[metaslider id=”11866″]
“ईमानदारी से कहूं तो हमने वास्तव में शानदार क्रिकेट खेला. उम्मीद थी कि टॉस जीतकर एक बड़ा स्कोर बनाए. लेकिन आश्चर्यजनक रूप से पिच का स्वभाव धीमा था.
ऐसे में 260 या 270 रन अधिकतम होते, 250 या 260 रन बहुत होते लेकिन प्रतिभा से भरी अफ़ग़ानिस्तान ने वैसा खेल दिखाया जिसकी आप उम्मीद भी नहीं कर रहे होंगे.
आधे मैच के बाद हमारे दिमाग़ में कुछ शक पैदा हो गया था कि मैच का नतीजा क्या होगा. लेकिन सबको सामूहिक रूप से भरोसा था कि हम मैच जीतेंगे.”
यह कहना है भारत के कप्तान विराट कोहली का, जिन्होंने तब राहत की सांस ली जब बीते शनिवार को एक बेहद रोमांचक मुक़ाबले में भारत ने अफ़ग़ानिस्तान को 11 रन से हरा दिया.
विराट कोहली ने पिच को लेकर भी कहा कि पहले तो उन्होंने पिच की पेस को समझने को कोशिश की.
अपने गेंदबाज़ों की भी तारीफ़ करते हुए विराट कोहली ने कहा कि जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद शमी और हार्दिक पांड्या सभी देश के लिए शानदार प्रदर्शन करने के लिए बेताब है और मौक़े का फ़ायदा उठाने के लिए भी.
विराट कोहली ने स्वीकार किया कि यह मैच बेहद महत्वपूर्ण था जबकि जैसा उन्होंने रणनीति बनाई था वैसा इस मैच में नहीं हुआ.
लेकिन जब सब कुछ आपके विपरीत हो रहा हो तब अंतिम गेंद तक लड़कर मैच जीतकर वापस विश्वास को पाने से टीम के जीवट का पता चलता है.
दूसरी तरफ अफ़ग़ानिस्तान जैसी टीम जो अपने पिछले पांचों मुक़ाबले हार चुकी थी और उसका आत्मविश्वास डगमगाया हुआ था, उसने अपने शानदार खेल के दम पर सभी का दिल जीत लिया.
यह उनके संघर्ष का ही कमाल था कि अंतिम गेंद तक रोमांच बना रहा और जब तक भारत जीत नहीं गया तब तक सांस थमती और तेज़ होती रही.
यहां तक कि स्टेडियम में मौजूद कई भारतीय समर्थकों को तो रोते हुए प्रार्थना तक करते देखा गया, शायद उन्हें भारत के हारने की आशंका सता रही थी.
अफ़ग़ानिस्तान ने जैसा संघर्ष मैदान में किया वैसा ही संघर्ष उसने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपनी पहचान बनाने के लिए किया.
कमाल की बात है कि जिस अफ़ग़ानिस्तान ने भारत को कड़ी टक्कर दी उसका खेल सुधारने का पूरा श्रेय भी भारत को ही जाता है.
सभी जानते है कि अफ़ग़ानिस्तान के हालात कैसे हैं. अब भारत ने उसकी मदद कैसे की उससे पहले चर्चा उसके खेल की जिसे लेकर खेल पत्रकार विजय लोकपल्ली कहते है कि बहुत से लोगों ने ट्विटर पर लिखा कि अफ़ग़ानिस्तान को यह मैच जीत लेना चाहिए था.
इत्तेफ़ाक़ से विजय लोकपल्ली भी यही राय रखते है. लेकिन आगे वह कहते हैं कि इतनी नई, कमज़ोर और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनुभवहीन टीम ने लगभग भारत को हरा ही दिया था.
इस हार में भी अफ़ग़ानिस्तान की जीत है. उन्होंने नए चहेते यानी चाहने वाले विश्व क्रिकेट में ढूंढे हैं, यह मैच उनके लिए हमेशा यादगार रहेगा.
अगर जीत जाते तो और भी यादगार होता. इस हार से उन्हें भविष्य में बेहतर क्रिकेट खेलने का सबक़ मिला होगा.
आज नहीं तो कल वह एकदिवसीय क्रिकेट में भारत को हराएंगे.
वैसे एक बार तो वह भारत को टाई मैच का स्वाद भी चखा चुके हैं.
विजय लोकपल्ली कहते हैं कि यह मैच देखने के बाद वह अफ़ग़ानिस्तान के फैन यानी समर्थक हो गए हैं.
अब मैच में जो भी उतार-चढ़ाव आए उसका तो सभी को पता है लेकिन अफ़ग़ानिस्तान क्रिकेट में कैसे आगे बढ़ा इसकी दास्तान बेहद दिलचस्प है.
इसे लेकर विजय लोकपल्ली कहते है कि बीसीसीआई ने ख़ुद इसकी ज़िम्मेदारी लेते हुए अफ़ग़ानिस्तान को तमाम तरह की सुविधाएं दी.
पहले तो बीसीसीआई ने नोएडा का स्टेडियम अफ़ग़ानिस्तान का घरेलू मैदान बनाया. अब वह देहरादून में अभ्यास करते हैं.
इसके अलावा एशिया में क्रिकेट के विस्तार को गति देना बीसीसीआई का दायित्व था.
विजय लोकपल्ली कहते हैं कि इसके बावजूद अफ़ग़ानिस्तान को कोई ख़ैरात नहीं मिली है, बल्कि वह इसके हक़दार हैं. उनके पास बेहद प्रतिभाशाली खिलाड़ी हैं.
राशिद खान शानदार स्पिनर के तौर पर उभरे हैं.
