एयरटेल, वोडाफोन 2-जी घोटाले में शामिलः सीबीआई
Nov 27, 2011 | Pratirodh Bureauदूरसंचार क्षेत्र की दो बड़ी कंपनियां, एयरटेल और वोडाफोन भी 2 जी घोटाले में शामिल हैं.
यह घोटाला तत्कालीन सूचना मंत्री प्रमोद महाजन के कार्यकाल का है और उस वक्त केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन की सरकार थी.
सीबीआई की ताजा एफ़आईआर रिपोर्ट में यह बात सामने आई है.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को वर्ष 2001 से 2007 तक के स्पेक्ट्रम आवंटन की जांच करने के लिए कहा था.
सीबीआई ने अपनी एफआईआर रिपोर्ट में इन दोनों कंपनियों पर गलत तरीके से सरकारी अधिकारियों से सांठगांठ करके स्पेक्ट्रम हासिल करने का आरोप लगाया है.
सीबीआई के मुताबिक यह घोटाला क़रीब 508 करोड़ रुपए का है.
एफ़आईआर के मुताबिक दूरसंचार विभाग के सचिव श्यामल घोष ने तकनीकी कमेटी की रिपोर्ट को दरकिनार करते हुए विभाग के दूसरे अधिकारियों के साथ मिलकर एयरटेल और हच(अब वोडाफोन) को 6.2 मेगाहर्ट्ज़ ज्यादा स्पेक्ट्रम दिया.
एनडीए बनाम यूपीए
जैसे जैसे 2-जी घोटाले की जांच का काम आगे बढ़ रहा है, नए नामों के सामने आने का सिलसिला भी चल रहा है. राजनीतिक तीर-कमानी इसे और पैना कर रही है.
यूपीए-2 को गहरी चोट लगी है. कीचड़ कपड़ों पर साफ दिख रहा है. अब बारी दूसरों के भी सामने आने की है.
अरुण शौरी से लेकर एनडीए के कार्यकाल के तमाम नेता, मंत्री इस मुद्दे पर अपने कार्यकाल को भागीरथी की तरह पावन बताते रहे.
पर सच्चाई का प्याज़ उनकी भी आंखों में आंसू ला रहा है. एनडीए के युवा सेनापति प्रमोद महाजन का नाम इसमें खुलकर सामने आ गया है.
सीबीआई की एफआईआर में सीधे तौर पर प्रमोद महाजन का ज़िक्र है.
यह दिखाता है कि सरकार चाहे किसी भी प्रमुख राजनीतिक धड़े के नेतृत्व में बने, कॉर्पोरेट के निजी हितों के आगे सभी देश के और आम लोगों के हितों को बेचने में पीछे नहीं रहते.
यही कारण है कि केवल 2-जी ही नहीं, खदानों, खनिजों या जंगलों, जल संसाधनों पर कब्ज़े में पिछले दो दशकों की सारी सरकारें कॉर्पोरेट के आगे नतमस्तक दिखाई दी हैं और राजनीति में बची-खुची नैतिकता, मर्यादा की भी अर्थी उठाई जा चुकी है.