Skip to content
Hindi News, हिंदी समाचार, Samachar, Breaking News, Latest Khabar – Pratirodh

Hindi News, हिंदी समाचार, Samachar, Breaking News, Latest Khabar – Pratirodh

Primary Menu Hindi News, हिंदी समाचार, Samachar, Breaking News, Latest Khabar – Pratirodh

Hindi News, हिंदी समाचार, Samachar, Breaking News, Latest Khabar – Pratirodh

  • Home
  • Newswires
  • Politics & Society
  • The New Feudals
  • World View
  • Arts And Aesthetics
  • For The Record
  • About Us
  • Featured

मनरेगा की हत्या करना चाहते हैं शरद पवार

Dec 12, 2011 | Panini Anand

क्या कीजिए, ऐसी भाषा लिखने का कतई विचार नहीं है पर कुछ लोगों को आदत होती है गाली सुनने की. अगर भारत में कृषि मंत्रियों का इतिहास उठाकर देखिए तो आप पाएंगे कि शरद पवार से ज़्यादा बुरा, कृषि विरोधी और भ्रष्ट कृषि मंत्री देश को अबतक नहीं मिला है. राजनीति के इस दाउद की जितनी निंदा की जाए, कम है लेकिन निंदा के लिए जो शब्द बने हैं, उनका प्रयोग इस व्यक्ति के लिए करना उन शब्दों की बेइज़्जती जैसा लगता है.

 
ये मान्यवर एक ऐसे मंत्री हैं जो जब-जब अपना मुंह खोलते हैं, ग़रीब के खिलाफ ही बोलते हैं. मसलन, अनाज लोगों से मुंह से छीनकर विदेशों में निर्यात करो ताकि पश्चिम के जानवरों का पेट भर सके. जो हैं तो कृषि मंत्री पर निहायत ही सामंती खेल क्रिकेट में अपनी आत्मा का वास पाते हैं. जो भाजपा के भी हैं और कांग्रेस के भी यानी जिधर से बयार आती दिखे, नाव उधर ले चलेंगे. जिनके लिए जीवन के दो ही मकसद रहे हैं. पहला, जो कि वो पूरा कर चुके हैं और दूसरा, जो आडवाणी की तरह शायद अधूरा ही रह जाए. 
 
इनके बारे में सोचकर ही हंसी आती है इस महा-अवसरवादी नेता पर. अगले ही पल मुंह कड़वा हो जाता है. मस्तिष्क तिरस्कार की भावना से भर जाता है. हाथों और सीने में बेचैनी होने लगती है जैसे कुछ खौल रहा हो और पत्रकारिता की एक सुचितापूर्ण भाषाबाध्यता के बावजूद ज़बान कर्कश होने लगती है… जैसे ही याद आता है कि ये उस राज्य और क्षेत्र से हैं जहाँ इस देश में सर्वाधिक किसानों ने आत्महत्या की है. कमाल यह कि खनिज या सूचना प्रोद्योगिकी नहीं, कृषि मंत्री है माननीय पवार जी.
 
फिलहाल लिख रहा हूँ इनकी ताज़ा टिप्पणी के बारे में. किसानों के लिए घड़ियाली आंसू गिरा रहे इन मंत्री महोदय ने बयान दिया है कि नरेगा का काम उन दिनों बंद रहना चाहिए, जिन दिनों फसल तैयार हो ताकि कृषि उत्पादन इससे प्रभावित न हो. फसल तैयार होने के वक्त नरेगा का काम चलने के कारण मजदूरों की कमी हो रही है और इसका सीधा असर उत्पादन पर पड़ रहा है. जो पैदा हुआ है, वो संभल नहीं रहा. उसके बावजूद लोग भूख से मर रहे हैं, राशन के दाने-दाने को मोहताज हैं और आप उत्पादकता की बलिवेदी पर निरीह नरेगा की गर्दन रखना चाह रहे हैं. दरअसल, शरद पवार का इस बाबत जो तर्क है वो निहायत ही खोखला और अव्यवहारिक है. बल्कि मूर्खतापूर्ण है.
 