मोहम्मद नबी जिन्होंने भारत के ख़िलाफ़ 52 रन बनाए वह अतंरराष्ट्रीय स्तर पर रोमांचकारी क्रिकेटर हैं.
हशमतुल्लाह शाहिदी और रहमत शाह अच्छे खिलाड़ी हैं. रहमत शाह ने तो यहां तक दिखाया कि अगर वह थोड़ी देर और विकेट पर टिक जाते तो मैच जीता देते.
विश्व क्रिकेट के लिए जैसे वेस्ट इंडीज़ बहुत महत्वपूर्ण है उसी तरह एक नई टीम का आना भी ज़रूरी है.
ज़िम्बाब्वे और कीनिया जैसी टीमें बहुत पिछड़ गई है. अफ़ग़ानिस्तान के अलावा आने वाले समय में नेपाल टीम भी उभरकर सामने आएगी, क्योंकि भारत नेपाल को भी सहयोग देता है.
अफ़ग़ानिस्तान का शानदार खेलना विश्व क्रिकेट के लिए ही नहीं, ख़ासकर एशियन क्रिकेट के लिए बहुत अच्छा है.
अफ़ग़ानिस्तान ने सभी मुश्किलें पार कीं
वैसे अफ़ग़ानिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने पिछले दिनों भारत में अफ़ग़ानिस्तान लीग टी-20 चैंपियनशिप कराने की मांग की जिसे बीसीसीआई ने ठुकरा दिया.
इसे लेकर विजय लोकपल्ली कहते हैं कि इससे बेहतर तो यह होगा कि बीसीसीआई अफ़ग़ानिस्तान को भारत में प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेलने का अवसर दे.
रणजी या दलीप ट्रॉफी में अफ़ग़ानिस्तान की एक टीम खेल सकती है, क्योंकि अफ़ग़ानिस्तान लीग में तो दुनिया भर के खिलाड़ी भी आएंगे.
भारत अफ़ग़ानिस्तान के खिलाड़ियों की प्रतिभा को और निखारने के लिए एनसीए यानि नैशनल क्रिकेट एकेडमी में उनके खिलाड़ियों को खेलने की सुविधा दे सकता है.
वैसे अफ़ग़ानिस्तान ने अपना पहला टेस्ट मैच भारत के ख़िलाफ़ ही खेला था. यह मुक़ाबला बेंगलुरू के एम चिन्नास्वामी स्टेडियम में पिछले साल 2018 में 14 से 18 जून तक खेला गया.
इतना ही नहीं भारत के पूर्व बल्लेबाज़ लालचंद राजपूत साल 2016 से 2017 के बीच अफ़ग़ानिस्तान टीम के कोच भी रह चुके है.
दरअसल अफ़ग़ानिस्तान के पड़ोसी देश पाकिस्तान और भारत में क्रिकेट का जो जूनून है भला उससे अफ़ग़ानिस्तान भी कैसे बच सकता था.
लेकिन युद्ध और युद्ध जैसे हालात में खुलेआम खेलना आसान नहीं था. इसे देखते हुए भारत को उसकी मदद के लिए आगे आना ही पड़ा.
इसके बाद अफ़ग़ानिस्तान ने इतनी तेज़ी से इस खेल में तरक्की की कि आईसीसी उसे टेस्ट क्रिकेट का दर्जा देने से नही रोक सका, जबकि उसे खेल शुरू किए हुए पांच-छह साल ही हुए थे.
अफ़ग़ान क्रिकेट को आगे ले जाने में उसके पूर्व कप्तान नवरोज़ मंगल का भी बड़ा योगदान है जिनकी कप्तानी में टीम कामयाबी की पहली मंज़िल हासिल करने में कामयाब रही.
अफ़ग़ानिस्तान ने नवरोज़ की कप्तानी में साल 2012 में पहली बार टेस्ट मैच का दर्जा हासिल कर पाकिस्तान के ख़िलाफ़ शारजाह में एकदिवसीय मैच खेला.
अफ़ग़ान खिलाड़ियों के बारे में मशहूर है कि वह बॉलीवुड की फ़िल्मों को पसंद करते हैं और ख़ासकर अमिताभ बच्चन की कई फ़िल्मों के डायलॉग तक उन्हें याद हैं.
उन्हें हिंदी भी बोलनी आती है. राशिद खान तो आईपीएल स्टार खिलाड़ी हैं ही और ख़ूब हिंदी बोलते हैं. उनके अलावा मोहम्मद नबी भी आईपीएल में खेलते हैं.
कमाल है भारत और अफ़ग़ानिस्तान के बीच अभी तक तीन एकदिवसीय मैच ही हुए है. दो भारत जीता और एक टाई रहा.
ज़रा सोचिए अगर कहीं शनिवार को अफ़ग़ानिस्तान जीत जाता तो क्रिकेट के दीवाने देश भारत में क्या होता?
In an election rally in Bihar's Aurangabad on November 4, Congress leader Rahul Gandhi launched a blistering assault on Prime…
Dengue is no longer confined to tropical climates and is expanding to other regions. Latest research shows that as global…
On Monday, Prime Minister Narendra Modi launched a Rs 1 lakh crore (US $1.13 billion) Research, Development and Innovation fund…
In a bold Facebook post that has ignited nationwide debate, senior Congress leader and former Madhya Pradesh Chief Minister Digvijaya…
In recent months, both the Inter-American Court of Human Rights (IACHR) and the International Court of Justice (ICJ) issued advisory…
When a thermal power plant in Talcher, Odisha, closed, local markets that once thrived on workers’ daily spending, collapsed, leaving…
This website uses cookies.