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गांधीवादी हूं, गांधी नहीः मुंतज़र अल ज़ैदी

Apr 18, 2012 | शशि कपूर
अमरीका के राष्ट्रपति रहते हुए बुश को जिस एक व्यक्ति ने दुनिया के सबसे ताकतवर इंसान से सबसे कमज़ोर इंसान में तब्दील कर दिया था, वो थे मुंतज़र अल  ज़ैदी. ज़ैदी का जूता बुश के लिए उछला और इसी के साथ अमरीका के मध्यपूर्व अभियान का विरोध दुनियाभर में एक नए, छोटे लेकिन निहायत प्रभावी ढंग से सामने आया. कुछ अरसे पहले ज़ैदी दिल्ली आए तो पत्रकार मनीषा भल्ला ने उनसे लंबी बातचीत की. पढ़िए कुछ प्रमुख अंश-
 
आप गांधीवादी हैं, तो जूता मारने की घटना हिंसक कार्रवाई नहीं थी क्या?
 
मैं गांधीवादी जरूर हूं लेकिन गांधी नहीं हो सकता. गांधी तो एक ही थे. मैं बुश पर जूता मारने को हिंसक  कार्रवाई नहीं मानता हूं क्योंकि यह मेरे विरोध का एक तरीका था.
 
कितना और किस  बात का गुस्सा था कि आपने बुश पर जूता दे मारा?
 
शुरू से ही देख रहा था. वर्ष 1991 में अमरीकी हमारे मुल्क में घुस आए. पांच लाख बच्चे यतीम हो गए, एक लाख औरतें विधवा हो गईं, शहरों के शहर तबाह हो गए, झूठ के पुलिंदों पर अमरीका ने इराक़ पर हमला किया. उन्होंने हमसे झूठ बोला कि वे यह सब इराकियों की भलाई के लिए काम कर रहे हैं. मैं अमरीका को यह बताना चाहता था कि  आम इराकी उनसे सहमत नहीं है और वे झूठ बोल रहे हैं कि  वह यह लड़ाई हमारे लिए लड़ रहे हैं.
 
जूता मारने का आइडिया कैसे आया?
 
बुश पर जूता फेंकने की  योजना बहुत देर से बना रहा था. मैं बुश को यादगार सलामी देना चाहता था जिससे वह जीवन में कभी  उबर न सके. अरब देशों नें किसी को  जलील करने से ज्यादा बड़ा कुछ  नहीं होता, खासकर जूता मारकर जलील करना. इसलिए मैंने बुश को  सलामी देने के लिए उसपर जूता फेंकने की  योजना बनाई. इस खास मौके के लिए मैंने मिस्त्र से जूता खरीदा था. मैंने उसे बुश पर फेंकने लिए हमेशा संभाल कर रखा था.
 
उस वक्त सुरक्षा इंतजाम काफी  रहे होंगे, यह सब आपके लिए आसान नहीं रहा होगा कि  गए और जूता मार दिया. आपने क्या सोचा था कि सबसे पहले क्या करना  है वगैरह-वगैरह?
 
सुरक्षा इंतजामात की जहां तक बात है तो मुझे 25 जगह से तलाशी देते हुए गुजरना पड़ा. जब दूसरी दफा स्नीफर डॉग मुझे सूंघ रहा था तो मै मन ही मन बहुत हंसा कि अगर तुम लोग के पास मेरी नीयत जांच का कोई यंत्र होता तो ऐसा कभी नहीं होता जो हुआ. उसके  बाद अमरीकी सेना ने सभी पत्रकारों को  बाहर बुलाकर एक-एक की तलाशी ली. मैंने जूते अंदर ही खोल दिए और तलाशी लेने के  लिए नंगे पांव बाहर आ गया. जब वह तलाशी ले रहे थे तो मैं सोच रहा था कि  हथियार तो सिर्फ मेरे पास हैं, जिसे तुमने जांचा ही नहीं.
 
जूता मारने से पहले डर नहीं लगा कि  अगर मौत की  सजा हो जाती तब?
 
बुश की  प्रेस कॉन्फ्रेस के बारे में मुझे बहुत शॉर्ट नोटिस पर बताया गया था. मैंने तैयारी तो पहले से ही कर रखी थी. उस दिन मेरे भाईजान ने मुझे डिनर पर भी बुलाया था. मैं उस सड़क  पर जाकर  खड़ा हो  गया कि या तो डिनर पर चला जाऊं या प्रेस कॉन्फ्रेस  में. प्रेस कॉन्फ्रेस में जाता हूं तो कभी  लौटकर नहीं आउंगा. मैंने तय किया कि  मैं प्रेस कॉन्फ्रेस में ही जाउंगा. मैं सड़क से गलियां और इमारतें देखता हुआ गया जैसे कि अब मैं कभी लौट नहीं पाउंगा.
 
आप क्या मानते हैं कि  आपके द्वारा जूता मारने का उद्देश्य पूरा हुआ या नहीं?
 
हां हुआ. इस घटना से अपने आपको ताकतवर समझने वाले इंसान को  मैं दुनिया के  सामने झूठा साबित करना चाहता था जो कि मैंने किया. झूठ का  खुलासा हुआ.  दुनिया को पता लगा कि आम इराकी  में अमरीकी नीतियों को लेकर कितना गुस्सा है. मैंने दुनिया को  बताया कि  आम इराकी को, बुश और उसकी  फौज स्वीकार नहीं.
 
