Skip to content
Hindi News, हिंदी समाचार, Samachar, Breaking News, Latest Khabar – Pratirodh

Hindi News, हिंदी समाचार, Samachar, Breaking News, Latest Khabar – Pratirodh

Primary Menu Hindi News, हिंदी समाचार, Samachar, Breaking News, Latest Khabar – Pratirodh

Hindi News, हिंदी समाचार, Samachar, Breaking News, Latest Khabar – Pratirodh

  • Home
  • Newswires
  • Politics & Society
  • The New Feudals
  • World View
  • Arts And Aesthetics
  • For The Record
  • About Us
  • Arts And Aesthetics

देव आनंद ने ज़िंदगी का साथ निभाना बंद कर दिया

Dec 5, 2011 | शेष नारायण सिंह

देव आनंद ने ज़िंदगी का साथ निभाना बंद कर दिया, हालांकि उन्होंने बार बार यह ऐलान किया था कि वे ज़िंदगी साथ निभाते चले जाएंगे. देव आनंद ने अपनी सारी ज़िंदगी फिल्मों को समर्पित की इसलिए उन्हें फिल्मकार के रूप में ही याद किया जाएगा. लेकिन उनकी एक ज़िन्दगी वह भी है जो 1946 में फ़िल्मी करियर शुरू होने के पहले मुंबई में शुरू हो चुकी थी. 

 
देव आनंद ने उसी गवर्नमेंट  कालेज लाहौर से पढ़ाई की थी जहां देश के बड़े-बड़े बुद्धिजीवी  गए थे. लाहौर से अंग्रेज़ी में बीए करने के बाद वे मुंबई चले गए जहां उनके बड़े भाई चेतन आनंद रोज़गार के तलाश में पहले से ही रहते थे. 
 
दूसरे विश्व युद्ध का ज़माना था. उन्हें मुंबई में फौजी दफ्तर में एक क्लर्क की नौकरी मिल गई. मुंबई में उन्हीं दिनों महात्मा गाँधी के नाम का तूफ़ान चल रहा था. ख्वाजा अहमद अब्बास की प्रेरणा और प्रयास से इप्टा (इंडियन पीपुल्स थियेटर एसोसियेशन) की स्थापना हो चुकी थी. 
 
चेतन आनंद इप्टा में जुट चुके थे, देव आनंद भी उनके साथ नाटक के ज़रिए जन जागरण के अभियान में जुट गए. वहां उनकी मुलाक़ात होमी भाभा, किशन चंदर, कैफ़ी आज़मी, मजरूह सुल्तानपुरी, साहिर लुधियानवी, बलराज साहनी, मोहन सहगल, मुल्क राज आनंद, रोमेश थापर, शैलेन्द्र, प्रेम धवन, इस्मत चुगताई, एके हंगल, हेमंत कुमार, अदी मर्जबान, सलिल चौधरी जैसे कम्युनिस्टों से हुई. 
 
एक बेहतरीन कलात्मक जीवन की बुनियाद पड़ चुकी थी. 1942-43 में बने यह दोस्त जब तक जीवित रहे, देव आनंद की बुलंदियों को और ऊंचा करने में सहयोग करते रहे. यह सब यह दुनिया छोड़कर जा चुके हैं. अफ़सोस, इप्टा का आख़िरी महान कलाकार भी अब अलविदा कह गया. 
 
नाटकों में तो वे अपने भाई और बलराज साहनी के साथ बहुत कुछ काम करते रहे लेकिन पहला फ़िल्मी ब्रेक उनको 1946 में मिला जब महान कलाकार अशोक कुमार ने उन्हें प्रभात टाकीज की फिल्म, ‘हम एक हैं’  में काम दे दिया. इसी फिल्म की शूटिंग के दौरान उनकी मुलाक़ात गुरुदत्त से हुई जो गुरु दत्त के जीवन भर चली. इसी दोस्ती का नतीजा था कि जब देव आनंद ने अपनी फिल्म कंपनी नवकेतन  के बैनर तले, व्लादिमीर गोगोल के विख्यात नाटक, इंस्पेक्टर जनरल के आधार पर फिल्म बाज़ी बनाने का फैसला किया तो उनके इप्टा वाले कई साथी साथ आये. इस फिल्म की कहानी और संवाद बलराज सहनी ने लिखा, गुरु दत्त  की यह पहली निर्देशित फिल्म है, साहिर लुधियानवी ने गाने लिखे, सचिन देव बर्मन ने संगीत दिया और अपनी भावी पत्नी कल्पना कार्तिक के साथ देव आनंद ने इस फिल्म में मुख्य भूमिका निभाई.
 
