Skip to content
Hindi News, हिंदी समाचार, Samachar, Breaking News, Latest Khabar – Pratirodh

Hindi News, हिंदी समाचार, Samachar, Breaking News, Latest Khabar – Pratirodh

Primary Menu Hindi News, हिंदी समाचार, Samachar, Breaking News, Latest Khabar – Pratirodh

Hindi News, हिंदी समाचार, Samachar, Breaking News, Latest Khabar – Pratirodh

  • Home
  • Newswires
  • Politics & Society
  • The New Feudals
  • World View
  • Arts And Aesthetics
  • For The Record
  • About Us
  • Arts And Aesthetics

प्रतिरोध की चेतना के लिए खड़ा हो सिनेमा

Mar 2, 2012 | सुधीर सुमन
‘सिनेमा ज्ञान का ऐसा माध्यम है, जिसके लिए दर्शकों का बहुत ज्ञानी या पढ़ा-लिखा होना आवश्यक नहीं है, बल्कि इसके जरिए कोई ज्ञान या तथ्य उन तक बड़ी सहजता से पहुंचाया जा सकता है. दृश्य माध्यमों से हमारे मन में भावनाएं पैदा होती हैं, और भावनाएं ही आदमी को कुछ करने के लिए प्रेरित करती हैं, खाली ज्ञान हमें कर्म के लिए प्रेरित नहीं करता. प्रतिरोध का सिनेमा प्रतिरोध की चेतना को विकसित करने का प्रयास है. यह बहुत जरूरी और बड़ा अभियान है, इसके माध्यम से आम लोगों को जगाना संभव है.’’ प्रतिरोध का सिनेमा अभियान के दूसरे राष्ट्रीय कन्वेंशन की अध्यक्षता करते हुए सुप्रसिद्ध आलोचक प्रो. मैनेजर पांडेय ने ये बातें कही. 
 
प्रो. पांडेय ने संजय काक की फिल्म ‘जश्ने आजादी’ का जिक्र करते हुए कहा कि मुख्यधारा की फिल्मों और टीवी कश्मीरी जनता के वाजिब प्रतिरोधों पर पर्दा डालती हैं या उन्हें गलत ढंग से पेश करती हैं, जबकि संजय काक की फिल्म कश्मीर की वास्तविकताओं से हमें रूबरू कराती है और लोकतंत्र और राष्ट्रवाद पर नये सिरे से विचार करने को बाध्य करती है. 
 
पिछले छह वर्षों से चल रहा प्रतिरोध का सिनेमा अभियान को और अधिक संगठित तरीके से संचालित करने के मकसद से आज गांधी शांति प्रतिष्ठान में एक दिवसीय राष्ट्रीय कन्वेंशन आयोजित किया गया था. 
 
इस मौके पर संजय जोशी को इस अभियान का राष्ट्रीय संयोजक बनाया गया तथा राष्ट्रीय कमिटी बनाई गई, जिसमें विभिन्न राज्यों और शहरों के प्रतिनिधियों के अलावा कई चर्चित फिल्मकार भी शामिल हैं. 
 
‘प्रतिरोध का सिनेमा: चुनौतियां और संभावनाएं’ विषयक सेमिनार में प्रसिद्ध फिल्मकार संजय काक ने कहा कि ‘जिन सचाइयों और मुद्दों के लिए मेनस्ट्रीम मीडिया में जगह नहीं है, उसे दिखाने का वैकल्पिक माध्यम है प्रतिरोध का सिनेमा. जिस तरह बिना किसी बड़ी फंडिंग के सिर्फ जनता के सहयोग के बल पर यह अभियान चल रहा है, ऐसा दूसरा उदाहरण पूरे देश और दुनिया में नजर नहीं आता.’ 
 
उन्होंने कहा कि कभी जो न्यू सिनेमा था, वह सरकारी फाइनांस पर टिका हुआ था, पर उसमें वितरण और दर्शकों के साथ रिश्ते पर ध्यान नहीं दिया गया, जिसके कारण वह डूब गया. मेनस्ट्रीम फिल्में और दूरदर्शन के पैसे से भी जो जनपक्षीय फिल्में किसी दौर में बनी हैं, आज उसे भी दिखाने वाले चैनल नहीं हैं. 
 
उन्होंने कहा कि मेनस्ट्रीम खत्म हो रहा है, तो अल्टरनेटिव शुरू भी हो रहा है. किसी भी मुद्दे पर देश में क्या हो रहा है, यह अगर जानना हो तो आज मेनस्ट्रीम मीडिया के बजाए डाक्यूमेंटरी फिल्में देखनी पड़ती है. संजय काक ने कहा कि इमरजेंसी एक लैंडमार्क है. इमरजेंसी के बाद ही भारत में डाक्यूमेंटरी फिल्मों का विकास हुआ है. दिल्ली जैसी जगह में भी अगर डाक्यूमेंटरी फिल्मों की स्क्रीनिंग में बहुत लोग जमा हो रहे हैं, तो इसकी वजह यह है कि ये बहसों को खड़ा कर रही हैं. दर्शकों के अलग-अलग वर्गों के साथ फिल्मकारों का जो प्रत्यक्ष रिश्ता है, वह फिल्म मेकिंग में विविधता भी पैदा कर रहा है.
 
