Skip to content
Hindi News, हिंदी समाचार, Samachar, Breaking News, Latest Khabar – Pratirodh

Hindi News, हिंदी समाचार, Samachar, Breaking News, Latest Khabar – Pratirodh

Primary Menu Hindi News, हिंदी समाचार, Samachar, Breaking News, Latest Khabar – Pratirodh

Hindi News, हिंदी समाचार, Samachar, Breaking News, Latest Khabar – Pratirodh

  • Home
  • Newswires
  • Politics & Society
  • The New Feudals
  • World View
  • Arts And Aesthetics
  • For The Record
  • About Us
  • Arts And Aesthetics

युवा कवि मुकुल सरल की एक नई कविता

May 17, 2012 | मुकुल सरल

(मुकुल सरल युवा कवि हैं. पत्रकार हैं. लिखते रहते हैं और प्रगतिशील लेखन की परंपरा को आगे ले जाने के लिए खड़े हुए हैं.


इनकी एक ताज़ा कविता यहाँ प्रकाशित कर रहे हैं जो ऐसे समय में लिखी गई है जब हम सत्ता के घड़ियाली आंसुओं का दरिया देख रहे हैं. हत्यारे बगुलों की तरह सफेद हैं और एक पैर पर खड़े हैं. उनके कारनामों पर कुछ भी कह दीजिए, अपना दर्द और टीस प्रकट कर दीजिए तो वे आहत हो जाते हैं.

ऐसे समय में मुकुल सरल की यह कविता प्रासंगिक भी है, पैनी भी और पारखी भी.

आप भी पढ़ें- प्रतिरोध ब्युरो)
 
———————-
 
एक निरर्थक आलाप
 
सच जानिए
मेरे लिखे का कोई अर्थ नहीं
कोई अर्थ खोजने की कोशिश भी मत कीजिए
मैं निरर्थक लिखता हूं
इसे आप बेमतलब, बे-फिज़ूल भी कह सकते हैं
बे-फिज़ूल को बे-फिज़ूल ही पढ़ा और समझा जाए
क्योंकि ‘फिज़ूल’ का भी अपना एक अर्थ, एक मतलब होता है
मैं नहीं चाहता कि किसी भी तरह 
आपकी भावनाओं को कोई ठेस पहुंचे
 
आपकी भावनाएं आहत हों 
और आप अपने आरादायक घरों से 
निकलकर मेरा घर फूंकने का कष्ट करें
या संसद में चिल्ला-चिल्लाकर 
अपना कीमती वक्त और गला ख़राब करें
मैं नहीं चाहता
मुझे आपकी चिंता है
 
मैं जानता हूं कि 
आप पहले ही कितने परेशान हैं
कभी कोई चित्र, कोई कार्टून
आपकी भावनाएं आहत कर जाता है
तो कभी कोई 
कविता, कहानी
नाटक या फिल्म 
 
मैं जानता हूं 
नेहरू-अंबेडकर के साठ साल पुराने कार्टून ने 
अभी-अभी आपको कितना आहत किया है
ममता जी के कार्टून ने कितनी ठेस पहुंचाई
इससे पहले 
कभी फिदा हुसैन, कभी सलमान रुश्दी, 
कभी तसलीमा नसरीन 
आपको कितनी तकलीफ पहुंचाते रहे हैं
 
अब तो प्रेमचंद भी लौट-लौटकर 
बहुत लोगों को चुनौती देते दीखते हैं
और एक गुंटर ग्रास आ गए
अपनी एक कविता लेकर
अमेरिका से लेकर इस्राइल तक 
की भावनाओं को आहत करने
 
इतना ही नहीं
फेसबुक-ट्विटर जैसे शैतान भी हर रोज़ 
गाहे-बगाहे आपकी भावनाओं को चोट पहुंचाते रहते हैं
 
पहले ही लोग कम आहत हैं क्या
वे बड़े जतन से बोते हैं बेटे
और कोख में उग आती हैं बेटियां
 
कितने ही मर्दों को चोट पहुंची है
कि अब तो औरते भी सर उठाकर बात करने लगीं हैं
कि लड़कियां खुलेआम जींस-स्कर्ट पहनकर घूमने लगीं हैं
और ये हर साल वेलेंटाइन डे के नाम पर
एक बेमुराद दिन और आ जाता है
सभ्यता-संस्कृति के ठेकेदारों की 
भावनाओं को चोट पहुंचाने के लिए
 
