वामपंथ और पहचान की राजनीतिः एरिक हॉब्सपबॉम
देश में इस वक्त कई परिघटनाएं एक साथ पैदा हुई हैं। गुजरात से उत्तर भारतीयों को भगाया जा रहा है। महिलाएं अपने उत्पीड़न की कहानियां #MeToo के माध्यम से सुना रही हैं। इन अलग-अलग घटनाओं को समझने के लिए बीसवीं सदी के सबसे बड़े मार्क्सवादी चिंताकों में एक एरिक हॉब्सबॉम का 1996 में दिया यह व्याख्यान पढ़ना बहुत ज़रूरी है। वे बताते हैं कि कैसे हर किस्म की पहचान की राजनीति अंतत: दक्षिणपंथ को ही मदद पहुंचाती है।