मई 2019 में प्रचंड बहुमत के साथ नरेंद्र मोदी सरकार सत्ता में आई थी. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अकेले अपने दम पर 303 सीटों पर कब्जा जमाया था, लेकिन महज साढ़े 6 महीने में ऐसा क्या हो गया कि मोदी सरकार और यूथ में ठन गई? अगर आप गौर करें तो मोदी सरकार और उनकी नीतियों के खिलाफ देश भर की कई बड़ी यूनिवर्सिटी और शैक्षणिक संस्थानों में प्रदर्शन चल रहे हैं. हाल में स्टूडेंट्स नागरिकता कानून और NRC के खिलाफ सड़कों पर उतरे और अब उन्होंने जेएनयू हिंसा के विरोध में मोर्चा खोल दिया है.
मोदी की नीतियों के खिलाफ हैं यहां के स्टूडेंट्स
जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू), दिल्ली यूनिवर्सिटी, जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी, अलीगढ़ यूनिवर्सिटी, कॉटन यूनिवर्सिटी गुवाहाटी, गुवाहाटी यूनिवर्सिटी, आईआईटी बॉम्बे, मद्रास यूनिवर्सिटी, प्रेसिडेंसी यूनिवर्सिटी कोलकाता, उस्मानिया यूनिवर्सिटी हैदराबाद, यूनिवर्सिटी ऑफ हैदराबाद, पंजाब यूनिवर्सिटी, बनारस यूनिवर्सिटी, जाधवपुर यूनिवर्सिटी, टाटा इंस्टिट्यूज ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, आईआईएम अहमदाबाद, आईआईएम कोलकाता, आईआईएम बेंगलुरु, एनआईटी कैलीकट, आईआईटी कानपुर सहित अन्य संस्थानों के स्टूडेंट्स इन दिनों सरकार की नीतियों के खिलाफ हैं. ये वो यूनिवर्सिटी हैं, जहां से कई सेक्टर में देश को प्रेजेंट करने वाले होनहार निकलते हैं.
दिहाड़ी पर मोदी-मोदी नारे लगाने वाले भी हैं
वहीं, नौजवानों का एक धड़ा ऐसा भी है जो कभी कांवड़िया बनकर निकल जाता है तो कभी नकाबपोश बनकर अराजकता फैलाने में यकीन रखता है. इसके अलावा 300 रुपये दिहाड़ी में मोदी-मोदी नारे लगाने वाले भी हैं. अगर हाउडी मोदी करने वालों की बात की जाए तो वो ना यहां के हालात से वाकिब हैं और ना वो यहां रहते हैं. साथ ही उनका यहां के नियम-कानून से भी कोई वास्ता है. खैर ऐसे यूथ से ज्यादा फर्क नहीं पड़ता है, लेकिन सवाल ये है कि इन टॉप यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स के खिलाफ सरकार क्यों हो गई है. इन यूनिवर्सिटी के ग्रांट क्यों कम किए गए हैं. भारी फीस बढ़ोतरी के साथ स्कॉलरशिप कम करके सरकार क्या साबित करना चाहती है?
1100 यूनिवर्सिटी के लोगों ने की निंदा
बीते साल दिसंबर में अलीगढ़ और जामिया यूनिवर्सिटी में पुलिस ने छात्रों के साथ जो बर्बरता की थी, उसके बाद दुनिया भर के करीब 1100 यूनिवर्सिटी के लोगों ने इसकी निंदा की थी. आपको बताते चले कि अलीगढ़ यूनिवर्सिटी में हालात को काबू करने के लिए जहां पुलिस को कुलपति ने कैंपस में बुलाया, वहीं जामिया मिलिया में पुलिस ने जबरन घुसकर स्टूडेंट्स पर लाठियां बरसाईं थी. इधर, जेएनयू में नकाबपोश गुंडे घंटों स्टूडेंट्स को पीटते रहे और दिल्ली पुलिस बाहर ही खड़ी रह गई थी. ये अजीब इत्तेफाक था या सुनियोजित प्लानिंग, इस पर सरकार ही स्थिति साफ करे तो बेहतर होगा क्योंकि नकाब पहनकर झगड़े नहीं होते.
बॉलीवुड हस्तियां भी शामिल हुईं
जेएनयू हिंसा के खिलाफ मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया पर 6 जनवरी को बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी जुटे. जेएनएयू के छात्रों पर हुए हमले के विरोध में हुतात्मा चौक से गेटवे तक मार्च निकाला गया. इसमें IIT बॉम्बे के अलावा कई दूसरे शैक्षणिक संस्थानों के छात्र भी शामिल हुए. इस प्रदर्शन में बॉलीवुड से जुड़े अनुभव सिन्हा, अनुराग कश्यप, दीया मिर्जा, विशाल भारद्वाज, तापसी पन्नू जैसी हस्तियां के साथ हर तबके के लोगों ने केंद्र सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद की. हालांकि सरकार अपने रवैये पर कायम है, लेकिन उसे पता होना चाहिए कि जनता और सरकार की लड़ाई में जनता की ही जीत होती है.
Delhi’s air may be growing more toxic by the day — but on Sunday, authorities appeared to view a peaceful…
The 14th State Level Philatelic Exhibition, MAPPEX-2025, organized by the Madhya Pradesh Postal Circle, was held in Bhopal from November…
South Asia accounts for 50% of the groundwater pumped for irrigation globally. The practice has been critical to ensuring food…
Earlier this week, news came in that ousted Bangladesh Prime Minister Sheikh Hasina has been sentenced to death – by…
At the 14th edition of the Dharamshala International Film Festival, three documentaries stood out for the way they portrayed the…
The Special Intensive Revision of the voters list across 12 Indian states could potentially lead to sharpening of the communal…
This website uses cookies.