Skip to content
Hindi News, हिंदी समाचार, Samachar, Breaking News, Latest Khabar – Pratirodh

Hindi News, हिंदी समाचार, Samachar, Breaking News, Latest Khabar – Pratirodh

Primary Menu Hindi News, हिंदी समाचार, Samachar, Breaking News, Latest Khabar – Pratirodh

Hindi News, हिंदी समाचार, Samachar, Breaking News, Latest Khabar – Pratirodh

  • Home
  • Newswires
  • Politics & Society
  • The New Feudals
  • World View
  • Arts And Aesthetics
  • For The Record
  • About Us
  • Featured

स्वाभिमानी व मजबूत इरादे, देखो बदलाव की बयार

Feb 18, 2012 | लखन सालवी

पीढि़यों से बंधुआ मजदूरी करते आ रहे लोग अब बंधुआ मजदूरी से मुक्त हुए और अब वे संगठित हो रहे है, जागरूकता का संचार उनमें देखा जा सकता है और वो अब वो अपनी आर्थिक स्थिति को भी मजबूत कर रहे है. 

 
जमींदार जो कि इन्हें गुलाम बनाकर जबरन काम करवाना चाहते है, लगातार इन्हें प्रताडि़त करने व बंधुआ मजदूरी के लिए मजबूर करने के प्रयास कर रहे है. 
 
मैं बात कर रहा हूं मध्यप्रदेष सीमा से सटे राजस्थान प्रांत के बारां जिले के सूण्डा चैनपुरिया गांव के उन सहरिया परिवारों के लोगों की जो गत वर्ष बंधुआ मजदूरी से मुक्त हुए है. देश की आजादी के बारे में तो वो कुछ जानते नहीं है लेकिन हां आजादी के मायने वो भंली भांति बता सकते है. वर्तमान आजाद भारत के लोग अगर आजादी और गुलामी के अन्तर को जानना चाहे तो इनसे मिलकर उस अन्तर को समझ सकते है. 
 
बारां जिले के किशनगंज व शाहबाद विकास खंड सहरिया (आदिवासी जनजाति) बाहुल्य क्षेत्र है. इस समुदाय के लोग खेती के कार्यों में निपुण है, पर इनके पास आजीविका के लिए संसाधनों का भारी टोटा है इसलिए अमूमन इस जनजाति के लोग जमींदारों के यहां एडवांस राशि लेकर हाली (यहां बंधुआ मजदूरी) का काम करने लगते है. 
 
पिछले वर्ष इस क्षेत्र में वंचित वर्ग के उत्थान के लिए कार्य कर रहे स्वयंसेवी संगठन दूसरा दशक परियोजना, संकल्प संस्था व जाग्रत महिला संगठन के संयुक्त प्रयासों से इस क्षेत्र में कार्य कर रहे करीबन 150 बंधुआ मजदूरों को मुक्त कराया गया था. 
 
मजबूत संगठन और आर्थिक व खाद्य सुरक्षा
 
सुण्डा चैनपुरिया गांव के बंधुआ मजदूरी से मुक्त हुए लोग सामाजिक बदलाव की न केवल बात कर रहे है बलिक पूर जोर कोशिशें कर रहे है. उन लोगों ने बंधुआ मजदूरी से मुक्त होकर मनरेगा के तहत कार्य करना आरंभ किया. उन सभी के 200 दिन कुछ ही दिनों में पूरे हो जाएंगे. 
 
उल्लेखनीय है बंधुआ मजदूरी का मामले सामने आने के बाद राजस्थान सरकार ने सहरिया समुदाय के लोगों के लिए अतिरिक्त 100 दिन का कार्य मुहैया करने की घोषणा यह मानते हुए की थी कि इस समुदाय के लोग रोजगार के अभाव में बंधुआ मजदूरी करने लगते है.
 
कर्इ लोग खुली मजदूरी भी कर रहे है. अब वो अपनी मर्जी का काम कर पा रहे है. साथ ही उन्हें अपनी आगे की पीढ़ी की भी चिंता है, इसलिए वो सामाजिक बदलाव के कार्य भी साथ-साथ कर रहे है.
 
