Skip to content
Hindi News, हिंदी समाचार, Samachar, Breaking News, Latest Khabar – Pratirodh

Hindi News, हिंदी समाचार, Samachar, Breaking News, Latest Khabar – Pratirodh

Primary Menu Hindi News, हिंदी समाचार, Samachar, Breaking News, Latest Khabar – Pratirodh

Hindi News, हिंदी समाचार, Samachar, Breaking News, Latest Khabar – Pratirodh

  • Home
  • Newswires
  • Politics & Society
  • The New Feudals
  • World View
  • Arts And Aesthetics
  • For The Record
  • About Us
  • Featured

जी हां, अभी भी ज़िंदा है ब्रह्मेश्वर मुखिया

Jun 7, 2012 | अविनाश कुमार चंचल

जब पता चला कि मेरे अखबार की टीम रणवीर सेना प्रमुख और 222 से अधिक दलितों की हत्या का आरोपी ब्रह्मेश्वर मुखिया के दाह संस्कार की कवरेज के लिए बांस घाट जा रही है. मैं खुद को रोक नहीं सका. मैं उस चेहरे को देखना चाहता था जो पूरे बिहार के सामंती चरित्र का प्रतीक रहा है. मुख्य सड़क से पैदल 5 किमी अंदर घाट था, जहां तक हमें पैदल ही जाना था. तपती दोपहर और बालुई जमीन लेकिन फिर भी उत्साह इतना की हमलोग चले जा रहे थे.

 
घाट पर आए लोगों और उनके नारों के चरित्र को देखकर बार बार मन कहता है कि मुखिया अभी जिंदा है. एक ही जाति के हजारों लोगों की उत्पादी भीड़. बार-बार घृणा से भरे नारे. सवर्ण जिंदाबाद के नारे, मरने और मारने की उत्तेजना. ये सब बता रहे थे कि मुखिया का शरीर भले ही मर गया हो लेकिन मुखिया जिस सामंती व्यवस्था का प्रतीक था. वो आज भी उसी तरह जिंदा है.
 
इस शव यात्रा में क्या डॉक्टर, इंजिनियर और क्या आम किसान सभी एक ही स्वर में बोल रहे थे. सबके चेहरे से जातिय घृणा और सवर्ण होने का गर्व झलक रहा था. जिस सेना ने बथानी टोला में 21, लक्ष्मणपुर बाथे में 59, और इसी तरह नगरी, सिंदानी, इकवारी, हैवसपुर, मिंयापुर, पचखोरी, आकोपुर, जैसे नरसंहारों में कुल 287 से अधिक दलितों और समाज के सबसे नीचले तबके के निर्दोष महिलाओं, बच्चों को मारने का काम किया उसी सेना प्रमुख के लिए इतना समर्थन देख मुझे बारबार लग रहा है कि अभी सामंतवाद की जड़े समाज में काफी अंदर तक घूसी है.
 
जिस व्यवस्था ने एमसीसी और मुखिया को जन्म दिया उसे खत्म करने की कोई कोशिश नहीं की जा रही है. भूमि का असमान वितरण, जाति व्यवस्था के भीतर सवर्णों द्वारा दलितों का शोषण, जमींदारी प्रथा जैसी चीजें हैं जिसकी वजह से एमसीसी जैसे संगठनों को खड़ा होना पड़ा था. लेकिन ये हजारों लोग उसी व्यवस्था को बनाए रखने के लिए मरने मारने पर उतारू हैं जिसका मुखिया, मुखिया जैसे लोग होते हैं.
 
मुखिया की शवयात्रा में शामिल लोगों ने जिस तरह से उपद्रव मचाया है वो भी एक सामंती चरित्र को ही दर्शाता है. आरा से पटना तक मुखिया के समर्थकों ने शक्ति प्रदर्शन करने के दौरान न तो किसी आम आदमी को बख्शा है और न ही पुलिस के मामुली सिपाही को. जहां से भी भीड़ गुजरी वहां से आगजनी और उपद्रव की खबर आती रही. मुखिया की शवयात्रा में शामिल लोगों लगभग 900 वाहनो का काफिला था. इनमें कई ऐसे थे जो शराब पीकर नशे में लोगों पर कहर बरपा रहे थे.
 
सड़क पर खोमचे लगाने वाले गरीब लोगों को भी नहीं बख्शा जा रहा था. उनके ठेले को तोड़ा-फोड़ा जा रहा था. कहीं बसों में आग लगायी जा रही थी. मुखिया समर्थक हर ऑटो और बस का शीशा फोड़ते जा रहे थे. एक बुजुर्ग के हाथ-पैर जोड़ने का भी कोई असर नहीं हुआ. अलबत्ता उसके हाथ-पैर टूटने लायक पिटाई जरूर कर दी गई. इन उपद्रवियों से प्रेस वाले भी नहीं बच पाये. कई इलेक्ट्रोनिक मिडिया के साथियों के कैमरे तोड़े गए, कई को मारा-पीटा भी गया.
 
