Skip to content
Hindi News, हिंदी समाचार, Samachar, Breaking News, Latest Khabar – Pratirodh

Hindi News, हिंदी समाचार, Samachar, Breaking News, Latest Khabar – Pratirodh

Primary Menu Hindi News, हिंदी समाचार, Samachar, Breaking News, Latest Khabar – Pratirodh

Hindi News, हिंदी समाचार, Samachar, Breaking News, Latest Khabar – Pratirodh

  • Home
  • Newswires
  • Politics & Society
  • The New Feudals
  • World View
  • Arts And Aesthetics
  • For The Record
  • About Us
  • Arts And Aesthetics

संस्कृतिकर्मी कुबेर दत्त का निधन एक बड़ी क्षति

Oct 4, 2011 | सुधीर सुमन

प्रसिद्ध कवि, फिल्मकार, चित्रकार और दूरदर्शन के पूर्व चीफ प्रोड्यूसर कुबेर दत्त का आज निगमबोध घाट पर अंतिम संस्कार हुआ और उनकी अस्थियां गढ़ मुक्तेश्वर में गंगा में विसर्जित की गईं.

 
इस अवसर पर उनकी बेटी पूर्वा धन श्री, दामाद राजन, उनके बड़े भाई रवि दत्त और छोटे भाई सोमदत्त समेत उनका सारा परिवार मौजूद था.
 
दो अक्टूबर को दोपहर बाद उनकी पत्नी प्रसिद्ध नृत्यांगना और दूरदर्शन अर्काइव्स की पूर्व निदेशक कमलिनी दत्त जब दिल्ली पहुंची, तो उन्होंने पाया कि वे जीवित नहीं हैं. सुबह किसी वक्त नींद में ही उन्होंने आखिरी सांस ली होगी.
 
उनके निधन से साहित्य-संस्कृति और मीडिया की दुनिया में शोक की लहर दौड़ गई. किसी को यकीन ही नहीं हो रहा था कि जबर्दस्त कलात्मक ऊर्जा, वैचारिक आवेग और गहरी संवेदनशीलता से भरे कुबेर दत्त, जिन्होंने अभिव्यक्ति के लिए कई बार जोखिम उठाए, साहित्य-राजनीति की सत्ताओं से टकराव मोल लिया, वे इस कदर चुपचाप हमारे बीच से चले जाएंगे.
 
साहित्य-संस्कृति की दुनिया में सक्रिय हर पीढ़ी के लोगों से उनके गहरे संवेदनात्मक संबंध थे. आज मयूर विहार फेज-1 से जब उनकी आखिरी यात्रा की शुरुआत हुई तब हंस के संपादक राजेंद्र यादव भी वहां मौजूद थे. उन्हें अंतिम विदाई देने के लिए निगमबोध घाट पर दिल्ली के साहित्यकार-संस्कृतिकर्मियों और मीडियाकर्मियों की लहर उमड़ पड़ी.
 
जन संस्कृति मंच के राष्ट्रीय महासचिव प्रणय कृष्ण ने कुबेर दत्त के शोकसंतप्त परिजनों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा है कि कुबेर जी का निधन वामपंथी-लोकतांत्रिक सांस्कृतिक धारा और जनपक्षधर मीडिया की दुनिया के लिए भारी क्षति है.
 
प्रगतिशील-जनसांस्कृतिक मूल्यों के लिए कार्यरत अधिकांश लोगों के साथ उनके बहुत अंतरंग रिश्ते थे। काल काल अपात, केरल प्रवास, कविता की रंगशाला, धरती ने कहा फिर… और अंतिम शीर्षक नामक कविता पुस्तकों में हमारे समय की जटिलता, गहरा संकट, खौफ और उससे मुक्ति की जो बेचैनी है, वह पाठकों को बेहद बेचैन करती है.
 
गहरी आत्मीयता से भरे उनके संस्मरण कभी भुलाए नहीं जा सकते. 1973 में  प्रोड्यूसर की हैसियत से उन्होंने दूरदर्शन में अपने सफर की शुरुआत की थी, बाद में वे चीफ प्रोड्यूसर भी हुए, डीडी भारती की जिम्मेवारी भी संभाली. फिलहाल वे डीडी भारती में सलाहकार थे. अभी भी हर हफ्ते डीडी भारती से उनके द्वारा तैयार ‘किताब की दुनिया’ और ‘सृजन’ कार्यक्रम प्रसारित होता था.
 