प्रतिरोध के सिनेमा की अवधारणा पर बोलते हुए युवा आलोचक आशुतोष कुमार ने कहा कि प्रतिरोध के सिनेमा के दर्शक मूक नहीं हैं, बल्कि वे सक्रिय दर्शक हैं. यह अभियान एक नये दर्शक वर्ग का भी निर्माण कर रहा है. यह संवादधर्मी सिनेमा है और आज के जनता के हर प्रतिरोध की अभिव्यक्ति इसका मकसद है. कन्वेंशन का संचालन संजय जोशी ने किया और अध्यक्षता सत्यनारायण व्यास ने की. 
 
इस मौके पर प्रो. मैनेजर पांडेय और संजय काक ने कथाकार मदन मोहन के उपन्यास ‘जहां एक जंगल था’ तथा जनपथ के नागार्जुन विशेषांक का लोकार्पण भी किया. 
 
इसके पहले आज पूरे दिन पटना, बेगूसराय, गोरखपुर, नैनीताल, जबलपुर, इंदौर, आरा, लखनउ, भिलाई, दिल्ली, बनारस, इलाहाबाद आदि शहरों से आए प्रतिनिधियों- अशोक चैधरी, मनोज कुमार सिंह, के.के. पांडेय, संतोष झा, अंकुर, पंकज स्वामी, भगवानस्वरूप कटियार, यशार्थ, विनोद पांडेय आदि ने प्रतिरोध के सिनेमा की अवधारणा पर विचार-विमर्श किया तथा प्रतिरोध के सिनेमा को आयोजित करने के अपने अनुभवों को साझा करते हुए भविष्य की योजनाएं बनाई. आयोजनों से संबंधित वीडियो क्लीपिंग भी दिखाई गई. 

Continue Reading

Previous Pakistan win first Oscar for film on acid attacks
Next Regional films shine at National film awards

More Stories

  • Arts And Aesthetics
  • Featured

मैं प्रेम में भरोसा करती हूं. इस पागल दुनिया में इससे अधिक और क्या मायने रखता है?

1 year ago PRATIRODH BUREAU
  • Arts And Aesthetics

युवा मशालों के जल्से में गूंज रहा है यह ऐलान

1 year ago Cheema Sahab
  • Arts And Aesthetics
  • Featured
  • Politics & Society

CAA: Protesters Cheered On By Actors, Artists & Singers

1 year ago Pratirodh Bureau

Recent Posts

  • Farmers Allege Conspiracy To Kill 4 Of Them During Tractor Rally
  • Tree Planting Efforts Push Out Pastoralists In The Himalayas
  • A Year After Wuhan Lockdown, A World Still Deep In Crisis
  • Farmers To Step Up Protests After Rejecting Govt Offer
  • Farm Laws: Govt Offers Suspension, Farmers Want Repeal
  • BJP Members Amplify False Claim About Microchip In Vaccine
  • India’s Vac Diplomacy In South Asia Pushes Back Against China
  • ‘Your Land’? Native Americans Question Inaugural Song
  • 5 Killed In Blaze At Serum Institute Of India
  • Nepal To Turn Everest Trash Into Art To Highlight Garbage Blight
  • Biden Rolls Back Trump Policies On Health, Climate, Wall, Muslims
  • Govt Offers To Suspend Implementation Of Farm Laws
  • Massive Security Phalanx In Place To Shield Biden Inauguration
  • A Lotus, Not A Chinese Dragon: Gujarat Changes Name Of Fruit
  • “We’ve Got A Lot Of Work To Do. It’s Not Going To Be Easy”
  • Govt. Urges Frontline Workers Not To Refuse Vax As Targets Missed
  • Estonian Firm Seeks Finance From Forests
  • China, WHO Could Have Acted More Quickly: Probe Panel
  • ‘Advisable To Not Take Vaccine If’: Covaxin Factsheet
  • Opp Seeks Probe Into Security Leak After Goswami’s Messages Emerge

Search

Main Links

  • Home
  • Newswires
  • Politics & Society
  • The New Feudals
  • World View
  • Arts And Aesthetics
  • For The Record
  • About Us

Related Stroy

  • Featured

Farmers Allege Conspiracy To Kill 4 Of Them During Tractor Rally

1 day ago Pratirodh Bureau
  • Featured

Tree Planting Efforts Push Out Pastoralists In The Himalayas

1 day ago Pratirodh Bureau
  • Featured

A Year After Wuhan Lockdown, A World Still Deep In Crisis

2 days ago Pratirodh Bureau
  • Featured

Farmers To Step Up Protests After Rejecting Govt Offer

2 days ago Pratirodh Bureau
  • Featured

Farm Laws: Govt Offers Suspension, Farmers Want Repeal

2 days ago Pratirodh Bureau

Recent Posts

  • Farmers Allege Conspiracy To Kill 4 Of Them During Tractor Rally
  • Tree Planting Efforts Push Out Pastoralists In The Himalayas
  • A Year After Wuhan Lockdown, A World Still Deep In Crisis
  • Farmers To Step Up Protests After Rejecting Govt Offer
  • Farm Laws: Govt Offers Suspension, Farmers Want Repeal
Copyright © All rights reserved. | CoverNews by AF themes.