बेचारा प्रभु वर्ग कितना आहत है कि
दलित-वंचित लोग भी 
बराबरी में बैठने लगे
अपना हक मांगने लगे 
 
और ये आदिवासी 
अपना जल-जंगल-ज़मीन 
कुछ भी देश के नाम पर 
कुर्बान करने को तैयार नहीं
ये नहीं जानते कि देश-विदेश के व्यापारी 
विकास की कितनी बड़ी-बड़ी योजनाएं लाए हैं
 
अब आप पहले से ही इतने आहत हैं 
तो मैं आपको और आहत नहीं करुंगा
 
मैं आपको नहीं बताउंगा कि
मेरी बेटी जो बिलख-बिलखकर रो रही है
वह तीन दिन से भूखी है मेरी तरह
वह किसान जो फांसी लगाकर मरा है
वह बैंक और महाजनों का कर्ज़ नहीं चुका पाया
 
नहीं बताउंगा कि 
वह नौजवान बेकारी से तंग आकर
रेल की पटरी पर जाकर कट मरा
कि एक और दुल्हन को दहेज के लिए जला दिया गया
नहीं बताउंगा कि
एक जवान लड़की से देश की राजधानी में दिनदहाड़े 
चलती कार में गैंगरेप किया गया
बिल्कुल नहीं बताउंगा कि 
इसमें एक पुलिस वाला भी शामिल था
और एक मंत्री जी का भतीजा भी
 
2जी, 3 जी,
कॉमनवेल्थ
हथियार खरीद घोटाला
किसी का जिक्र नहीं करुंगा
 
क्योंकि इससे देश के नीति-नियंताओं की 
भावनाओं को ठेस पहुंच सकती है
सरकार और व्यवस्था पर सवाल खड़ा हो सकता है
 
नहीं-नहीं मैं कोई आलोचना नहीं कर रहा
मैं किसी को चुनौती नहीं दे रहा
अगर आपको ऐसा तनिक भी लगता हो
तो इसे मेरी नादानी समझ कर माफ कर दीजिएगा
 
किसी भी माननीय को आहत करने 
का मेरा कोई इरादा नहीं है
मैं जानता हूं कि आपकी भावनाएं 
कितनी कोमल और कीमती हैं
 
मेरी हंसी पर मत जाइए 
मेरी कसी मुट्ठियों को मत देखिए 
हां, मेरी आंखों में आग है 
लेकिन सच, 
मैं आपकी भावनाओं का बहुत सम्मान करता हूं
 
मैंने पहले ही कहा
मैं निरर्थक लिखता हूं
इसलिए मैंने एक न्यूज़ चैनल में नौकरी कर ली है
कुछ अख़बारों में कॉलम भी लिखने लगा हूं
अब किसी अकादमी, किसी भाषा आयोग या 
योजना आयोग में कोई पद या सम्मान मिल जाए तो 
आपकी मेहरबानी
 
नहीं तो 
मैं मुख्यधारा की राजनीति में आने की सोच रहा हूं
अगर आपकी कृपा से किसी पार्टी का टिकट मिल जाए तो
 
नहीं-नहीं मैं अपने महान देश के
महान लोकतंत्र और उसके 
महान पहरुओं पर कोई टिप्पणी नहीं कर रहा
 
मेरी बातों पर यक़ीन कीजिए
जैसे आप प्रधानमंत्री, मंत्रियों या अन्य जिम्मेदार नेताओं की बातों पर करते हैं
कि देश तेज़ी से आगे बढ़ रहा है (प्रधानमंत्री)
कि महंगाई कम हो रही है (वित्तमंत्री)
कि भूख से कोई नहीं मरता (कृषि मंत्री, खाद्य एवं रसद मंत्री)
कि नक्सलवाद देश की सबसे बड़ी समस्या है (गृहमंत्री)
कि कानून के आगे कोई छोटा-बड़ा नहीं है (कानून मंत्री)
कि भ्रष्टाचारियों को कड़ी सज़ा मिलेगी (मंत्री समूह)
कि सबको शिक्षा का समान अधिकार है, कि हम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का पूरा सम्मान करते हैं (कपिल सिब्बल)
कि मुझे बाबरी मस्जिद ढहाए जाने पर बेहद दुख पहुंचा (आडवाणी)
कि गुजरात में हिन्दू-मुसलमानों के बीच कोई भेदभाव नहीं किया जाता, कि मैं शांति और एकता के लिए सद्भावना उपवास कर रहा हूं (नरेंद्र मोदी)
कि संसद सर्वोच्च है, सर्वोपरि है (संसद)
 
