भाकपा-माले का राष्ट्रव्यापी जेल भरो अभियान
Sep 1, 2012 | Pratirodh Bureauकोयला घोटाले में प्रधानमंत्री की प्रत्यक्ष संलिप्तता और यूपीए शासनकाल में हुए विभिन्न घोटालों के खिलाफ प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग करते हुए आज बड़ी तादाद में भाकपा-माले कार्यकर्ताओं ने संसद मार्ग लाल बत्ती पर सड़क जाम करते हुए गिरफ्तारी दी. अपने राष्ट्रव्यापी ‘जेल भरो आंदोलन’ के तहत माले कार्यकताओं ने प्राकृतिक संसाधनों और जनता के आजीविका के साधनों की कारपोरेट लूट और आकाश छूती महंगाई को बढ़ावा देने वाली निजीकरण की नीतियों तथा मानवाधिकारों और जनांदोलनों को कुचलने की शासकवर्गीय कोशिशों का भी जोरदार तरीके से प्रतिवाद किया.
भाकपा माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने आंदोलनकारियों का नेतृत्व किया तथा उन्हें संबोधित करते हुए कहा कि यूपीए सरकार पूरी तरह कोयला घोटाले में संलिप्त है, पर वह शर्मनाक तरीके से यह कहकर इससे अपना दामन छुड़ाने की कोशिश कर रही है कि कोई घोटाला हुआ ही नहीं. दीपंकर ने कहा- मनमोहन सिंह और चिंदबरम का तर्क है कि जिन इलाकों मे कोयले का आवंटन किया गया, वहां कोई घोटाला नहीं हुआ, क्योंकि कोयले का खनन हुआ ही नहीं. लेकिन इन आवंटित इलाकों में कोयले का उत्पादन नहीं हुआ तो इन आवंटनों को रद्द क्यों नहीं कर दिया गया? बहरहाल सरकार का तर्क है कि अगर नीलामी के जरिए आवंटन की प्रस्तावित नीति पर अमल किया जाता, तो उसमें काफी देरी होती और उससे विकास प्रभावित होता. अगर यह इतना आवश्यक था तो आवंटन के इतने वर्षों बाद भी उत्पादन क्यों शुरू नहीं हुआ? दरअसल खनन का यह अधिकार रिलाइंस, टाटा, मित्तल और जिंदल जैसी कंपनियों की आर्थिक ताकत बढ़ाने के लिए दिया गया है, देश की जीडीपी और राजकोष के लिए कतई कतई नहीं.
दीपंकर ने कहा कि लोकतांत्रिक प्रतिमान यह है कि सरकार जनता की, जनता के लिए और जनता के द्वारा होती है, लेकिन इसे बदल दिया गया है, अब सरकार कारपोरेट्स की, कारपोरेट्स के लिए और कारपोरेट्स द्वारा हो गई है. इसलिए लोकतंत्र की रक्षा और भ्रष्टाचार के खिलाफ जो लड़ाई है, उसके लिए यह जरूरी है कि भ्रष्ट यूपीए सरकार की विदाई हो और कारपारेट लूट और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाली नीतियों पर लगाम लगे.
आंदोलनकारियों का नेतृत्व करने वालों में भाकपा-माले को पोलितब्यूरो सदस्य कामरेड स्वदेश भट्टाचार्य, दिल्ली के राज्य सचिव संजय शर्मा, केन्द्रीय कमेटी सदस्य प्रभात कुमार व कविता कृष्णन, माले नेता गिरिजा पाठक, आइसा नेता रवि राय, माले दिल्ली राज्य कमेटी के सदस्यों संतोष राय, वीकेएस गौतम, सुरेन्द्र पांचाल, आदि शामिल थे. वक्ताओं ने कहा कि दिल्ली में जो कांग्रेस की सरकार है, उसने बिजली का निजीकरण कर दिया है और पानी के निजीकरण का प्रयास कर रही है. दिल्ली के सभी मेहनतकशों और गरीबों के लिए पीने के पानी की उचित व्यवस्था और न्यूनतम जरूरतों से युक्त रहने लायक आवास की गारंटी करने का दिल्ली सरकार का कोई इरादा नहीं है. यह सरकार कई बड़े घोटालों के लिए जिम्मेवार है. लेकिन जब यहां जनता अपने हक अधिकार के लिए आंदोलन करती है और भ्रष्टाचार का प्रतिरोध करती है, तो यह सरकार दमन पर उतारू हो उठती है. हाल में छात्र-युवाओं और भ्रष्टाचार विरोधी कार्यकर्ताओं पर लाठी चार्ज और यहां तक दिल्ली के कई मेट्रो स्टेशनों को ब्लॉक कर दिया जाना कि भ्रष्टाचार विरोधी कार्यकर्ता इकट्ठा न हो सकें, इस सरकार के क्रूर और दमनकारी रवैये के ही उदाहरण हैं.
आंदोलनकारियों को संबोधित करते हुए अन्य नेताओं ने आकाश छूती महंगाई, दलितों और स्त्रियों पर बढ़ते दमन और लोकतांत्रिक आंदोलनों पर बढ़ते शासकीय दमन के खिलाफ भी अपने विचार रखे. वक्ताओं ने जोर देकर कहा कि कांग्रेस और भाजपा दोनों भ्रष्टाचार में संलिप्त हैं. चाहे कोयला घोटाला हो या टेलिकॉम घोटाला या खनिज संसाधनों की कारपोरेट लूट- कांग्रेस और भाजपा सरकारें इसके लिए पूरी तरह दोषी हैं. इसलिए किसी भी वास्तविक भ्रष्टाचार विरोधी संघर्ष की नेतृत्वकारी भाजपा कभी हो ही नहीं सकती.
भ्रष्टाचार मिटाओ- लोकतंत्र बचाओ, कोयला घोटाले के जिम्मेवार प्रधानमंत्री इस्तीफा दो, कारपोरेट लूट बंद करो, निजीकरण पर रोक लगाओ, महंगाई पर रोक लगाओ, लोकतांत्रिक आंदोलनों का दमन बंद करो आदि नारे लगाते हुए रंगबिरंगे बैनरों और प्ले कार्ड्स से लैस सैकड़ों आंदोलनकारियों ने आज संसद मार्ग पर अपनी गिरफ्तारी दी. आंदोलनकारियों ने प्रभावी जनलोकपाल कानून बनाने, काले धन को वापस लाने की मांग भी की. इन्हीं मांगों के साथ माले कार्यकर्ता देश भर में आज सड़कों पर उतरे और अपनी गिरफ्तारियां दीं.