न हिमालय बड़ा, न बछेंद्री पाल: 11 टन कूड़ा, 12000 किलो मल और लाशों से एवरेस्ट बदहाल
Jun 7, 2019 | PRATIRODH BUREAUनेपाल की सरकार ने बुधवार को बताया कि एवरेस्ट की सफाई के दौरान पर्वतारोहियों ने चार शव निकाले हैं और माउंट एवरेस्ट से लगभग 11 टन कचरा इकट्ठा किया है. ये पर्वतारोही दुनिया के सबसे ऊंचे पहाड़ और उसके बेस कैंप के नीचे तक सफाई अभियान में जुटे थे. चार शवों में से किसी की भी पहचान नहीं हो पाई है और यह पता नहीं चला कि उनकी मृत्यु कब हुई. नेपाल के पर्यटन विभाग के मुताबिक, बीते 28 मई को अमेरिका के 62 वर्षीय एक अमेरिकी वकील क्रिस्टोफर जॉन कुलिश की मौत के साथ माउंट एवरेस्ट पर्वतारोहण 2019 की समय सीमा के ख़त्म हुए इस सीजन में 11 लोगों की मौत होने की ख़बर की पुष्टि हो चुकी है.
Another mountaineer, a 61-year-old American, has died after reaching the top of Mount Everest. The death toll for the 2019 climbing season is now up to 11 people. https://t.co/wjowc0zIMG
— Twitter Moments (@TwitterMoments) May 27, 2019
मई में एवरेस्ट के नेपाल की तरफ वाले हिस्से में 9 और तिब्बत की तरफ 2 पर्वतारोही की मौत के बाद 2015 के बाद से अब तक यह सबसे घातक मौसम सिद्ध हो गया है. इन मौतों के कई कारण हैं. जिन्दा लौटे कुछ पर्वतारोहियों का कहना है कि भीड़ और देरी के कारण ये मौतें हुई जबकि नेपाल के पर्यटन विभाग इसके लिए ख़राब मौसम को दोषी मानते हैं. सीएनएन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ज्यादातर मौतें भीड़भाड़ के कारण हुई है.
8,850 मीटर (29,035-फुट) की ऊंचाई से लौटने वाले पर्वतारोहियों ने बताया कि उन्हें वहां के ढलानों में मानव मलमूत्र, ऑक्सीजन की बोतलें, फटे टेंट, रस्सियां, टूटी हुई सीढ़ी, डिब्बे और प्लास्टिक के रैपर आदि मिले. वहीं सगरमाथा प्रदूषण नियंत्रण कमिटी की रिपोर्ट के अनुसार इस साल 28 हजार पौंड मानव मल बेस कैम्पों के आसपास डंप किया गया है.
यह उस देश के लिए शर्मनाक है जो एवरेस्ट अभियानों से मूल्यवान राजस्व कमाता है.
Nepal picks up four bodies, 11 tonnes of garbage in Everest clean-up https://t.co/8cnlpPz1M3 pic.twitter.com/1Jcdbp45Nt
— Reuters India (@ReutersIndia) June 5, 2019
नेपाल ने 11 हजार अमेरिकी डॉलर प्रति परमिट की दर से इस साल एवरेस्ट के लिए 381 परमिट जारी किए थे. माउंट एवेरेस्ट नेपाल के लिए विदेशी मुद्रा आय का एक बड़ा स्रोत है.
एवरेस्ट की ढलानों में साल भर में औसतन 300 लोग मारे जाते हैं जिनका शव और कचरा बर्फ की मोटी चादर के नीचे दब जाता है और बर्फ पिघलने पर दिखाई देता है.
पर्यटन विभाग के महानिदेशक दांडू राज घिमिरे के अनुसार 20 शेरपा पर्वतारोहियों की एक सफाई टीम ने अप्रैल और मई में बेस कैंप के ऊपर अलग-अलग शिविरों से पांच टन और नीचे के इलाकों से छह टन कूड़ा इकट्ठा किया है. घिमिरे ने कहा कि दुर्भाग्य से, दक्षिण क्षेत्र में बैग में एकत्र किए गए कुछ कचरे को खराब मौसम के कारण नीचे नहीं लाया जा सका.
एवेरेस्ट कूड़ाघर बन चुका है. एवरेस्ट अपनी पुरानी गरिमा और संस्कृति भी खो चुका है. इसकी पहचान अब सेल्फी में कैद होकर रह गई है.
इससे पहले पिथौरागढ़ में 25 मई को 7 विदेशी और 1 भारतीय लापता हुए थे. वायुसेना की मदद से इनकी तलाश और बचाव के लिए अभियान चलाया गया लेकिन कामयाबी नहीं मिली थी. 3 जून को खोज पर निकले भारतीय वायुसेना की एक टीम ने उत्तराखंड में नंदा देवी चोटी के पास पांच लापता पर्वतारोहियों के शव देखे.
एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट पर चढ़ाई करने वालों की बढ़ती संख्या और इस सीजन में हुई कई मौतों के बाद नेपाल इस पर्वत पर चढ़ने वालों की संख्या को सीमित करना चाहता है.
1953 में पहली बार सर एडमंड हिलेरी और शेरपा तेनजिंग नोर्गे ने एवेरेस्ट शिखर पर सफलता पाई थी और अब तक लगभग 5000 लोग वहां पहुँच चुके हैं.
अधिक संख्या में लोगों के वहां पहुँचने और कूड़ा जमा करने के कारण ग्लेशियर पिघल रहे हैं. इसका असर हमारे वातावरण पर बहुत तेजी से पड़ रहा है. इस साल दुनिया के सर्वाधिक गर्म विश्व के 15 शहर भारत और पाकिस्तान में हैं. हिमालय की बर्बादी का सीधा रिश्ता भारत के पर्यावरण से है.
विडंबना यह है कि एक छात्र द्वारा ग्लोबल वार्मिंग के विषय में पूछे गये सवाल के जवाब में हमारे प्रधानमंत्री कहते हैं कि कोई ग्लोबल वार्मिंग नहीं, सर्दी-गर्मी का सम्बन्ध उम्र से है. अधिक उम्र के कारण बूढ़े लोगों को सर्दी-गर्मी अधिक लगती है.