यह देव आनद का ही जज्बा था कि  बहुत सारे नए लोगों के साथ उन्होंने  फिल्म बानने का रिस्क लिया. इस फिल्म में ही बलराज साहनी पहली बार लेखक के रूप में देखे गए. गीतकार के रूप में साहिर लुधियानवी की यह पहली फिल्म है, गुरुदत्त और सचिन देव बर्मन की भी पहली फिल्म है. लेकिन देव आनंद ने बाज़ी लगाई और एक बहुत ही सफल फिल्म बन गयी. बाकी ज़िंदगी में भी देव आनंद इस तरह के खतरों से खेलते रहे, प्रयोग करते रहे, नए नए  लोगों को फ़िल्मी परदे पर बड़े बड़े काम के लिए उतारते रहे. 
 
आज जब भारतीय सिनेमा के इतिहास  पर नज़र डालते हैं तो साफ़ समझ में आ जाता है कि रावी नदी के किनारे के इस छोरे की रिस्क लेने की ताक़त की वजह से ही आज हम भारतीय सिनेमा के बहुत बड़े कलाकारों को जानते हैं. उन्होंने अपनी पहली  फिल्म में ही नए लोगों को मौक़ा दिया. बाद में भी शत्रुघ्न सिन्हा को प्रेम पुजारी में ब्रेक दिया, जीनत अमान, टीना मुनीम जैसी अभिनेत्रियों को खोज निकाला. 
 
उनके कुछ प्रयोग बुरी तरह से फेल भी हुए. जाहिदा और नताशा नाम की अनजान लड़कियों को उन्होंने अपनी बहुत बड़ी फिल्मों में मुख्य भूमिका दी  लेकिन वे अभिनय नहीं कर सकीं, कहीं खो गयीं. अपने बेटे सुनील को भी उन्होंने हीरो बनाने की कोशिश की. सफल विदेशी फिल्म क्रेमर बनाम क्रेमर की तरह की आनंद बनाम आनंद बनायी लेकिन सुनील अभिनय कला में माहिर नहीं थे. देव आनंद ने मनोज कुमार या राजेंद्र कुमार की तरह अपने बेटे को अभिनेता बनने की जिद नहीं की, उसे और काम में लगा दिया. 
 
देव आनंद ने जो कुछ भी किया, वह सिनेमा हो गया. साठ और सत्तर के दशक में देव आनंद जो करते थे, वही फैशन हो जाता था. उनके नाम से बहुत सारी कहानियाँ भी चला दी जाती थी. 1967 में मुझे कई लोगों ने बताया था कि  देव आनंद के ऊपर सरकारी रोक लगी हुई है कि वे सफ़ेद पैंट और काली कमीज़ नहीं पहन सकते. उस पोशाक में वे इतने ज्यादा आकर्षक लगते थे कि जिधर जाते हैं उधर लडकियां उनके पीछे दौड़ पड़ती हैं. यह बकवास थी लेकिन एक कहानी के रूप में चल गयी  थी. उनके स्टाइल को सभी कॉपी करते थे. उनके समकालीन दिलीप कुमार और राज कपूर भी बहुत बड़े अभिनेता थे लेकिन जो जलवा देव आनंद का था, वह किसी का नहीं. अपने समय की सबसे खूबसूरत अभिनत्रियों ने देव आनंद के साथ  काम किया था. सुरैय्या, मधुबाला, नूतन, वहीदा रहमान, हेमा मालिनी, जीनत अमान, टीना मुनीम, मुमताज को इस बात पर हमेशा गर्व रहा कि वे देव आनंद की हीरोइन रह चुकी हैं.  
 
देव आनंद को उनकी हिम्मत के लिए हमेशा याद किया जाएगा. फिल्मों में तो वे प्रयोग करते ही रहे, इंसाफ़ के पक्षधर के रूप में अपने आपको स्थापित करने के मामले में भी उनका कोई जोड़ नहीं है. 1975 में जब इंदिरा गाँधी ने इमरजेंसी लगाई तो देव आनंद ने उसका विरोध किया. यह वही दौर है जब मुंबई की फिल्मी दुनिया के लोग लाइन लगाकर संजय गाँधी और इंदिरा गांधी की जय-जयकार कर रहे थे. उन्हीं दिनों किशोर कुमार और देव आनंद ने तानाशाही के खिलाफ़ मोर्चा खोल दिया. संजय गांधी ने दूरदर्शन पर उनकी फिल्मों और किशोर कुमार के गानों को बंद करवा दिया. उन दिनों दूरदर्शन ही इकलौता टी वी चैनल होता था. लेकिन इन दोनों ने परवाह नहीं की. देव आनंद ने तो एक राजनीतिक पार्टी भी बनायी. बाद में जब जनता पार्टी की जीत हुई और सारे नव निर्वाचित सांसद दिल्ली के राजघाट स्थित महात्मा गांधी की समाधि पर क़सम खाने गए तो देव आनंद भी वहां मौजूद थे. सबकी नज़र  उनके सामने इज्ज़त से झुक  झुक जाती थी. 
 