ये लोग जब बंधुआ मजदूरी से मुक्त हुए थे जब इनके पास परिवार के भरण पोषण के लिए कुछ नहीं था, डर था कि कहीं जमींदार वापस पकड़ कर नहीं ले जाए इसलिए वे खुली मजूदरी करने भी नहीं जा रहे थे. 
 
उस दौरान जाग्रत महिला संगठन की महिला कार्यकर्ताओं ने उन्हें स्वयं सहायता समूह के बारे में जानकारी दी. उन्हें स्वयं सहायता समूह बनाने का सुझाव समझ में आया और उन्होंने अपने 6 स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) बनाए. इनमें 3 ग्रुप महिलाओं के है तथा 3 ग्रुप पुरूषों के है. प्रत्येक ग्रुप में 10-10 सदस्य है. इन ग्रुपों के सदस्य प्रतिमाह एक बैठक का आयोजन करते है और ग्रुप में प्रत्येक सदस्य 100-100 रुपए जमा करवाता है. सभी ग्रुपों के बैंक खाते खुलवाए गए, प्राप्त होने वाली राशि बैंक में जमा करवार्इ जाती है. राशि का भुगतान चैक के माध्यम से किया जाता है, जिस पर ग्रुप के सचिव व कोषाध्यक्ष के हस्ताक्षर होते है. 
 
इसी के साथ एक अनाज बैंक (ग्रेन बैंक) भी बनाया जा रहा है. इन सभी ग्रुपों के सदस्य प्रतिमाह एक-एक किलो अनाज भी इक्टठा करते है. अनाज को रखने के लिए दो कमरे बनाए जा रहे है. जिन्हें ग्रेन बैंक का नाम दिया गया है. 
 
अपनी बस्ती के बीच जब ये लोग ग्रेन बैंक का निर्माण करने लगे तो जमींदारों की शिकायत पर वन विभाग के अधिकारी वहां पहूंच गए और निर्माण कार्य बंद करवा दिया. लोगों ने जाग्रत महिला संगठन की कार्यकर्ताओं को बताया कि यह भूमि वन विभाग की नहीं है. असल में इस गांव के वन भूमि पर बसे होने को लेकर पूर्व में विवाद हुआ था तब जांच की गर्इ जिसमें गांव की भूमि राजस्व रिकार्ड में दर्ज पार्इ गर्इ थी. 
 
\\\"सामाजिकजानकारी लेने के बाद जाग्रत महिला संगठन की कार्यकर्ताओं ने जिलाधीश को इस मामले से अवगत कराया. काफी दबाव बनाने के बाद में जब भूमि की पैमाइश की गर्इ तो पाया कि वह भूमि वन विभाग की है ही नहीं. जमींदार वन विभाग के अधिकारियों से मिलकर ग्रेन बैंक बनाने की योजना को निष्फल करना चाहते थे. लेकिन संगठन के सहयोग व अपनी जागरूकता दिखाकर लोगों ने निर्माण कार्य पर लगी रोक को हटवा लिया और वर्तमान में निर्माण कार्य चल रहा है. 
 
सूण्डा के बाबू लाल सहरिया ने बताया कि सभी ग्रुपों के सदस्यों के परिवारजन ग्रेन बैंक के निर्माण में श्रमदान कर रहे है. जानकारी के अनुसार इन लोगों ने श्रमदान कर के रेत व पत्थर जुटाएं, श्रमदान कर नींवे खोदी और निर्माण कार्य में भी श्रमदान कर रहे है. ग्रेन बैंक के निर्माण में आवश्यक अन्य सामग्री के लिए संगठन द्वारा खर्च किया जा रहा है. 
 
सामाजिक सरोकारों से नाता रखने वालों ने की मदद
 
बंधुआ मजदूरी से मुक्त हुए लोगों को मुक्त कराने के लिए व मुक्त होने के तुरंत बाद उनके भरण पोषण के लिए आर्थिक व्यवस्था की अत्यंत आवश्यकता थी. वैसे बंधुआ मजदूरों को मुक्त कराने के लिए सर्वे कराना व बंधुआ मुक्त कराकर उनके पुर्नवास की व्यवस्था की जिम्मेदारी सरकार की है लेकिन देखा जा रहा था कि बंधुआ मजदूरों के प्रति स्थानीय प्रशासन व सरकार दोनों ही में संवेदनहीनता थी. 
 