शरद पवार के बयान के प्रत्योत्तर में कुछ बातें रखना चाहूंगा.
 
देश में मनरेगा के तहत किसी भी परिवार को कुल 100 दिन ही काम मिलता है और वो भी तब, जब मजदूर काम मांगे, उसके लिए आवेदन करे. मजदूर कतई फसल के दिनों में नरेगा का काम करने के लिए बाध्य नहीं है. इसलिए यह तर्क देना कि फसल के दिनों में काम जबरन चलाया जा रहा है, एकदम तर्कहीन है.
 
केवल 100 दिन की गारंटी किसी भी मजदूर के लिए एक फिक्स-डिपॉज़िट की तरह है जिसे वो तब इस्तेमाल करना चाहता है जब उसके पास करने के लिए और कुछ नहीं होता. मजदूरों की कोशिश होती है कि ऐसे दिनों में, जब किसी और जगह काम मिलने की गुंजाइश न्यूनतम हो, तभी नरेगा के तहत काम किया जाए. पिछले दिनों राजस्थान के कुछ ज़िलों का दौरा करते समय इस बात को खुद देखा कि मजदूर नरेगा की अर्जियां छोड़कर सोयाबीन की कटाई में लगे हुए थे. उन्होंने कहा कि अभी काम है और न्यूनतम मजदूरी भी मिल रही है तो फिर नरेगा के 100 दिन में से क्यों काम करें. इन मजदूरों में से एक हिस्सा राजस्थान के बारां ज़िले का है जहाँ सहरिया जनजाति के लिए 200 दिनों की रोज़गार गारंटी लागू है. फिर भी, फसल क वक्त वे फसल के काम में लगे हैं. अफसोस, कि पवार जी को न तो यह दिखाई देता है और न ही समझ आता है. शायद उन्होंने सपना देखा है कि मजदूरों के लिए 365 दिन मजदूरी की गारंटी हो गई है और वो भी न्यूनतम मजदूरी से दोगुनी कीमत पर.
 
हाँ, अगर फसल के दिंनों में भी कोई मजदूर नरेगा के तहत काम मांग रहा है तो इससे स्पष्ट है कि या तो वह मजदूर किसान के शोषण का शिकार है और या फिर उसे न्यूनतम मजदूरी से बहुत कम पैसा दिया जा रहा है. मजदूर के शोषण की कीमत पर उत्पादन की ओर ललचाई नज़रों से देख रहे पवार जी, यह अपराध है और इसपर आपको शर्म आनी चाहिए. अगर किसी मजदूर को न्यूनतम मजदूरी से कम पैसा दिया जाता है तो यह बंधुआ मजदूरी की श्रेणी में आता है. क्या आप चाहते हैं कि इस देश में मजदूर अपना अधिकार छोड़कर आपके या किसान के उत्पादन की खातिर बंधुआ मजदूरी करे.
 
विश्वास कीजिए, अगर फसल के दिनों में किसी मजदूर को न्यूनतम मजदूरी के भुगतान पर काम करने का मौका मिलता है तो वह कतई नरेगा के तहत काम करने नहीं जाएगा. आपकी यह धारणा कि नरेगा के कारण उत्पादकता पर असर पड़ा है, को आप तर्क और क़ानून की कसौटी पर, मजदूरों के हक़ और अधिकारों की धार पर रखकर देखें, आपकी आंखें खुल जाएंगी.
 
शरद पवार का बयान इस देश के करोड़ों मजदूरों के रोज़गार गारंटी के अधिकार के साथ एक खिलवाड़ है और इससे क़ानून की मूल भावना को भी ठेस पहुंचती है. देश के किस-किस हिस्से में और किस-किस फसल के दौरान आप नरेगा बंद कराना चाहते हैं. मौसम और मानसून के आगे पीछे होने पर आप क्या कीजिएगा और सूखे की स्थिति में क्या होगा. क्या नरेगा के नियम मौसम की तरह बदलते रहेंगे. इन अतार्किक और अव्यवहारिक बातों के लिए आपको क्षमा मांगनी चाहिए.
 
