शुजात बुखारी को दुनिया छोड़े एक वर्ष बीत गया लेकिन हत्या से जुड़े इत्तेफ़ाकों का जवाब अब तक नहीं मिल सका.
मसलन, श्रीनगर के लाल चौक के इलाके में, जहां माना जाता है कि इंटेलिजेंस से लेकर पुलिस तक की सख्त निगरानी होती है, वहां हथियारों से लैस कथित मिलिटैंट कैसे पहुंच गए? वह भी ईद की तैयारी में सजे और व्यस्त इलाके में? सुरक्षा में चूक की जवाबदेही किसी की तो रही होगी? यह कैसे हुआ कि हत्या के रोज़ लाल चौक इलाके के सीसीटीवी कैमरे काम नहीं कर रहे थे? पुलिस को घटनास्थल पर पहुंचने में बीस मिनट से ज्यादा का वक्त लग गया? वह शख्स कौन था जो शुजात बुखारी के बॉडीगार्ड से पिस्तौल छिनते दिख रहा था? टीवी चैनलों पर वह क्लिप चलायी गयी. लोगों ने उस फुटेज को देखा. इसके बावजूद परिवार को सिर्फ इतना ही मालूम है कि पिस्तौल छीनने वाला शख्स भी एक ‘संदिग्ध’ है और जांच चल रही है.
बीते दिसंबर हाफिज़ अयाज़ गनी ने इन इत्तेफाकों की चर्चा एक मुलाकात के दौरान की थी. उन्होंने कहा था, “इतने सारे इत्तेफ़ाकों पर हमें शक होता है.” गनी फिलहाल राइजिंग कश्मीर के संपादक हैं.
मेरी स्मृति में शुजात बुखारी की मौत शायद पहला अवसर था जब देश में किसी कश्मीरी की मौत पर आम सहमति बन सकी थी. धड़ों और दड़बों में बंटी पत्रकारों की बिरादारी ने हत्या की निंदा की. यह कहा गया कि कश्मीर को लेकर होने वाली आर या पार जैसी बहसों में शुजात बुखारी का विचार सबसे सुचिंतित और संतुलित हुआ करता था. इस दृष्टिकोण के लिहाज से शुजात को जानने वालों के बीच यह उम्मीद पैदा हुई थी कि कम से कम इस केस में ठोस कार्रवाई होगी. चूंकि शुजात बुखारी के परिवार का सत्ता प्रतिष्ठानों के साथ गाढ़ा रिश्ता था, आम कश्मीरियों को भी विश्वसनीय जांच की उम्मीद थी. हत्यारों पर कार्रवाई भरोसे का एक प्रतीक बन सकती थी.
यह भी एक तथ्य है कि जम्मू-कश्मीर में पीडीपी की सरकार गिराते हुए भाजपा ने शुजात बुखारी की हत्या को भी सरकार से अलग होने के कारणों में एक गिनाया था. जांच के ढुलमुल रवैये ने भरोसे की संभावनाओं का कत्ल कर दिया है.
पुलिस ने स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम का गठन किया. यह बताया कि पाकिस्तान आधारित लशकर-ए-तैय्यबा शुजात की हत्या के लिए जिम्मेदार है. लश्कर-ए-तैय्यबा ने पुलिस के दावों को खारिज कर दिया. लशकर-ए-तैय्यबा ने कहा कि उनका संगठन किसी भी तरह की अंतराष्ट्रीय जांच में सहयोग देने को तैयार है.
28 नवंबर 2018 को पुलिस और सेना के एक संयुक्त ऑपरेशन में नावेद जट उर्फ हंजल्ला नाम का लशकर-ए-तैय्यबा का कमांडर मारा गया. बताया गया कि नावेद जट, शुजात बुखारी की हत्या का “मुख्य आरोपी” था. इसके पहले 23 नवंबर, 2018 को आज़ाद अहमद मलिक (लश्कर कमांडर) को अनंतनाग के बिजबेहारा में मारा गिराया गया था. बताया गया कि ये दोनों शुजात बुखारी की हत्या में शामिल थे.
जम्मू-कश्मीर पुलिस के डायरेक्टर जनरल दिलबाग सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में जो बातें कहीं, वह स्थानीय पत्रकारों के गले नहीं उतरतीं. दिलबाग सिंह ने कहा, ‘’नावेद जट पत्रकार शुजात बुखारी की हत्या का मुख्य आरोपी था. जिस कदर वह हत्या के षडयंत्र में शामिल था, उसके मारे जाने से सब कुछ खत्म हो गया है.”
इसके बाद भी दिलबाग सिंह ने कहा कि जांच जारी रहेगी. पत्रकारों के लिए डीजीपी की बातें इशारा कर रही थीं कि शुजात बुखारी की हत्या एक ‘संदिग्ध हत्या’ का केस बनकर बंद होने के कगार पर पहुंच चुका है.
एक पत्रकार की दिनदहाड़े हत्या को कई सिरे से खंगाला जाना चाहिए. खासकर तब और, जब उसे पक्ष और विपक्ष दोनों की ही सोहबत नसीब थी. शुजात बुखारी कश्मीर के संदर्भ में जितने प्रभावी दिखते थे, उनकी हत्या के बाद उनका परिवार उतना ही असहाय हो गया.