तब सामाजिक कार्यकर्ता मोतीलाल ने वंचित वर्ग के प्रति सहानुभूति रखने वाले लोगों से बंधुआ मजदूरों हेतु व्यवस्था के लिए आर्थिक सहयोग की अपील की. संगठन से जुड़े लोगों ने अपने मासिक वेतन में से अल्प राशि बंधुआ श्रमिकों के उत्थान के लिए अनुदान में दी. 
 
राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की सदस्य अनु आगा ने 6 लाख रुपए का अनुदान दिया. उस राशि से बंधुआ मजदूरी से मुक्त होने के तुरंत बाद परिवार के भरण पोषण के लिए खाध सामग्री की आवश्यकता पड़ी तब उन्हें खाद्य सामग्री और खर्च के लिए कुछ रुपए भी दिए गए.
 
आर्थिक व खाद्य सुरक्षा के बंदोबस्त
 
यूं तो कर्इ गांवों के लोग बंधुआ मजूदरी से मुक्त हुए लेकिन सूण्डा चैनपुरिया गांव के लोग जो बंधुआ मजदूरी से मुक्त हुए उन्होंने बंधुआ मजदूरी रूपी रोग का सदा के लिए उपचार कर लिया है. इनके लिए आर्थिक सुरक्षा के लिए स्वयं सहायता समूह की योजना बहुत ही प्रभावशाली रही है. 
 
अब सूण्डा चैनपुरिया गांव के लोग आर्थिक रूप से सशक्त है. उनके बैंक खातों में रुपए है. जिस किसी को रुपयों की आवश्यकता पड़ रही है वो ऋण ले रहा है. यह ऋण अल्प ब्याज पर ग्रुप के सदस्यों को दिया जा रहा है. 
 
खाद्य सुरक्षा के लिए उन्होंने अपने स्तर पर बेहतर उपाय कर लिया है. उनके पास स्वयं का ग्रेन बैंक है जिससे वो आवश्यकतानुसार अनाज उधार ले लेते है. 10 किलो गेहूं लेने पर 11 किलो गेहूं जमा करवाते है और एक-एक पैसे का हिसाब रखते है. 
 
सरकार व प्रशासन की असंवेदनशीलता
 
सरकार ने घोषणा की थी कि क्षेत्र में व्याप्त बंधुआ मजदूरी का सर्वे कराकर बंधुआ मजदूरों को मुक्त कराया जाएगा, जो लोग बंधुआ मजदूरी से मुक्त हुए है उनके लिए इकलेरा सागर गांव में आवासीय कालोनी का निर्माण किया जाएगा. 
 
अपनी घोषणाओं को पूरा करना तो दूर सरकार ने बंधुआ श्रम उत्सादन अधिनियम की पालना भी नहीं की है. 
 
सूण्डा चैनपुरिया गांव के 16 बंधुआ मजदूरों को मुक्त करा कर उन्हें बंधुआ श्रम विमुक्ति प्रमाण पत्र तो दे दिए लेकिन अभी तक उन्हें सहायता राशि व उनके पुर्नवास की व्यवस्था नहीं की है. ऐसे ही कर्इ लोग है जो बंधुआ मजदूरी छोड़कर भाग आए है लेकिन वो सरकार की उपेक्षा के शिकार है. 
 
मनरेगा के तहत इन्हें 200 दिन का रोजगार तो मुहैया करवाया जा रहा है लेकिन समय पर भुगतान नहीं हो रहा है. मनरेगा के कार्मिक हड़ताल पर है, सूण्डा के कर्इ मजदूरों का 3 मस्टरोल का भुगतान बकाया है यानि उन्होंने 45 दिन काम कर लिया लेकिन मेहनताना नहीं मिला. 
 
आर्थिक तंगी से जुझते देखा और उससे भी अधिक स्वाभिमानता से जीते देखा तो अमेरिका से आए एक समाज सेवक ने उन्हें 4000 रुपए का आर्थिक सहयोग दिया. क्षेत्र में कार्य कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता मोती लाल ने 2000 रुपए अपनी ओर से मिलाकर सभी 6 ग्रुपों के खातों में एक-एक हजार रुपए जमा करवा दिए. पर सरकार के ऐसे रैवेये से जाहिर होता है कि उसे इनकी कोर्इ परवाह नहीं.
 