देव आनंद की शख्सियत को आंकड़ों के ज़रिए समझ पाना थोड़ा मुश्किल है. उन्हें वे सभी पुरस्कार और सम्मान मिले जो बड़े सिनेमा वालों को मिलते हैं. दादा साहेब फाल्के, पद्म भूषण, फिल्मफेयर जैसे सभी सम्मान उन्हें मिले लेकिन जो सबसे बड़ा सम्मान उन्हें मिला वह  यह कि उन्होंने भारतीय सिनेमा के इतिहास  में एक मील का पत्थर स्थापित किया. आज देव आनंद नहीं है, जाना ही था, सभी जाते हैं. लेकिन मन  में एक हूक सी उठती है कि काश देव आनंद न जाते…

Continue Reading

Previous सारंगी के अलबेले सजन… काहे सताए, आजा
Next TDP: \’Silk\’ without worms preferred!

More Stories

  • Arts And Aesthetics
  • Featured

मैं प्रेम में भरोसा करती हूं. इस पागल दुनिया में इससे अधिक और क्या मायने रखता है?

1 year ago PRATIRODH BUREAU
  • Arts And Aesthetics

युवा मशालों के जल्से में गूंज रहा है यह ऐलान

1 year ago Cheema Sahab
  • Arts And Aesthetics
  • Featured
  • Politics & Society

CAA: Protesters Cheered On By Actors, Artists & Singers

1 year ago Pratirodh Bureau

Recent Posts

  • A Year After Wuhan Lockdown, A World Still Deep In Crisis
  • Farmers To Step Up Protests After Rejecting Govt Offer
  • Farm Laws: Govt Offers Suspension, Farmers Want Repeal
  • BJP Members Amplify False Claim About Microchip In Vaccine
  • India’s Vac Diplomacy In South Asia Pushes Back Against China
  • ‘Your Land’? Native Americans Question Inaugural Song
  • 5 Killed In Blaze At Serum Institute Of India
  • Nepal To Turn Everest Trash Into Art To Highlight Garbage Blight
  • Biden Rolls Back Trump Policies On Health, Climate, Wall, Muslims
  • Govt Offers To Suspend Implementation Of Farm Laws
  • Massive Security Phalanx In Place To Shield Biden Inauguration
  • A Lotus, Not A Chinese Dragon: Gujarat Changes Name Of Fruit
  • “We’ve Got A Lot Of Work To Do. It’s Not Going To Be Easy”
  • Govt. Urges Frontline Workers Not To Refuse Vax As Targets Missed
  • Estonian Firm Seeks Finance From Forests
  • China, WHO Could Have Acted More Quickly: Probe Panel
  • ‘Advisable To Not Take Vaccine If’: Covaxin Factsheet
  • Opp Seeks Probe Into Security Leak After Goswami’s Messages Emerge
  • Big Oil’s Flagship Plastic Waste Project Sinks In The Ganges
  • Alexei Navalny Flies Home And Straight Into Trouble

Search

Main Links

  • Home
  • Newswires
  • Politics & Society
  • The New Feudals
  • World View
  • Arts And Aesthetics
  • For The Record
  • About Us

Related Stroy

  • Featured

A Year After Wuhan Lockdown, A World Still Deep In Crisis

6 hours ago Pratirodh Bureau
  • Featured

Farmers To Step Up Protests After Rejecting Govt Offer

7 hours ago Pratirodh Bureau
  • Featured

Farm Laws: Govt Offers Suspension, Farmers Want Repeal

22 hours ago Pratirodh Bureau
  • Featured

BJP Members Amplify False Claim About Microchip In Vaccine

23 hours ago Pratirodh Bureau
  • Featured

India’s Vac Diplomacy In South Asia Pushes Back Against China

1 day ago Pratirodh Bureau

Recent Posts

  • A Year After Wuhan Lockdown, A World Still Deep In Crisis
  • Farmers To Step Up Protests After Rejecting Govt Offer
  • Farm Laws: Govt Offers Suspension, Farmers Want Repeal
  • BJP Members Amplify False Claim About Microchip In Vaccine
  • India’s Vac Diplomacy In South Asia Pushes Back Against China
Copyright © All rights reserved. | CoverNews by AF themes.