वे दूरदर्शन की ओर से नागार्जुन, शमशेर, अज्ञेय और केदारनाथ अग्रवाल के जन्म के सौ साल पूरे होने पर प्रकाशित होने वाली पुस्तक और डीवीडी के संपादन के कार्य में लगे हुए थे. दूरदर्शन में उनके द्वारा हजारों महत्वपूर्ण फीचर तैयार किए गए. अपने दौर की अनेक सांस्कृतिक-साहित्यिक सक्रियताओं को उन्होंने दस्तावेजीकृत किया है, जो हमारी सांस्कृतिक थाती है.
 
उनके द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले कार्यक्रम जनवाणी ने निःसंदेह दूरदर्शन को एक गंभीर और लोकप्रिय मीडिया बनाने में अहम भूमिका निभाई.
 
प्रणय कृष्ण ने कहा कि वे एक अच्छे चित्रकार भी थे, कई लघु पत्रिकाओं ने उनके चित्रों से अपने आवरण भी बनाए.  संगीत की भी उन्हें गहरी समझ थी. रिटायर्ड होने के बाद भी कला-संस्कृति की गतिविधियों पर लिखने का उनका सिलसिला जारी था. वे भारत में बेहतर व्यवस्था के निर्माण के लिए प्रयासरत तमाम लोगों के साथी थे. स्वामी विवेकानंद और क्रांतिकारी हंसराज रहबर से वे बहुत प्रभावित थे. मार्क्सवाद में उनकी गहरी आस्था थी और वे तमाम वामपंथी दलों की एकता के पक्षधर थे. अपनी परंपरा के साकारात्मक मूल्यों से मार्क्सवाद को उन्होंने हमेशा जोड़कर देखा.
 
उन्हें अपना अंतिम सलाम करने विश्वनाथ त्रिपाठी, मुरली मनोहर प्रसाद, चंचल चैहान, मंगलेश डबराल और प्रणय कृष्ण समेत तीनों वामपंथी लेखक संगठनों के पदाधिकारी और सदस्य वहां पहुंचे. वरिष्ठ आलोचक विष्णुचंद्र शर्मा, कवि रामकुमार कृषक, प्रसिद्ध लेखक वीरेंद्र कुमार वर्णवाल, वरिष्ठ साहित्यकार प्रकाश मनु, गजलकार शेरजंग सिंह गर्ग, कवि इब्बार रब्बी, कथाकार महेश दर्पण, साहित्य अकादमी के पूर्व मानद निदेशक दिनेश मिश्र, कथन के संपादक रमेश उपाध्याय, कवि विष्णु नागर, कवि पंकज सिंह, कथाकार पंकज बिष्ट, उद्भावना के संपादक अजेय कुमार, कवि मदन कश्यप, कवि कृष्ण कल्पित, कवि उद्भ्रांत, कवयित्री निर्मला गर्ग, चित्रकार अशोक भौमिक, आलोचक गोपाल प्रधान, कवि-फिल्मकार देवी प्रसाद मिश्र, कवि रमेश आजाद, बली सिंह, धनंजय सिंह, रामनारायण स्वामी, सतीश सागर, सोमेश्वर, श्याम निर्मम, रमेश प्रजापति, पत्रकार उर्मिलेश, भाषा सिंह, मृत्युंजय प्रभाकर, उपेंद्र स्वामी ,दूरदर्शन के पूर्व प्रोड्यूसर शरद दत्त, दूरदर्शन के पूर्व डीजी शशि कपूर, आकाशवाणी के डाइरेक्टर लक्ष्मीशंकर वाजपेयी, राजेशखर ब्यास, भारतेंदु मिश्र, गोपाल गुप्ता, पीएन सिंह, बलदेव बंशी, महेंद्र महर्षि, योगराज टंडन, योग बत्रा, श्याम शर्मा, डीएन शर्मा, अमरनाथ अमर, विवेकानंद और कुबेर दत्त के अभिन्न सहयोगी श्याम सुशील, रोहित कौशिक, रामनिवास समेत दिल्ली के अनेक साहित्यकार-संस्कृतिकर्मी और मीडियाकर्मी वहां मौजूद थे.
 
सूचना
 
सात अक्टूबर को कवि कुबेर दत्त और रंगकर्मी गुरुशरण सिंह की स्मृति में शाम साढ़े पांच बजे जन संस्कृति मंच की ओर से गांधी शांति प्रतिष्ठान में एक शोकसभा रखी गई है. 
 