आजकल इराक में कैसा माहौल है? इसके बारे में भारतीयों को क्या बताना चाहेंगे?
 
भ्रष्टाचार है, बेरोजगारी है, आम इराकी  हताश है, नाखुश है. जेल से रिहा होने के  बाद मैंने इन मुद्दों को लेकर पहली बार बगदाद में रैली का  आयोजन किया, मुझे फौरन गिरफ्तार कर  लिया गया.
 
जब आपने बुश पर जूता फेंका था तब इराक में माहौल कैसा था?
 
बुरी हालत थी. लड़ाई लगी हुई थी, अफरा-तफरी का  माहौल था. खून-खराबा था.
 
इस आरोप में आपने 9 महीने जेल में काटे , कैसे काटे वह दिन? सुना है आपको काफी यातनाएं दी गईं?
 
दुनिया की  जितनी यातनाएं होती हैं वे सब मुझे दी गई. चाबुक  मारे गए,, बिजली के करंट दिए गए, मेरे दांत और पसलियां तोड़ दी गईं, बुरा से बुरा व्यवहार किया गया मेरे साथ. मुझे माफी मांगने के लिए कहा जा रहा था, जो मैंने नहीं मांगी.
 
आपको एक अखबार ने आधुनिक  गांधी कह  दिया था?
 
फ्रांस के  एक अखबार ने मुझे आधुनिक गांधी लिखा था.
 
आजकल  क्या कर  रहे हैं?
 
आजकल मैं लिबनन टीवी चैनल में काम कर रहा हूं.
 
अपनी निजी जिंदगी के बारे में कुछ  बताएं? एक विद्रोही तेवर वाले मुंतजिर के अलावा मुंतजिर अल जैदी क्या हैं और कौन  हैं? खासकर आपका पालन-पोषण कैसा  हुआ? माता-पिता कैसे  थे?
 
जीवन में हमेशा तकलीफ के सिवा कुछ नहीं रहा. पिता सेना में थे, वे मिशन पर थे जहां उनकी आंखें चली गई और उन्हें लकवा मार गया. जब मैं पैदा हुआ तो वह मुझे छूकर  महसूस करते थे, मुझे हाथ से टटोलते थे. फिर उनकी मौत हो गई. मेरे लिए सबसे गमगीन दिन था वह. फिर 1991 में लड़ाई लग गई. तब मैं 12 साल का  था. बीस साल का हुआ तो मां की  मौत हो गई. मां की  मौत ने तोड़कर रख दिया. फिर एक लड़की से मुझे बेइंतहा मोहब्बत हुई उसने भी धोखा दे दिया. कुल  मिलाकर जीवन में तकलीफें ही रहीं.
 
सुना है कि फ्रांस में आयोजित एक  प्रेस कॉन्फ्रेस में आप पर भी जूता फेंका गया था? अगर यह सच है तो किसने फेंका और क्यो फेंका गया था जूता आप पर?
 
फ्रांस में एक प्रेस कॉन्फ्रेस  में एक अमरीका समर्थक ने मुझपर जूता फेंका  था. उसे लगता था कि  मैं इराक़  में  तानाशाही का  समर्थक हूं. लेकिन मैंने उसे कहा कि जूता मारकर विरोध करना तो मेरा तरीका है, इसे तुम कैसे  चुरा सकते  हो.
 
आपके बुश पर जूता फेंकने के बाद भारत में भी नेताओं पर जूता मारने की कुछ  घटनाएं हुईं? आपके अनुसार अगर नेताओं से जनता परेशान हो जाए और नेता न सुने तो उनपर जूता फेंकना कितना जायज है?
 
भारत में भी ऐसा हुआ इस बात की तो मुझे जानकारी नहीं है लेकिन कोई भी ऐसा कदम तभी उठाता है जब हताश हो, मायूस और गुस्सा हो.
 
राजनीति में जूता मारने को विरोध के एक विकल्प के तौर पर देखा जा सकता है क्या?
 
नहीं, मैं ऐसा कभी  नहीं कहूंगा. दरअसल अपना-अपना विरोध करने का तरीका है और सभी विरोध कर सकते हैं.
 
बुश के प्रति नफरत जताने के लिए आपने उन्हें जूता ही क्यों मारा?  कुछ और भी तो मार सकते  थे जिससे उन्हें नुकसान पहुंच सकता  था?
 
जूता मारने से बेहतर जलालत वाला काम और कुछ हो नहीं सकता था. मैं उसे जलील कर उसका झूठ सामने लाना चाहता था.
 
कैसे  हालात हैं अरब देशों में? जनता क्या चाहती है?
 
आजादी, लोकतंत्र, अपनी भागीदारी.
 
भविष्य की योजनाएं क्या हैं?
 
अल जैदी फाउंडेशन बनाया है. अमरीका ने जहां भी जुल्म किए हैं, वहां के लोग इसमें शामिल हो सकते हैं. उनके लिए हम इलाज और शिक्षा का काम करते हैं.
 
अगर बुश दोबारा सामने आ जाएं तो आप क्या करेंगे?
 
मैं बुश को अंतरराष्ट्रीय अदालत में ले जाना चाहता हूं जहां उनपर मुकदमा चल सके.
 
भारत में अत्याचार के  खिलाफ आम आदमी को बगावत कैसे करनी चाहिए?
 
भारत गांधी का देश है. गांधीवादी तरीके से ही विरोध होना चाहिए.

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