सूण्डा चैनपुरिया के बाशिंदों को पेयजल की समस्या का सामना करना पड़ रहा है. कोर्इ कोस भर दूर एक बड़े गड्ढे में इकट्ठा हुए वर्षा जल को पीकर जी रहे है. फिलहाल प्रशासन ने उनके लिए पेयजल के कोर्इ बंदोबस्त नहीं किए है. 
 
देश आजाद हुए छह दशक बीत गए लेकिन ये लोग असली मायने में अब आजाद हुए हैं. एक वर्ग विशेष व जमींदारों को यह नहीं भा रहा है. वो अपने गुलामों को मुक्त होते नहीं देख पा रहे है और मुक्त हुए, मुक्ति का प्रयास कर रहे गुलामों व गुलामों की मदद कर रहे लोगों को पछाड़ने के भरसक प्रयास कर रहे है.

Continue Reading

Previous Olympics: After 32 years, will they do it this time?
Next Victimisation of rape victim in Kolkata

More Stories

  • Featured

Civilian Deaths In Russia-Ukraine Conflict Very Disturbing: India

3 hours ago Pratirodh Bureau
  • Featured

Kanhaiya Lal Went To Police Claiming Threat To His Life

4 hours ago Pratirodh Bureau
  • Featured

‘Journalists Shouldn’t Be Jailed For What They Write, Tweet, Say’

10 hours ago Pratirodh Bureau

Recent Posts

  • Civilian Deaths In Russia-Ukraine Conflict Very Disturbing: India
  • Kanhaiya Lal Went To Police Claiming Threat To His Life
  • ‘Journalists Shouldn’t Be Jailed For What They Write, Tweet, Say’
  • ‘Muslims Will Never Allow Taliban Mindset To Surface In India’
  • Recording Mangrove Damage From Cyclones In The Sundarbans
  • Editors’ Guild Condemns Mohd Zubair’s Arrest
  • US SC’s Abortion Verdict Reverses Decades Of Progress: Activists
  • JNUTA, Others Demand Teesta’s Release
  • SC Nod To Hear Plea Alleging Hate Crimes
  • SIO Condemns Teesta’s Arrest By Guj Police
  • I Will Compete With Myself At CWG: Chanu
  • ‘Agnipath’ Scheme A Fraud: Satya Pal Malik
  • NCPCR’s Draft Guidelines For The Protection Of Child Artistes
  • 26/11 Attack Handler Jailed For 15 Years In Pak
  • No Material To Support ’02 Godhra Riots Were Pre-Planned: SC
  • SC Abortion Ruling: US Draws Criticism From Closest Allies
  • Omar Introduces Anti-India Resolution In House
  • Women Heads Of State And State Of Feminism
  • Apex Court Dismisses Plea Against SIT Clean Chit To Modi
  • Climate Change: How Myanmar’s Military Rule Makes It More Vulnerable

Search

Main Links

  • Home
  • Newswires
  • Politics & Society
  • The New Feudals
  • World View
  • Arts And Aesthetics
  • For The Record
  • About Us

Related Stroy

  • Featured

Civilian Deaths In Russia-Ukraine Conflict Very Disturbing: India

3 hours ago Pratirodh Bureau
  • Featured

Kanhaiya Lal Went To Police Claiming Threat To His Life

4 hours ago Pratirodh Bureau
  • Featured

‘Journalists Shouldn’t Be Jailed For What They Write, Tweet, Say’

10 hours ago Pratirodh Bureau
  • Featured

‘Muslims Will Never Allow Taliban Mindset To Surface In India’

10 hours ago Pratirodh Bureau
  • Featured

Recording Mangrove Damage From Cyclones In The Sundarbans

1 day ago Pratirodh Bureau

Recent Posts

  • Civilian Deaths In Russia-Ukraine Conflict Very Disturbing: India
  • Kanhaiya Lal Went To Police Claiming Threat To His Life
  • ‘Journalists Shouldn’t Be Jailed For What They Write, Tweet, Say’
  • ‘Muslims Will Never Allow Taliban Mindset To Surface In India’
  • Recording Mangrove Damage From Cyclones In The Sundarbans
Copyright © All rights reserved. | CoverNews by AF themes.