देवियानी के बहाने देशभक्ति शर्मनाक

दीपक कुमार

13 दिसंबर 2013 को भारतीय राजनयिक देवियानी खोरपड़े की गिरफ्तारी के तौरतरीके से भारतीय मीडिया और उसके नायक नेता आग उगल रहे हैं. देशभक्ति अच्छी लगती है. नि:संदेह पुलिस के गलत व्यवहार की आलोचना होनी चाहिए. लेकिन थोड़ा और जड़ में जाना चाहिए. लेकिन जब अंदर की हकीकत जानेंगे तो साफ होगा कि हमारी देशभक्ति कितनी खोखली है.

यह मामला भारतीयों का भारतीय से हुए शोषण से जुड़ा है. यह मामला न्यूनतम मजदूरी का है जिसे राजनयिक देवियानी नहीं देना चाहती थीं. उसके लिए विजा कानून और फर्जी स्टेटमेंट तक दाखिल किया है. यह अमेरिका नहीं हमारे देश के भीतर ही मौजूद दो देशों की कहानी है.

हमारे हाथ 11 पन्नों वाला आरोप पत्र लगा. यह दस्तावेज 11 दिसंबर 2013 को दक्षिणी न्यूयार्क की मजिस्ट्रेट डेब्रा फ्रीमैन के सामने पेश हुआ. दस्तावेज के मुताबिक देवियानी पर दो आरोप लगे हैं. (Violation of 18 U.S.C. **1001,1546 (a) 2.) आरोप नंबर 1- विजा फ्रॉड. आरोप नंबर 2- गलतबयानी (फाल्स स्टेटमेंट) Khobragade, Devyani Complaint

जांच अधिकारी मार्क जे स्मिथ ने आरोप पत्र दो गवाहों से बात करके तैयार किया. एक गवाह तो नौकर है जिसे दस्तावेज में गवाह-1 कहा गया. दूसरा गवाह-2, जिसने भारत में बने कांट्रैंक्ट पर बतौर गवाह हस्ताक्षर किया था.

देवियानी को डोमेस्टिक हेल्पर और बेबी सिटर चाहिए था. अमेरिकी कानून के मुताबिक डिप्लोमेंट को A 1 विजा और उनके निजी नौकर को A 3 विजा का प्रावधान है. अगस्त के आसपास देवियानी भारत गई. सितंबर 2012 में देवियानी ने भारत में हेल्पर ढूंढ लिया. पैसे पर बातचीत हुई. डोमेस्टिक हेल्पर ने स्मिथ को बताया कि शुरुआत में ट्रॉयल के बतौर घर पर काम किया लिया गया. फिर देवियानी ने कहा तुम्हे न्यूयार्क में हर महीने 25 हजार रुपए मिलेंगे. ओवर टाइम होने पर 5 हजार अतिरिक्त. जांच अधिकारी स्मिथ कहते हैं कि उन्होने ट्रेजरी डिपॉर्टमेंट से उस दिन का डॉलर और रुपए का एक्सचेंज रेट पता किया. 1 डॉलर के बदले रुपया उस दिन 52.35 पर था. इस हिसाब से देवियानी नौकर को 30 हजार रु यानी 573.07 डॉलर देंगी. हफ्ते में 40 घंटे काम का मतलब महीने में 4.3 हफ्ते. करीब हर एक घंटे के 3.37 डॉलर देने की बात हुई.

लेकिन देवियानी जानती थीं कि अमेरिका में कम से कम 9.75 डॉलर हर घंटे न्यूनतम मजदूरी है. भारत में नौकर से जबानी बातचीत में तय हुआ. लेकिन A 3 विजा के लिए जरूरी था कि इंप्लॉयर (देवियानी) और नौकर के बीच कांट्रैक्ट बने. जिसमें सभी सेवा शर्तों का साफ-साफ जिक्र हो. देवियानी ने पहला कांट्रैक्ट बनाया और जिसमें हर घंटे 9.75 डॉलर देने का जिक्र था. बाकी शर्तें भी अमेरिकी कानून के मुताबिक थीं. नौकर को कहा गया कि विजा इंटरव्यू में 30 हजार रु महीने की जगह हर घंटे 9.75 डॉलर देने की बात बतानी होगी. नौकर ने वही किया. नवंबर 2012 से यह कांट्रैक्ट लागू था. स्मिथ आगे कहते हैं न्यूयार्क आने से पहले दवियानी ने नौकर को कहा कि एक दूसरा कांट्रैक्ट बनाना होगा. जिसमें अधिकतम 30 रुपए महीने की सैलरी का जिक्र था. नौकर भागा-भागा हस्ताक्षर किया. देवियानी A 3 विजा पहले कांट्रैक्ट पर हासिल कीं और शर्तों के लिए दूसरे कांट्रैक्ट को आगे कर दिया. स्मिथ कहते हैं कि दूसरा कांट्रैक्ट पहले वाले को ही सुधारकर बनाया गया.

