पड़ोस में अमन, घर में कलह: मज़बूत सरकार के बावजूद पीस इंडेक्‍स में भारत फिर क्‍यों लुढ़का?

पिछले साल की तुलना में इस साल भारत में अशांति बढ़ गई है और ग्लोबल पीस इंडेक्स में देश पांच स्थान लुढ़क कर 141वें नंबर पर आ गया है. इंडेक्स में आइसलैंड सबसे शांत तथा सीरिया को पछाड़कर अफगानिस्तान दुनिया का सबसे अशांत देश बन गया है. इस सूची में आइसलैंड 2008 से ही सबसे शांतिपूर्ण देश बना हुआ है. इस बार इस सूची में 163 देशों को शामिल किया गया है. 2008 से वैश्विक शांति (पीसफुलनेस) में भी 3.78 प्रतिशत की कमी आई है.

यह इंडेक्स ऑस्ट्रेलियन थिंक टैंक इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक एंड पीस द्वारा तीन पैमानों के आधार पर मापा जाता है जिसमें सामाजिक सुरक्षा का स्तर, घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय सीमा विवाद और सैन्यकरण शामिल हैं. इस साल की रिपोर्ट में नया रिसर्च भी शामिल है जो जलवायु परिवर्तन से शांति पर पड़ने वाले प्रभाव से जुड़ा है.

हैरानी की बात है कि सूची में भूटान 15वें, श्रीलंका 72वें, नेपाल 76वें और यहां तक कि बांग्लादेश 101वें जैसे देश भी भारत से कहीं बेहतर स्थान पर हैं.

देश में बढ़ रही इस अशांति का एक मुख्य कारण लोगों में कानून व्यवस्था का भय न होना है. आए दिन देश के अलग-अलग हिस्सों से अनेक ऐसी घटनाएं प्रकाश में आती रहती हैं, जहां लोग खुलेआम कानून अपने हाथ में ले लेते हैं, खुद ही अदालत और कानून बन कर सरेराह लोगों की जिंदगी और मौत का फैसला कर देते हैं. इसका सबसे ज्वलंत उदाहरण देश में बढ़ रहीं “मॉब लिंचिंग” की घटनाएं हैं.

एक वेबसाइट के मुताबिक पिछले चार साल में ही मॉब लिंचिंग के 134 मामले सामने आ चुके हैं जिनमें 2015 से अब तक 68 लोगों की जान जा चुकी है. बुलंदशहर में हुई हिंसा में तो भीड़ ने इंस्पेक्टर की सरेआम हत्या कर दी थी. इससे साफ जाहिर होता है कि लोगों में कानून का खौफ समाप्त होता जा रहा है. उन्हें इस बात का यकीन हो चुका है कि उनका कुछ नहीं बिगड़ेगा और वे आसानी से सजा से बच जाएंगे.

विडंबना की बात तो यह है कि मॉब लिंचिंग जैसी जघन्य घटना के आरोपियों को सजा दिलाना तो दूर उनके समर्थन में शर्मनाक तरीके से देश के कुछ नेता भी खड़े नजर आते हैं. जैसे पिछलइ सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे जयंत सिन्हा ने झारखंड में मॉब लिंचिंग के आरोपियों का माला पहनाकर स्वागत किया था और फोटो भी खिंचवायी थी. इससे न सिर्फ अपराधियों का हौसला बढ़ता है बल्कि ऐसे अपराधों में वृद्धि की आशंका भी बढ़ जाती है.

नरेंद्र मोदी 2014 में विकास के मुद्दे पर सत्ता में आए थे, जिसे ‘सबका साथ, सबका विकास’ का नारा सटीक तरीके से बयान करता था. लेकिन अगर देश में शांति, सुरक्षा और सौहार्द का माहौल नहीं होगा तो देश की तरक्की और विकास संभव नहीं है. किसी भी देश का विकास तभी सम्भव है जब वहां के लोगों के अन्दर असुरक्षा की भावना न हो और उन्हें उचित माहौल मिले.

देश के लिए चिंता की बात यह भी है कि देश से अमीरों का पलायन लगातार बढ़ रहा है. इसकी एक वजह असुरक्षा का माहौल है. अमीरों और पूंजी के पलायन से देश के विकास और अर्थव्यवस्था को झटका लगता है. एफ्रो एशिया बैंक और रिसर्च फर्म न्यू वर्ल्ड वेल्थ के अनुसार सिर्फ 2018 में भारत से 5000 ऐसे धनवानों ने देश छोड़ दिया जिनकी नेट वर्थ 10 लाख डॉलर से ज्यादा थी.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई बार अपने भाषणों में देश से ऐसे असामाजिक तत्वों से बचने और उनसे कड़ाई से निपटने की अपील की है जो अशांति को बढ़ावा देते हैं, लेकिन उसका जमीन पर असर कम ही दिखाई दिया है. उल्टे उन्हीं की पार्टी के कुछ नेता आए दिन उल्टे-सीधे बयान देकर देश के माहौल को अशांत करने और उनके बयानों को निर्रथक बना देते हैं. इससे देश की शांति और भाईचारे को नुकसान होता है और देश की वैश्विक स्तर पर साख भी गिरती है.

हाल ही में लोकसभा चुनावों में मिली ऐतिहासिक जीत के बाद भी संसद के सेंट्रल हॉल में नवनिर्वाचित सांसदों के समक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने सम्बोधन में एक बार फिर “सबका साथ, सबका विकास’ में ‘सबका विश्वास” जोड़कर नया मंत्र देते हुए कहा था कि उनकी सरकार अब ‘नई ऊर्जा के साथ, नए भारत के निर्माण के लिए नई यात्रा’ शुरू करेगी. साथ ही संविधान को साक्षी मानकर कहा कि ‘सबको मिलकर 21वीं सदी में हिंदुस्तान को और सभी वर्गों को बिना किसी पंथ-जाति के आधार पर भेदभाव किए बिना नई ऊंचाइयों पर लेकर जाना है.’ साथ ही मोदी ने अल्पसंख्यकों का विश्वास जीतने का भी आह्वान अपने संबोधन में किया था.

प्रधानमंत्री के इस संकल्प को उन्हीं की पार्टी के नेता और कार्यकर्ता कब तक और किस तरह पूरा कर देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे, यह देखना बाकी है.

Recent Posts

  • Featured

‘PM Modi Wants Youth Busy Making Reels, Not Asking Questions’

In an election rally in Bihar's Aurangabad on November 4, Congress leader Rahul Gandhi launched a blistering assault on Prime…

12 hours ago
  • Featured

How Warming Temperature & Humidity Expand Dengue’s Reach

Dengue is no longer confined to tropical climates and is expanding to other regions. Latest research shows that as global…

16 hours ago
  • Featured

India’s Tryst With Strategic Experimentation

On Monday, Prime Minister Narendra Modi launched a Rs 1 lakh crore (US $1.13 billion) Research, Development and Innovation fund…

16 hours ago
  • Featured

‘Umar Khalid Is Completely Innocent, Victim Of Grave Injustice’

In a bold Facebook post that has ignited nationwide debate, senior Congress leader and former Madhya Pradesh Chief Minister Digvijaya…

1 day ago
  • Featured

Climate Justice Is No Longer An Aspiration But A Legal Duty

In recent months, both the Inter-American Court of Human Rights (IACHR) and the International Court of Justice (ICJ) issued advisory…

2 days ago
  • Featured

Local Economies In Odisha Hit By Closure Of Thermal Power Plants

When a thermal power plant in Talcher, Odisha, closed, local markets that once thrived on workers’ daily spending, collapsed, leaving…

2 days ago

This website uses cookies.