मिट्टी मांगता बुढ़ापा और हृदयहीन राज्यपाल
Apr 12, 2012 | आशीष महर्षिखुदा के वास्ते अब बहुत हुआ. हमें अपने वतन लौट जाने दीजिए. कुछ ही अंदाज में बीस सालों से हिंदुस्तान की एक कालकोठरी में अपने अंतिम दिन गुजार कर बाहर आए पाकिस्तानी वैज्ञानिक डॉक्टर खलील चिश्ती ने हिंदुस्तान के सियासतदानों से मार्मिक अपील की.
लेकिन डॉक्टर खलील को सजा मिलेगी और मिलेगी, क्योंकि वह उस मुल्क से आते हैं, जिसे पाकिस्तान कहा जाता है.
बीस साल बाद भले ही डॉक्टर खलील चिश्ती खुली हवा में सांस ले रहे हों लेकिन उन्हें अभी भी सरकार की दया की दरकार है. उम्र के 80 बरस गुजार चुके डॉ. खलील अब अपने वतन लौटना चाहते हैं. खलील साहब की जमानत भले ही हो गई हो लेकिन उन्हें और उनके परिवार को इंतजार है संपूर्ण रिहाई का.
खलील चिश्ती ने अपनी आजादी के लिए न्यायपालिका से लेकर राजस्थान के राज्यपाल और देश के प्रधानमंत्री से लेकर राष्ट्रपति तक से खुद के लिए दया मांग चुके हैं. न्यायपालिका का दिल पसीजा लेकिन थोड़ा सा. सुप्रीम कोर्ट ने मानवता के आधार पर बीस सालों से जेल में सड़ रहे डॉ. खलील को जमानत दे दी. लेकिन अजमेर ना छोड़ने की शर्त के साथ.
लेकिन आज तक राजस्थान के राज्यपाल का दिल नहीं पसीजा. केंद्र सरकार और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लाख निवेदन के बावजूद आज तक राजस्थान के राज्यपाल शिवराज पाटिल ने डॉक्टर खलील चिश्ती की दया याचिका पर हस्ताक्षर नहीं किए.
फिल्मकार महेश भट्ट सरकार से सवाल पूछते हुए कहते हैं कि क्या भारत एक जीवित खलील चिश्ती को भेजेगा या उनके पार्थिक शरीर को, जब भी उनका इंतकाल हो? भट्ट कहते हैं कि भारत गौतम, महावरी, सूफी-संतों, गांधी का देश है. इसलिए डॉ. खलील चिश्ती को क्षमा करने में संकोच नहीं करना चाहिए.
खैर इन सबके बीच, खलील साहब खुश हैं. उनका परिवार खुश है. पाकिस्तान से लेकर हिंदुस्तान तक के वो लोग भी खुश हैं, जो उन्हें लिए लड़ रहे हैं. इसमें मानवाधिकार संगठनों से लेकर पत्रकार तक शामिल हैं. खलील साहब की कहानी को यदि फाइलों में पढ़ेंगे तो इस बात का अंदाजा लग जाएगा कि हिंदुस्तान में एक पाकिस्तानी होना का क्या मतलब है.
आपसी लड़ाई में खलील चिश्ती के परिवारजनों के हाथों उस वक्त हत्या हो जाती है जब वो पूरा परिवार आत्मरक्षा के लिए हिंसा के लिए विवश हुआ था. खलील चिश्ती उन दिनों परिजनों के साथ थे इसलिए अभियुक्त बने.
पूरे 19 साल तक केस चलता और फिर अजमेर कोर्ट ने उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई. इस सजा के खिलाफ डॉक्टर चिश्ती ने राजस्थान हाईकोर्ट में अपील की लेकिन वहां उनकी जमानत रद्द कर दी गई. मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. नतीजा सबके सामने हैं.
इन सबके बीच सबसे अधिक असंवेदनशील कोई दिखा तो वह राजस्थान के राज्यपाल शिवराज सिंह पाटिल. पाटिल के पास आज भी खलील चिश्ती की दया याचिका पड़ी हुई है, लेकिन वो इस पर साइन करने को तैयार नहीं है.