स्त्री देह से गुज़रती राजनीति का ज़िम्मेदार कौन

आकाश में अग्नि-5 छोड़कर मरदाना होते हिंदुस्तान के नेता भी कुछ अधिक मर्द हो गए हैं. कांग्रेस के मनु सेक्स कांड के बाद अब बारी भाजपा की है. मनु सीडी में एक औरत को भोगते हुए दिखे तो भाजपा के वरिष्ठ विधायक ने सीबीआई के सामने खुद ही स्वीकार कर लिया कि उनके एक नहीं, कई औरतों के साथ जिस्मानी संबंध थे.

आखिरकार वही हुआ, जिसका भाजपा को डर था. एक बार फिर पार्टी के एक नेता में फंस गए. फंस ही गए कहूंगा. क्योंकि कोई भी पार्टी ऐसे संबंध को आरोप ही बताती है. नेता भी. यदि आरोप साबित हो गया तो यह निजी मामला बन जाता है और मीडिया को दूर रहने की सलाह दी जाती है. लेकिन सार्वजनिक पद पर बैठे किसी व्यक्ति की करनी और कथनी में क्या अंतर सही है? यदि आप सोचते हैं कि सही है तो यह लेख पूरा पढ़ें. हिंदुस्तान अभी ब्रिटेन या अमेरिका नहीं बना है, जहां सार्वजनिक पद पर बैठे शख्सियत के प्यार-मोहब्बत पर ज्यादा बवाल नहीं मचता है. यह हिंदुस्तान है.
जब-जब सेक्स और सियासत का कॉकटेल हुआ है, तब-तब हंगामा बरपा है. किसी महिला ने अपनी जान गंवाई है. हमारे महान ग्रंथों से लेकर महाकाव्यों तक में हर बार कीमत महिलाओं ने ही चुकाई है. यकीन नहीं होता है तो सतयुग से त्रेतायुग तक चले जाइए. मसलन रामायण की सीता को देख लीजिए. महाभारत की कुंती, दौपद्री पर नजर डाल लीजिए. सृष्टि के रचयिता माने जाने वाले ब्रह्म और ज्ञान की देवी सरस्वती के संबंध पर नजर दौड़ा लीजिए. हर बार भोगना सिर्फ और सिर्फ महिलाओं को ही पड़ा. महिला आंदोलन में एक थ्योरी बड़ी प्रचलित है. ट्रेपिंग इन इमोशनल. यानी एक महिला की भावनाओं पर नियंत्रण करते हुए उसे अपने चंगुल में फंसाना.
एक पत्रकार के नाते शेहला मसूद और भाजपा विधायक ध्रुव नारायण से कई बार फोन पर तो कई बार आमने-सामने बातें हुआ करती थीं. जिस वक्त शेहला की हत्या हुई, उस दिन से ही भाजपा के दो नेताओं के नाम भोपाल में चर्चा में थे. पहला नाम ध्रुव नारायण सिंह का था तो दूसरा नाम तरूण विजय का. लेकिन जाहिदा की गिरफ्तारी के बाद सबकुछ बदल गया. अब सच सामने है. दावा किया जा रहा है कि शेहला मसूद हत्याकांड की जांच कर रही सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में कहा है कि हत्या में शामिल होने की आरोपी जाहिदा परवेज के ध्रुव से जिस्मानी रिश्ते थे.
भोपाल के पत्रकारों, विधायक और जाहिदा के करीबियों के लिए यह कोई बड़ी खबर नहीं है. जाहिदा के दफ्तर से लेकर पड़ोस तक का बच्चा इनकी करीबियों को अच्छे से जानता है. खैर सिर्फ ध्रुव नारायण सिंह को दोष देना उनके साथ थोड़ा अनुचित रहेगा. आखिर जिन महिलाओं के साथ ध्रुव के संबंध थे, उन पर भी सवाल उठाना लाजिमी है. आखिर वह कौन सी महत्वाकांक्षा थी, जिसके कारण एक के बाद एक कई महिलाएं ध्रुव के करीब आती गईं.
मामला सिर्फ ध्रुव का नहीं है. मामला कांग्रेस के मनु सिंघवी का भी है. आखिर सुप्रीम कोर्ट की जज बनने के लिए कोई महिला मनु की गोद में कैसे बैठ सकती है. इसलिए सिर्फ नेताओं के चरित्र पर अंगुलियां उठाने से बात नहीं बनने वाली है. बदलते समाज में जिस तरह से बदलाव आ रहे हैं, उसमें सभी ही जिम्मेदार हैं. कोई भी अपनी जिम्मेदारी से भाग नहीं सकता है.

Recent Posts

  • Featured

The Curious Case Of Google Trends In India

For nine of the last ten years, the most searches were for why Apple products and Evian water are so…

23 hours ago
  • Featured

Here’s How Real Journalists Can Lead The War Against Deepfakes

Almost half the world is voting in national elections this year and AI is the elephant in the room. There…

1 day ago
  • Featured

How India Can Do More To Protect Workers In War Zones

When 65 Indian construction workers landed in Israel on April 2 to start jobs once taken by Palestinians, they were…

1 day ago
  • Featured

“This Is In Honour Of The Adivasis Fighting For Their Land, Water, Forest”

Chhattisgarh-based environmental activist Alok Shukla was conferred the prestigious Goldman Environmental Prize for leading a community campaign to protect the…

1 day ago
  • Featured

Why Has PM Ignored Plight Of Marathwada’s Farmers: Congress

On Tuesday, 30 April, the Congress accused PM Narendra Modi of ignoring the plight of farmers in Marathwada and also…

2 days ago
  • Featured

Punjab’s ‘Donkey Flights’ To The Conflict Zones Of The World

Widespread joblessness explains why Punjab’s migrants resort to desperate means to reach their final destinations. Dunki in Punjabi means to hop,…

2 days ago

This website uses cookies.