27 सितंबर 2012 को वीजा A 1(खुद के लिए) हासिल करने के लिए देवियानी ने इलेक्ट्रॉनिक विजा फॉर्म डीएस 160 भरा. जबकि 15 अक्टूबर को उसी आईपी एड्रेस से नौकर के विजा A3 के लिए डीएस 160 भरा गया. इस विजा आवेदन में कहा गया कि हर महीने 4500 डॉलर सैलरी की बात कही गई थी. पहली बार नौकर को विजा A3 के इंटरव्यू से लौटा दिया गया. क्योंकि उसके पास जरूरी कागजात जैसे कांट्रैक्ट नहीं था. देवियानी ने पहला कांट्रैक्ट बनवाया और कहा कि वे सैलरी डॉलर में और पौन दस डॉलर प्रति घंटा बताए न कि 30 हजार रुपए प्रति महीना.

-दोनों भारतीय हैं हमें किसके साथ खड़ा होना चाहिए? देवियानी या नौकर के साथ. अमेरिकी पुलिस तो तीसरा पक्ष है. अगर उसने बदतमीजी की है तो आलोचना होनी चाहिए लेकिन हम उस संस्कृति का क्या करें जो बवासीर की तरह है लेकिन इलाज कराना नहीं चाहते. हम उसे खबरों में ऐसे परोसते हैं कि पता नहीं चलता कि मामला क्या है?

-हम न्यूनतम वेतन जैसी गारंटी करने वाले किसी कानून के साथ खड़ें होंगे या डिप्लोमेटिक इम्यूनिटी चाहेंगे?

अमेरिका या बाकी पश्चिमी देश हर मामले में भले सही नहीं हों लेकिन अपने देश में वे नागरिक अधिकारों को लेकर ज्यादा सजग होते हैं. बच्चे को स्पून से फूंडिंग कराने और साथ बिस्तर पर सुलाने से जुड़ा नार्वे का कानून हो या न्यूनतम वेतन की गारंटी के लिए उठाया गया सख्त कानून. दूसरे शब्दों में कहें तो न्यूनतम वेतन देने से बचने की कोशिश में किया गए दांवपेंच क्या गुनाह नहीं है?

पक्ष विपक्ष में शामिल नेताओं और सूचना तंत्र के बाबाओं की बाजा बजाते हुए ब्रेकिंग न्यूज में कहीं से यह खबर नहीं आई है.

देश भक्तों की सूची में शामिल हैं मायावती (बीएसपी), स्मृति ईरानी (बीजेपी),राम माधव (आरएसएस) यशवंत सिन्हा (बीजेपी) के अलावा लोकसभा स्पीकर, नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी.

वेलकम टू इंडिया सर जी!

Recent Posts

  • Featured

Dealing With Discrimination In India’s Pvt Unis

Caste-based reservation is back on India’s political landscape. Some national political parties are clamouring for quotas for students seeking entry…

28 mins ago
  • Featured

‘PM Modi Wants Youth Busy Making Reels, Not Asking Questions’

In an election rally in Bihar's Aurangabad on November 4, Congress leader Rahul Gandhi launched a blistering assault on Prime…

17 hours ago
  • Featured

How Warming Temperature & Humidity Expand Dengue’s Reach

Dengue is no longer confined to tropical climates and is expanding to other regions. Latest research shows that as global…

21 hours ago
  • Featured

India’s Tryst With Strategic Experimentation

On Monday, Prime Minister Narendra Modi launched a Rs 1 lakh crore (US $1.13 billion) Research, Development and Innovation fund…

21 hours ago
  • Featured

‘Umar Khalid Is Completely Innocent, Victim Of Grave Injustice’

In a bold Facebook post that has ignited nationwide debate, senior Congress leader and former Madhya Pradesh Chief Minister Digvijaya…

2 days ago
  • Featured

Climate Justice Is No Longer An Aspiration But A Legal Duty

In recent months, both the Inter-American Court of Human Rights (IACHR) and the International Court of Justice (ICJ) issued advisory…

2 days ago

This website uses cookies.