सरकारी संस्थानों में ठेकेदारी प्रथा और इसमें सरकारी मानकों की अनदेखी ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय परिसर स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी-बीएचयू) में कार्यरत दो सौ सफाई कर्मचारियों का रोजगार छिन लिया। अचानक बेरोजगार हुए सफाई कर्मचारी सोमवार को संस्थान के निदेशक और नये ठेकेदार के खिलाफ संस्थान परिसर में ही धरने पर बैठ गए और काम पर वापस लेने की मांग करने लगे।
धरना प्रदर्शन में शामिल सफाई कर्मचारी सुरत सिंह ने बताया कि आईआईटी-बीएचयू में पहले संविदा पर 24 कर्मचारी काम करते थे। करीब पांच साल पहले सुलभ इंटरनेशनल नामक संस्था को आईआईटी-बीएचयू में साफ-सफाई के लिए ठेका दिया गया। उसने पहले के 24 कर्मचारियों समेत कुल 200 लोगों को काम पर रखा जिसमें 10 सुपरवाइजर थे। गत 30 जून को इसका ठेका खत्म हो गया। आज नये ठेकेदार ने अचानक हम सभी को काम से बाहर निकाल दिया जिससे हम लोग सड़कों पर आ गए हैं।
धरनारत सफाईकर्मी राहुल राज ने आरोप लगाया कि लॉयन नाम की नई फर्म के ठेकेदार काम पर रखने के नाम पर 60-70 हजार रुपये लिये जा रहे हैं। जो लोग उन्हें रुपये दे रहे हैं, उन्हें वे रख रहे हैं और जो नहीं दे रहे हैं, उन्हें वह काम से बाहर निकाल दे रहे हैं।
धरनारत सफाईकर्मचारियों ने उन्हें वापस काम पर लेने, नियमित करने और श्रम कानूनों के तहत सभी सुविधाएं मुहैया कराने की मांग की है। धरना के दौरान आईआईटी-बीएचयू के छात्र संगठन ‘स्टूडेंट फॉर चेंज (एसएफसी) और बहुजन छात्र संघ के सदस्य सफाईकर्मचारियों के समर्थन में वहां मौजूद थे।
एसएफसी की पदाधिकारी वंदना और बहुजन छात्र संघ के संदीप कुमार गौतम ने आईआईटी-बीएचयू प्रशासन से ठेकेदारी प्रथा को खत्म करने और सफाईकर्मचारियों को नियमित करने की मांग की है।
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