बीते सोमवार को मध्य प्रदेश में जब कमल नाथ सरकार विधानसभा के मॉनसून सत्र के पहले दिन गौवध प्रतिषेध अधिनियम में संशोधन संबंधी विधेयक पेश कर रही थी उससे एक दिन पहले राज्य के खंडवा जिले में बजरंग दल के लोगों ने 25 लोगों को गायों की तस्करी के आरोप में पकड़ कर मारा-पीटा, उन्हें रस्सी से बांध कर जुलूस निकाला और उनसे जबरन गौमाता की जय के नारे लगवाये. पुलिस ने पहले पीड़ितों को भारतीय दंड संहिता के तहत पशु क्रूरता के आरोपों में गिरफ्तार किया, बाद में तीन हमलावरों को भी गिरफ्तार किया किन्तु वे हमलावर अब जमानत पर बाहर हैं और पीड़ित अब भी जेल में.
‘फैक्ट चेकर’ वेबसाइट के अनुसार 2010 के बाद से भारत में गोजातीय-संबंधित यह 131वां अपराध के रूप में दर्ज़ हो गया है.
इस तरह की हिंसा में अब तक करीब 47 लोगों की जान गई हैं और 264 लोग घायल हुए हैं.
8 जुलाई को खंडवा में जो हिंसा हुई वह इस साल का आठवां हेट क्राइम यानी घृणा से प्रेरित अपराध था. हमलावरों का आरोप[था कि पीड़ित तस्करी के लिए गाय महाराष्ट्र ले जा रहे थे जबकि पीड़ितों ने कहा है कि वे उन पशुओं के मालिक हैं और महाराष्ट्र पशु मेले में जा रहे थे.
कांग्रेस शासित मध्य प्रदेश में पुलिस ने करीब एक तिहाई पीड़ितों पर गौ रक्षा कानून की धाराओं के तहत कार्यवाही की है. खंडवा पुलिस ने 25 पीड़ितों के खिलाफ़ आईपीसी की धारा 429 के तहत मामला दर्ज किया है.
तथ्यों की पड़ताल और मीडिया रिपोर्ट्स से पता चलता है कि करीब 98 प्रतिशत (127) मामले 2014 में केंद्र में भाजपा सरकार के आने के बाद दर्ज हुए. खंडवा पुलिस ने कहा कि वे सभी लोग बजरंग दल द्वारा थाने पर लाये गये थे.हमलावरों की भीड़ में मुख्य रूप से विश्व हिंदू परिषद (VHP) की युवा शाखा बजरंग दल के सदस्य शामिल थे जबकि पुलिस ने यह भी माना कि गिरफ्तार पीड़ित गायें नहीं, बैल और बछड़ों को ले जा रहे थे.
ट्रिब्यून ने जून 2018 में लिखा था कि अमेरिका की सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी ने इन दोनों संगठनों को “धार्मिक आतंकवादी संगठन” और “राजनीतिक दबाव वाला समूह” कहा था.
मध्य प्रदेश में इस साल अब तक गाय संबंधी दोनों हमलों में वीएचपी को शामिल पाया गया है. 2010 के बाद से राज्य में गाय के नाम पर हिंसा के 10 मामले दर्ज़ किये गये हैं. 2018 में कांग्रेस ने सत्ता में आते ही सभी हिंसाओं के लिए वीएचपी से जुड़े हिंदू दक्षिणपंथी संगठनों को जिम्मेदार ठहराया था.
2019 लोकसभा चुनाव परिणामों की घोषणा से एक दिन पहले यानी 22 मई को मध्य प्रदेश के सिवनी में गौमांस ले जाने के आरोप में श्री राम सेना के स्थानीय नेता ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर दो मुसलमानों पर हमला किया था.
भाजपा नेता कमल पटेल का कहना है कि कांग्रेस सरकार निर्दोष लोगों को सजा दे रही है, कार्यवाही से पहले उन्हें तथ्यों की जांच करनी चाहिए. इस पर राज्य के पर्यावरण और लोक निर्माण विभाग के मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने कहा है कि अगर जिला कलेक्टर या एसपी (पुलिस अधीक्षक) निर्दोष लोगों पर आरोप लगाने के लिए जिम्मेदार हैं, तो मुख्यमंत्री व्यक्तिगत रूप से स्थिति की निगरानी करेंगे.
26 जून, 2019 मध्य प्रदेश सरकार ने गौ रक्षा के नाम पर होने वाली हिंसा पर रोक लगाने के लिए एक नए कानून का प्रस्ताव रखा है. प्रदेश सरकार के अनुसार यदि कोई व्यक्ति गाय को लेकर हिंसा के किसी मामले में गिरफ्तार किया जाता है, तो उसे छह महीने से लेकर तीन साल की सजा दी जा सकती है. साथ ही, दोषी पर 25,000 से 50,000 रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है. कांग्रेस नेता व प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ सिंह की सरकार ने मध्यप्रदेश गोवंश वध प्रतिषेध अधिनियम, 2004 में संशोधन करने का प्रस्ताव दिया है.
2004 में, भाजपा की तत्कालीन मुख्यमंत्री उमा भारती गौ रक्षा के नाम पर कानून बनाया था.जिसमें गोहत्या पर प्रतिबंध लगाया गया था, जिसमें वध के लिए गायों की बिक्री या दान भी अपराध में शामिल था. जिसके तहत दोषी पाए जाने वालों को 10,000 रुपये तक का जुर्माना और तीन साल तक की जेल हो सकती है.छह साल बाद, 2011 में, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने कानून में संशोधन किया, जेल की अवधि बढ़ाकर सात साल कर दी और न्यूनतम जुर्माना 5,000 रुपये कर दिया.
अब हालत यह है कि गौ हिंसा के पीड़ित लोगों पर ही खुद को निर्दोष साबित करने का बोझ आ गया है.
फैक्ट चेकर पर प्रकाशित आत्मन मेहता के लेख से साभार
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