इस सारी घटनाक्रम के दौरान हैरानी की बात ये रही कि सुशासन की पुलिस और बिहार में कानून व्यवस्था के दुरूस्त होने का दावा करने वाली सरकार कहीं नजर नहीं आयी. लोग पिटते रहे और पुलिस मुकदर्शक बनी रही. सामान्य दिनों में अपने अधिकारों के लिए प्रदर्शन करने वालों पर जिस पुलिस का डंडा बरसता रहता है वही पुलिस आज खुद छुपती हुई दिखी. आज भी पुलिसिया ज्यादती का शिकार आमलोगों को ही होना पड़ा. आयकर गोलंबर पर मुखिया समर्थकों के उपद्रव के दौरान जो पुलिस दुबकी रही, वही उनके जाते ही आकर आमलोगों और प्रेस पर लाठी चलाने लगी.
 
घाट पर शव के पहुंचने के साथ ही नीतीश सरकार मुर्दाबाद और एक जाति विशेष जिंदाबाद के नारे लगने लगे. इस दौरान लोग प्रतिबंधित रणवीर सेना जिंदाबाद के नारे भी लगाते दिखे. ऐसा लग रहा था कि मानों बिहार में एक बार फिर जातिय संर्घषों की कहानी लिखी जानी है. लेकिन लोगों द्वारा हत्या का आरोप उसी जाति के एक विधायक पर लगाने के कारण मेरा डर कुछ कम हुआ. लोग खुलकर सरकार की आलोचना कर रहे थे. दूसरी तरफ कुछ आमलोगों में यह डर भी है कि हो सकता है कि फिर से किसी दलित को इसमें फंसाया जाय. ऐसे में मेरी चिंता और गहरा जाती है.
 
एक चिंता ये भी है कि आज लगभग सभी प्रमुख बिहार की राजनितिक दल मुखिया को महान किसान नेता बनाने पर तुले है. कोई उसे गरीब और आम किसानों का मसीहा तक कह रहा है. यदि सच में. इस समाज में मुखिया जैसे लोग मसीहा बनने लगे तो लोगों का मसीहा शब्द से विश्वास उठना लाजिमी होगा.

Continue Reading

Previous बाबा रे बाबा, कैसा है यह बाबा
Next Koodankulam: A report on state suppression

More Stories

  • Featured

‘Congress Will Fight SIR Legally, Politically And Organisationally’

9 hours ago Pratirodh Bureau
  • Featured

COP30 Summit Confronts Gap Between Finance Goals And Reality

13 hours ago Pratirodh Bureau
  • Featured

Ethiopia Famine: Using Starvation As A Weapon Of War

17 hours ago Pratirodh Bureau

Recent Posts

  • ‘Congress Will Fight SIR Legally, Politically And Organisationally’
  • COP30 Summit Confronts Gap Between Finance Goals And Reality
  • Ethiopia Famine: Using Starvation As A Weapon Of War
  • Opposition Leaders Unleash Fury Over Alleged Electoral Fraud in Bihar
  • In AP And Beyond, Solar-Powered Cold Storage Is Empowering Farmers
  • The Plot Twists Involving The Politics Of A River (Book Review)
  • Red Fort Blast: Congress Demands Resignation Of Amit Shah
  • Here’s Why Tackling Climate Disinformation Is On The COP30 Agenda
  • Are Indian Classrooms Ready For The AI Leap?
  • The Land Beneath India’s Megacities Is Sinking
  • Why Trump’s U-Turn On International Students Is A Masterclass In Opportunism
  • How Wars Ravage The Environment And What International Law Is Doing About It
  • ‘Shah’s Ouster Will Be Service To The Nation’
  • Amid Attacks By Wildlife, Villagers & Scientists Hunt For Answers
  • From Rio To Belém: The Lengthy Unravelling Of Climate Consensus
  • ‘Bihar Today Needs Result, Respect & Rise, Not Hollow Rhetoric’
  • After Sand Mining Ban, Quarries Devour Buffer Forests Of Western Ghats
  • Bangladesh Joining UN Water Pact Could Cause Problems With India
  • Amazon Calls The World To Account At 30th UN Climate Summit In Belém
  • Why Can’t Nations Get Along With Each Other? It Comes Down To This…

Search

Main Links

  • Home
  • Newswires
  • Politics & Society
  • The New Feudals
  • World View
  • Arts And Aesthetics
  • For The Record
  • About Us

Related Stroy

  • Featured

‘Congress Will Fight SIR Legally, Politically And Organisationally’

9 hours ago Pratirodh Bureau
  • Featured

COP30 Summit Confronts Gap Between Finance Goals And Reality

13 hours ago Pratirodh Bureau
  • Featured

Ethiopia Famine: Using Starvation As A Weapon Of War

17 hours ago Pratirodh Bureau
  • Featured

Opposition Leaders Unleash Fury Over Alleged Electoral Fraud in Bihar

1 day ago Pratirodh Bureau
  • Featured

In AP And Beyond, Solar-Powered Cold Storage Is Empowering Farmers

2 days ago Pratirodh Bureau

Recent Posts

  • ‘Congress Will Fight SIR Legally, Politically And Organisationally’
  • COP30 Summit Confronts Gap Between Finance Goals And Reality
  • Ethiopia Famine: Using Starvation As A Weapon Of War
  • Opposition Leaders Unleash Fury Over Alleged Electoral Fraud in Bihar
  • In AP And Beyond, Solar-Powered Cold Storage Is Empowering Farmers
Copyright © All rights reserved. | CoverNews by AF themes.