसी सरकार ने इस तरह का काम किया हो.
सीताराम येचुरी ने आरोप लगाया कि सरकार का यह कहना कि वे इस मुद्दे पर संसद में बहस करने को तैयार हैं, कोई मतलब नहीं रखता. सवाल पैदा होता है कि जब सरकार ने फैसला ले ही लिया है तो सदन में बहस का अभिनय करने का क्या मतलब है.
वामपंथी मोर्चे की मांग है कि सरकार ने खुदरा कारोबार में विदेशी निवेश करने का जो फैसला लिया है पहले उसे वापस ले तभी उस पर बहस की बात का कोई मतलब निकलेगा.
उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार नहीं चाहती कि संसद के शीतकालीन सत्र में महत्वपूर्ण बिल लाये जा सकें, इसलिए वह किसी न किसी बहाने संसद की कार्यवाही में बाधा डालने के हालात पैदा कर रही है. सरकार ने सारे विपक्ष को अपने खुदरा कारोबार वाले फैसले से उत्तेजित करने की कोशिश की है जिसके बाद ऐसा माहौल बन सके कि कोई काम न हो और बाद में वह देश को बता सके कि विपक्ष ने काम नहीं करने दिया इसलिए लोकपाल समेत और भी बिल नहीं लाये जा सके.
सीताराम येचुरी ने आरोप लगाया कि सरकार अखबारों में विज्ञापन लाकर खुदरा कारोबार में विदेशी निवेश के मामले में गलत बयानी भी कर रही है. वे इसका भी विरोध करते हैं.
लोकसभा में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता बासुदेव आचार्य ने बताया कि वाणिज्य मंत्रालय की संसद की स्थायी समिति ने एक राय से सरकार से सिफारिश की थी कि मल्टी ब्रान्ड या सिंगल ब्रान्ड, किसी भी खुदरा कारोबार में विदेशी पूंजी के निवेश की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.
वामपंथी मोर्चे ने कहा कि उनकी तरफ से लोकसभा में काम रोको प्रस्ताव दिया गया है. जब तक सरकार विदेशी पूंजी निवेश वाले अपने फैसले को वापस नहीं लेती, तब तक उस पर भी बहस नहीं की जायेगी.