मेरी बातों पर पूरा विश्वास कीजिए
चिदंबरम जी के शब्दों में कहूं तो
‘मेरे सीने में छुरा घोंप दीजिए लेकिन मेरी ईमानदारी पर शक मत कीजिए’
 
 
मुकुल सरल
(16 मई, 2012)

Continue Reading

Previous Zohra Sehgal: A hundred magical years
Next Mexican novelist Carlos Fuentes dies

More Stories

  • Arts And Aesthetics
  • Featured

मैं प्रेम में भरोसा करती हूं. इस पागल दुनिया में इससे अधिक और क्या मायने रखता है?

3 years ago PRATIRODH BUREAU
  • Arts And Aesthetics

युवा मशालों के जल्से में गूंज रहा है यह ऐलान

3 years ago Cheema Sahab
  • Arts And Aesthetics
  • Featured
  • Politics & Society

CAA: Protesters Cheered On By Actors, Artists & Singers

3 years ago Pratirodh Bureau

Recent Posts

  • Kashmir’s Nourishing Karewas Crumble Under Infrastructure Burden
  • Sprawling Kolkata Faced With A Tall Order For A Sustainable Future
  • Indian Economy Yet To Revive From Effects Of Pandemic: CPI (M)
  • New Pipelines Will Fragment Assam’s Protected Forests: Environmentalists
  • The Role Of Urban Foraging In Building Climate-Resilient Food Systems
  • Now, A ‘Private’ Sainik School Linked To RSS?
  • About 3,000 Tech Employees Being Fired A Day On Average In Jan
  • War Veteran Doctor, ‘Rasna’ Creator Are Among Padma Awardees
  • Black Days Ahead If Coal City Doesn’t Change
  • US Firm Alleges ‘Brazen’ Fraud By Adani, Who Calls It Malicious
  • Why Ukraine War Today Is So Different From A Year Ago
  • No Screening Of BBC Docu At JNU As Power, Internet Cut
  • Shielding The Hijol From Climate Impacts
  • Bilkis Bano’s Plea Against Convicts’ Remission Could Not Be Heard In SC
  • NDRF To Station Permanent Teams In Hills For Rescue Operations
  • Thousands Of Indian IT Professionals Jobless In The US
  • How Solar-Powered Refrigerators Slow Down Climate Change
  • Compensation For Crop Loss: Landless, Tenant Farmers Miss Out
  • Peru Closes Machu Picchu As Anti-Government Protests Grow
  • There Was No Need To Scrap Article 370: Dulat

Search

Main Links

  • Home
  • Newswires
  • Politics & Society
  • The New Feudals
  • World View
  • Arts And Aesthetics
  • For The Record
  • About Us

Related Stroy

  • Featured

Kashmir’s Nourishing Karewas Crumble Under Infrastructure Burden

15 hours ago Shalini
  • Featured

Sprawling Kolkata Faced With A Tall Order For A Sustainable Future

17 hours ago Pratirodh Bureau
  • Featured

Indian Economy Yet To Revive From Effects Of Pandemic: CPI (M)

24 hours ago Pratirodh Bureau
  • Featured

New Pipelines Will Fragment Assam’s Protected Forests: Environmentalists

1 day ago Pratirodh Bureau
  • Featured

The Role Of Urban Foraging In Building Climate-Resilient Food Systems

2 days ago Pratirodh Bureau

Recent Posts

  • Kashmir’s Nourishing Karewas Crumble Under Infrastructure Burden
  • Sprawling Kolkata Faced With A Tall Order For A Sustainable Future
  • Indian Economy Yet To Revive From Effects Of Pandemic: CPI (M)
  • New Pipelines Will Fragment Assam’s Protected Forests: Environmentalists
  • The Role Of Urban Foraging In Building Climate-Resilient Food Systems
Copyright © All rights reserved. | CoverNews by AF themes.