ज़ोर से कहिए न, कि यह व्‍यवस्‍था सड़ चुकी है, सुधर नहीं सकती!

सौ से ज्यादा बच्चों की जान जाती है तो हम स्वास्थ्य सेवाओं पर बात करते हैं. परीक्षा केंद्र पर खुलेआम चोरी होने का मंजर कैमरे में कैद हो जाये, पेपर आउट हो, कोई रंजीत डॉन सामने आ जाये, मिड डे मील खाकर बच्चे मर जाए तो शिक्षा में सुधार की बात होती है. जब तक कोई त्रासदी रोजमर्रा के सुकून को धकिया न दें, हम सोते ही रहते हैं. जागते हैं तो फिर कितने दिनों के लिए?

आज आरजेडी के पेज से यह फोटो (नीचे) चलाया गया है और कुछ पोलेमिकल लिख दिया गया है. लोग भी कह रहे हैं कि विपक्षी पार्टियाँ “मुद्दे” को पुरजोर तरीके से नहीं उठा पा रही हैं. किसी को स्वास्थ्य मंत्री का इस्तीफा चाहिए तो कोई अश्विनी चौबे के ऊँघने पर परेशान है. असल बात कहने से सब बच रहे हैं. असल बात क्या है?

जोर से कहिये न कि आपकी यह व्यवस्था सड़ चुकी है. इसमें सुधार नहीं हो सकता. मुजफ्फरपुर में 100 मरे तो बड़ा आक्रोश है, हर साल 10-20 मरते थे तो आम बात थी. आपके पब्लिक हेल्थकेअर का सबसे बेहतरीन मॉडल कहाँ है? दिल्ली का आल इंडिया इंस्टिट्यूट, क्यों? मेरी माँ उसी ऐम्स में कैंसर से 11 साल पहले मरी थी, मुझे पता है कि उस ऐम्स में ओपीडी में नम्बर लगाने के लिए लोग सुबह 2-3 बजे से इकट्ठा होते हैं. अंसारी नगर के गली-कूंचों में भेड़-बकरियों की तरह रहने वाले लोग 7-8 घण्टे लाइन में खड़े होते हैं तो उन्हें रेजिस्ट्रेशन कार्ड मिला करता था. हर साल आप उस बजट में नए ऐम्स बनाने का दावा करते हैं फिर भी दिल्ली के एक अस्पताल का वह भार कम क्यों नहीं होता? सोचिये. उस ऐम्स में भी किन्हीं मंत्री या जाने-माने सांसद का रिफरेन्स मिल जाए तो बात अच्छे से बनती है, अन्यथा नहीं. यह कहने का जोखिम कौन उठाएगा कि इन सब के बाद लोगों में इतना धैर्य बन चुका है कि उन्हें अब यह “सामान्य” लगता है. डॉक्टर बस देख ले, भले उसके पहले और बाद कितनी भी जिल्लत उठानी पड़े.

फर्श पर सोने वाले को बेड न मिलने का कोई मलाल नहीं. वह नर्स से लेकर डॉक्टर और सफाई कर्मी तक की डांट सुनेगा लेकिन उसे बस मुफ्त की दवा मिल जाए तो वह संतुष्ट है. खुद को इतना कमतर करके आंकने वाले लोगों का देश हैं हम. वृद्धा अवस्था पेंशन के ₹200 में उसे बांटने वाला अधिकारी ₹50 रखकर महीनें का ₹150 दे दें तो हमें लगता है उसने एहसान कर दिया. ऐसे लोगों का देश है हम. अपनी आशाएं इतनी कम करके जीने वाले लोगों को भी अगर यह व्यवस्था सम्बल नहीं दे पा रही है तो इसे खत्म हो जाना चाहिए.

अब कहने का समय आ गया है कि जिस नागरिकता और ‘रूल ऑफ लॉ’ के नाम पर हमें एकत्र किया गया था, वह ठगने का बहाना है और तब भी था. मुझे तो ताज्जुब होता है कि जिस अम्बेडकर को 1951-52 के आम चुनावों में साजिश करके हरा दिया गया वह 1 साल पहले तक कैसा लोकतंत्र बनाने की हामी भर रहे थे. हर तरफ, हर ओर, कोई एक संस्था बता दीजिए जो समकालीन भारत मे ठीक से काम कर रही है. बीच-बीच में लोगों के गुस्से को थामने के लिए कोई झुनझुना सामने लटकाया जाता है और फिर रोजमर्रा में वही कहानी. जिन न्यायालयों से न्याय मिलने की आस है उसमें काम कैसे होता है यह आम लोग नहीं जान पातें. जिस विधायिका के भीतर हमारा प्रतिनिधत्व होना है वहाँ चोर-उच्चकों को हमनें ही चुनकर भेज दिया है. जिस कार्यपालिका को हमारा “सेवक” होना था वह आज भी “हुज़ूर, माई-बाप” बना बैठा है. जाए तो जाए कहाँ?

अब जितनी और देरी यह कहने में लगाएंगे कि हमारे पास शासन के जो दस्तावेज हैं वह काम करना बंद कर चुके हैं, हालात और बिगड़ते जाएंगे. वे दस्तावेज आज भी करोड़ों लोगों को समझ में नहीं आते और शायद उन्हें इसीलिए इस तरह से लिखा गया था. यह मरना जीना तो चलता रहेगा. आज बुखार से, कल गर्मी से, परसों सर्दी से, बारिश नहीं हुई तो सुखाड़ से, ज्यादा बारिश हो गई तो बाढ़ से, लोग मरते रहेंगे. इस देश के पढ़े-लिखे और संपन्न लोगों के पास आखिरी मौका है कि अब वह यह मान ले कि जिस बहुसंख्यक की आशा व्यवस्था से न्यूनतम है और वह उतने में ही खुश रहा करता था, अब यह व्यवस्था उसे भी पूरा नहीं कर पा रही है. कुछ कीजिये, जल्दी कीजिये, नहीं तो ऐसा सोशल टेंशन देखने को मिलेगा जो भारतीय इतिहास में इसके पहले कभी नहीं दिखाई दिया था.

Recent Posts

  • Featured

‘PM Modi Wants Youth Busy Making Reels, Not Asking Questions’

In an election rally in Bihar's Aurangabad on November 4, Congress leader Rahul Gandhi launched a blistering assault on Prime…

12 hours ago
  • Featured

How Warming Temperature & Humidity Expand Dengue’s Reach

Dengue is no longer confined to tropical climates and is expanding to other regions. Latest research shows that as global…

15 hours ago
  • Featured

India’s Tryst With Strategic Experimentation

On Monday, Prime Minister Narendra Modi launched a Rs 1 lakh crore (US $1.13 billion) Research, Development and Innovation fund…

16 hours ago
  • Featured

‘Umar Khalid Is Completely Innocent, Victim Of Grave Injustice’

In a bold Facebook post that has ignited nationwide debate, senior Congress leader and former Madhya Pradesh Chief Minister Digvijaya…

1 day ago
  • Featured

Climate Justice Is No Longer An Aspiration But A Legal Duty

In recent months, both the Inter-American Court of Human Rights (IACHR) and the International Court of Justice (ICJ) issued advisory…

2 days ago
  • Featured

Local Economies In Odisha Hit By Closure Of Thermal Power Plants

When a thermal power plant in Talcher, Odisha, closed, local markets that once thrived on workers’ daily spending, collapsed, leaving…

2 days ago

This website uses cookies.