कुबेर दत्त: एक संक्षिप्त परिचय 
 
जन्म- 1 जनवरी 1949-02 अक्टूबर 2011
गांव- बिटावदा, जिला- मुजफ्फरनगर, उ.प्र.
शिक्षा-एम.ए. हिंदी, पत्रकारिता में डिप्लोमा, फिल्म टीवी इंस्टीट्यूट आॅफ इंडिया, पुणे से दूरदर्शन प्रोड्यूसर के रूप में प्रशिक्षित
प्रकाशित कृतियां- काल काल अपात, केरल प्रवास, कविता की रंगशाला, धरती ने कहा फिर…(कविता संग्रह)
मीडिया- 1973 से दूरदर्शन में प्रोड्यूसर, स.के.नि, अधिशासी निर्माता और मुख्य निर्माता के पद पर कार्यरत
दूरदर्शन में हजारों फीचर्स का निर्माण.
अनेक साहित्यिक-सांस्कृतिक-कला संबंधी कार्यक्रमों का निर्देशन.
चित्रकला में विशेष रुचि। हजारों पेंटिंग बनाए। फिलहाल डीडी भारती के सलाहकार थे.
सार्क लेखक सम्मान, रूस और रेडियो प्राग द्वारा मीडिया पुरस्कार, सिने गोवर्स सोसाइटी ऑफ इंडिया द्वारा ‘सर्वश्रेष्ठ टीवी प्रोड्यूसर’ सम्मान समेत कई पुरस्कार ओर सम्मान.

Continue Reading

Previous कौन जाता है हमेशा की जुदाई देकर…
Next Through the screen, not so darkly

More Stories

  • Arts And Aesthetics
  • Featured

मैं प्रेम में भरोसा करती हूं. इस पागल दुनिया में इससे अधिक और क्या मायने रखता है?

3 years ago PRATIRODH BUREAU
  • Arts And Aesthetics

युवा मशालों के जल्से में गूंज रहा है यह ऐलान

3 years ago Cheema Sahab
  • Arts And Aesthetics
  • Featured
  • Politics & Society

CAA: Protesters Cheered On By Actors, Artists & Singers

3 years ago Pratirodh Bureau

Recent Posts

  • Bhopal Gas Tragedy: NGOs Upset Over Apex Court Ruling
  • Kisan Mahapanchayat: Thousands Of Farmers Gather In Delhi
  • Nations Give Nod To Key UN Science Report On Climate Change
  • AI: The Real Danger Lies In Anthropomorphism
  • BJP, Like Cong, Will Be Finished For Misusing Central Agencies: Akhilesh
  • J&K Admin Incompetent: Omar Abdullah Over Conman Issue
  • Oxygen Loss In Oceans Predicted To Threaten Global Marine Ecosystems
  • Ukraine War Crime Allegations: Arrest Warrant Against Putin
  • COVID, Bird Flu – Why We Are Seeing So Many Viruses Emerge
  • IMSD Takes On Right Wing Muslims Ridiculing LGBTQIA+ Community
  • Nothing Remotely Anti-National About Rahul’s Comments: Tharoor
  • Great Depression, Global Recession Repeat: No Lessons Learnt?
  • Why We Can’t Rely On Air Conditioning To Keep Us Cool
  • Iranian Child Detainees Face Torture In Brutal Protest Crackdown
  • Situation In India No Different From Pak: Mufti
  • A Look At Women On The Frontlines Of Peace
  • Making Sense Of Climate Refugees, Int’l Law & Environmental Disasters
  • Human-Animal Conflict Has Left Madia Gond Tribals Stranded
  • 10,000 Farmers On A ‘Long March’ To Mumbai
  • Civil Society Groups Seek Opposition Help To ‘Save’ MGNREGA

Search

Main Links

  • Home
  • Newswires
  • Politics & Society
  • The New Feudals
  • World View
  • Arts And Aesthetics
  • For The Record
  • About Us

Related Stroy

  • Featured

Bhopal Gas Tragedy: NGOs Upset Over Apex Court Ruling

8 hours ago Pratirodh Bureau
  • Featured

Kisan Mahapanchayat: Thousands Of Farmers Gather In Delhi

8 hours ago Pratirodh Bureau
  • Featured

Nations Give Nod To Key UN Science Report On Climate Change

10 hours ago Pratirodh Bureau
  • Featured

AI: The Real Danger Lies In Anthropomorphism

17 hours ago Pratirodh Bureau
  • Featured

BJP, Like Cong, Will Be Finished For Misusing Central Agencies: Akhilesh

18 hours ago Pratirodh Bureau

Recent Posts

  • Bhopal Gas Tragedy: NGOs Upset Over Apex Court Ruling
  • Kisan Mahapanchayat: Thousands Of Farmers Gather In Delhi
  • Nations Give Nod To Key UN Science Report On Climate Change
  • AI: The Real Danger Lies In Anthropomorphism
  • BJP, Like Cong, Will Be Finished For Misusing Central Agencies: Akhilesh
Copyright © All rights reserved. | CoverNews by AF themes.