बुखारी के बेटे तमहीद ने अपने पिता की बरसी पर लिखा है कि यह दुनिया मेरी लिए पहले जैसी नहीं रही. तमहीद को पढ़ते हुए मुझे साथी पत्रकार रितिका का लिखा हुआ याद आया. उसने तमहीद से मिलने के बाद लिखा था- “जैसे ही मेरे सामने तमहीद बैठा, मुझे उसकी वह रोती हुई तस्वीर याद आ गई जो मेरे फोटो जर्नलिस्ट दोस्त ने शुजात साहब के इंतकाल के वक्त खींची थी. मैं तमहीद को देखकर रोने लगी, हाफिज़ भी भावुक थे. तहमीद शांत था. उसका चेहरा भावशून्य था. उसने कुछ नहीं कहा, कुछ भी नहीं. वह बस हमारे बीच बैठा रहा, चुपचाप. उसे देखकर ऐसा लग रहा था मानो शुजात साहब के इंतकाल के वक्त वह इतना रो चुका है कि अब रोना नहीं चाहता. उसका चेहरा बता रहा था कि ये दुनिया उसके लिए वैसी नहीं रही, जैसी पिता के होते हुए थी’’.
बीते दिनों कश्मीरी पत्रकार कैसर अंदराबी को पुलिस ने सिर्फ इसलिए पीटा क्योंकि वे खुले बटन की शर्ट पहने हुए थे. अंदराबी शुजात बुखारी के छात्र रहे हैं. वे कहते हैं, “पत्रकारों के साथ जो सुलूक कश्मीर में होता है, उससे मुझे शुजात सर की बात याद आती है. वे कहते थे कि पत्रकारों को भ्रष्टाचार उजागर करने के लिए धमकाया जा सकता है. पत्रकार का कर्तव्य यह होता है कि वह इन धमकियों से न डरे. डटा रहे और अपना काम करता रहे.”
हाफिज़ ने बताया कि तमहीद भी आगे पत्रकारिता करना चाहता है. वह रोज शाम को दफ्तर आता है और रिपोर्टरों के साथ न्यूज़रूम में वक्त बिताता है.
पत्रकारों और पत्रकारिता के छात्रों के बीच शुजात की बातें रह गई हैं. अनसुलझे सवालों का गुच्छा रह गया है. कोई उनके तीक्ष्ण संपादकीय के लिए याद करता है तो कोई उनकी नसीहतें. लाल चौक स्थित गुलशन बुक स्टोर के मालिक एजाज़ को तो बहुत दिनों तक यकीन ही नहीं हुआ कि शुजात दुनिया से जा चुके हैं. उन्हें आज भी शुजात के साथ की गईं लंबी बातें याद आती हैं. “ही वाज ए जेम”, एजाज़ कहते हैं.
हाफिज़ को यह सवाल परेशान करता है कि आखिर परिवार को मालूम तो हो कि कौन से लोग थे जो शुजात को मारना चाहते थे. परिवार के अनुसार, शुजात की किसी से कोई दुश्मनी और आपसी रंजिश थी ही नहीं.
शुजात बुखारी की हत्या के बाद स्थानीय पत्रकारों में राइजिंग कश्मीर को लेकर राय अच्छी नहीं है. फोटो जर्नलिस्ट जुनैद भट कहते हैं, “राइजिंग कश्मीर की संपादकीय नीति में अंतर स्पष्ट झलकता है. अखबार के कॉन्टेंट का स्तर गिरा है. कश्मीरी साहित्य और यहां की लोक संस्कृति को बढ़ावा देने में शुजात का महत्वपूर्ण योगदान रहा है, उसे कश्मीरी बहुत मिस करते हैं’’.
मैं राइजिंग कश्मीर के दफ्तर भी उनकी याद में ही गया था. शायद उनके प्रति सम्मान और उससे ज्यादा उनकी बात रखने के लिए. मुझे याद है वह छोटी सी मुलाकात जब मैं छात्र था और न्यूज़लॉन्ड्री के मीडिया रंबल कार्यक्रम में उनका वक्तव्य खत्म होते ही उनके पीछे लग जाना. उस बातचीत में उनका राइजिंग कश्मीर के दफ्तर बुलाने का वह न्योता हमेशा साथ रह गया, जबकि हमें मालूम था वह बहुत कैजुअल निमंत्रण था.
India is on its way to becoming the third-largest economy in the world, yet unemployment among young people with graduate…
In the first two phases of the Lok Sabha polls, women constituted only eight per cent of the total 1,618…
Indian diplomatic missions need to closely monitor the security situation and assess the threat perceptions to its communities. Nation-making is…
To work in nature conservation is to battle a headwind of bad news. When the overwhelming picture indicates the natural…
Amid the surge of extreme weather events globally, billions of dollars are pouring into developing cutting-edge weather forecasting models based…
On Friday, April 26, Congress leader Rahul Gandhi retaliated against Prime Minister Narendra Modi over his attack on the grand…
This website uses cookies.