वैसे, अगर शर्म का एक रेशा भी आपमें बाकी है तो कृपया, लोकतंत्र और कृषि प्रधान देश जैसे शब्दों की खातिर, किसानों की आत्महत्या को याद करते हुए अपना इस्तीफा सौंप दीजिए. आपको मंत्री बने रहने का कोई अधिकार नहीं है. नैतिक भी नहीं, राजनैतिक भी नहीं.

Continue Reading

Previous सोच का क्या कीजिएगा, कभी भी आ सकती है
Next एक अन्नाभक्त का एकमात्र सवाल

More Stories

  • Featured

As Migrants Flee Cities, Concerns About Covid Surge In Villages

2 days ago Pratirodh Bureau
  • Featured

Not Even Fear Of Covid Can Disrupt Protest, Say Agitating Farmers

2 days ago Pratirodh Bureau
  • Featured

US Defends Navy Ship’s Navigational Rights Inside India’s EEZ

2 days ago Pratirodh Bureau

Recent Posts

  • As Migrants Flee Cities, Concerns About Covid Surge In Villages
  • Not Even Fear Of Covid Can Disrupt Protest, Say Agitating Farmers
  • US Defends Navy Ship’s Navigational Rights Inside India’s EEZ
  • George Floyd Autopsy: Doctor Stands By Homicide Conclusion
  • Gyanvapi Mosque: UP Waqf Board To Challenge ASI Survey Order
  • Police Clamp Curbs On Media Coverage Of Kashmir Gunbattles
  • Govt. To Review Covid Vaccines After Blood Clot Warning
  • ‘Climate Change, Rich-Poor Gap, Conflict Likely To Grow’
  • ‘Onus Is On Men’: Imran’s Ex-Wife On His ‘Vulgarity’ Rape Remark
  • Rallies, Religious Gatherings Aggravate Worst Covid Surge
  • Compensate Farmers For Crop Damage By Animals: Tikait
  • Myanmar Activists Hold Shoe Protests, Another Celebrity Held
  • 7 Arrested After Climate Protesters Target Barclays London HQ
  • Foundation Laid For ‘Memorial’ To Farmers Who Died During Protests
  • UK Variant Found In 80% Of Covid Cases In Punjab: Health Minister
  • Amnesty International Says Russia May Be Slowly Killing Navalny
  • “Time Has Come”: Tikait Warns Of Farmers’ Tractor Rally In Gujarat
  • Next Four Weeks ‘Very, Very Critical’ In Covid Battle: Health Official
  • Anti-Maoist Ops Stepped Up After 22 Police Killed In Ambush
  • Climate Change Shrinks Marine Life Richness Near Equator: Study

Search

Main Links

  • Home
  • Newswires
  • Politics & Society
  • The New Feudals
  • World View
  • Arts And Aesthetics
  • For The Record
  • About Us

Related Stroy

  • Featured

As Migrants Flee Cities, Concerns About Covid Surge In Villages

2 days ago Pratirodh Bureau
  • Featured

Not Even Fear Of Covid Can Disrupt Protest, Say Agitating Farmers

2 days ago Pratirodh Bureau
  • Featured

US Defends Navy Ship’s Navigational Rights Inside India’s EEZ

2 days ago Pratirodh Bureau
  • Featured

George Floyd Autopsy: Doctor Stands By Homicide Conclusion

2 days ago Pratirodh Bureau
  • Featured

Gyanvapi Mosque: UP Waqf Board To Challenge ASI Survey Order

2 days ago Pratirodh Bureau

Recent Posts

  • As Migrants Flee Cities, Concerns About Covid Surge In Villages
  • Not Even Fear Of Covid Can Disrupt Protest, Say Agitating Farmers
  • US Defends Navy Ship’s Navigational Rights Inside India’s EEZ
  • George Floyd Autopsy: Doctor Stands By Homicide Conclusion
  • Gyanvapi Mosque: UP Waqf Board To Challenge ASI Survey Order
Copyright © All rights reserved. | CoverNews by AF themes.