अभी हफ्ते भर पहले खबर आई थी कि अमरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने जलवायु परिवर्तन पर एक अहम फाइल इसलिए दबा दी क्योंकि वे उसकी राय से सहमत नहीं थे। इसी सिलसिले में खबर यह भी चल रही है कि ब्राज़ील अमेज़न के जंगलों को बड़े पैमाने पर काट रहा है। विडंबना यह है कि कुदरत के खिलाफ ऐसा जघन्य अपराध करने वाले जलवायु परिवर्तन का जिम्मेदार भारत, रूस और चीन को ठहरा रहे हैं। अमेज़न का जंगल काटे जाने की कहानी जितनी त्रासद है, उतना ही हास्यास्पद अमेरिका में एक अहम फाइल का दबाया जाना और ब्रिटेन की यात्रा पर दिया गया ट्रम्प का बयान है।
आज जब पूरे विश्व में जलवायु परिवर्तन को लेकर बहस और चिंता व्यक्त की जा रही है, ऐसे में ख़बर है कि धरती पर मौजूद सबसे घने और सबसे विशाल वर्षा वन अमेजन में बीते 30 दिनों में करीब 740 वर्ग किलोमीटर तक पेड़ों की कटाई हो चुकी है. उपग्रह प्रणाली के पूर्वानुमान के अनुसार ब्राजील में अमेज़ॅन वर्षा वनों की पेड़ों की कटाई मई में एक दशक में सबसे तेज दर तक पहुंच गई है.
ब्राजील की अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान आइएनपीई के डीईटीईआर अलर्टिंग सिस्टम ने बीते मई में 739 वर्ग किलोमीटर में पेड़ों की कटाई की सूचना दी है. मई 2018 में भी 550 वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में वनों की कटाई हुई थी. विशेषज्ञों के मुताबिक, इस विनाश के लिए राष्ट्रपति जैर बोल्सनारो द्वारा बनाये गये कमज़ोर पर्यावरण सुरक्षा कानून के चलते वनों की अवैध कटाई में तेजी आई है.
आईएनपीई के उपग्रह निगरानी कार्यक्रम के प्रमुख क्लाउडियो अल्मेडा के अनुसार- “यदि वनों की कटाई इसी गति से चलती रही तो यह अमेज़न वर्षा वन के लिए सबसे ख़राब वर्ष साबित होगा. किन्तु यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि हम अगले दो महीनों तक कितनी निगरानी कर पाते हैं”.
अमेजन वर्षा वनों का 60 फीसदी हिस्सा ब्राजील में पड़ता है. पिछले साल अपने चुनाव प्रचार में राष्ट्रवादी नेता बोल्सोनारो ने कहा था कि वह एक सेंटीमीटर जमीन भी ब्राजील के मूल (आदिवासी) समुदायों को नहीं देंगे. पारा में सक्रिय संरक्षण समूह इमाजेन के मुताबिक जंगलों में अवैध कटाई पिछले साल के मुकाबले इस साल 54 फीसदी तक बढ़ गई है. 37 फीसदी प्रभावित क्षेत्र पारा के जंगलों में है. अरारा क्षेत्र में रहने वाले आदिवासियों की संख्या करीब 300 है, जिन्हें 1991 से सरकारी संरक्षण मिला हुआ है.
पशु चराई के लिए भूमि की सफाई ब्राजील में वनों की कटाई का प्रमुख कारण है जिसके कारण वर्तमान में यहां पहले से कहीं अधिक मांस का उत्पादन होता है. भोजन के लिए पशु उपयोग के अलावा, जमीन के कई मालिक मवेशियों का उपयोग अपनी जमीन के विस्तार के लिए करते हैं. वन भूमि के किसी क्षेत्र में वे सिर्फ अपने पशु ले जाते हैं और उस जमीन पर कब्जा कर लेते हैं.
ब्राजील में ट्रांस-अमेज़न राजमार्ग के परिणामस्वरूप गरीब उपनिवेश वासियों, पेड़ काटने वालों और भूमि के सट्टेबाजों के द्वारा विशाल क्षेत्रों का विनाश हो गया. इसी तरह बेलो मोंटे बांध परियोजना के चलते भी यहां कई सौ लोगों को विस्थापन के लिए मजबूर होना पड़ा था.
इलाके में बढ़ती अवैध कटाई हिंसा को भी बढ़ावा दे रही है. इस जंगल के मूल आदिवासी जंगल की अवैध कटाई का विरोध कर रहे हैं और उनका कहना है यदि यह सब नहीं रुका तो वे अपने पारंपरिक तीर और धनुष उठा लेंगे और फिर खून खराबा होगा. उन लोगों का मानना है कि बोल्सोनारो सरकार विकास और आधुनिकीकरण के नाम पर जंगल से उन्हें बेदखल करने की साजिश कर रही है.
एएफपी की एक रिपोर्ट के अनुसार, ब्राजील में अमेजन के वर्षा वनों में बड़ी संख्या में तस्कर मौजूद हैं. सोने की खुदाई के चक्कर में जंगल का बड़ा हिस्सा साफ कर दिया गया है. अवैध खदानों से सोना निकालने के लिए पारा खूब इस्तेमाल किया जाता है. यह पारा देर सबेर नदियों में घुलता है और जलीय जीवों और इंसानों को बुरी तरह बीमार करता है. अमेजन की कई सहायक नदियों में मछलियों की संख्या लगातार घट रही है. इसका सीधा असर मछलियों पर निर्भर आदिवासियों पर पड़ रहा है.अवैध खदान में जैसे ही अधिकारी छापा मारते हैं वैसे ही खनिक भागने लगते हैं. जंगल में कई ऐसे ठिकाने बने हैं जहां वो छुपते हैं. अधिकारियों के मुताबिक माफिया अक्सर गरीब परिवारों को लालच देकर खनन के काम में लगाते हैं.
सोने की अवैध खुदाई करने वाले माफिया जंगल के भीतर बुलडोजर, ऑयल टैंकर, ट्रैक्टर और कई किस्म की मशीनें पहुंचाने में सफल हुए हैं. इन मशीनों को जब्त कर बाहर लाना बहुत महंगा और जोखिम भरा है. इसलिए अधिकारी जब्त मशीनों को आग लगा देते हैं.
विकास, विनाश का मार्ग भी तैयार करता है.अभी कुछ दिन पहले एक रिपोर्ट आई थी जिसमें कहा गया था कि अगले दो दशकों में क्यूबा समंदर में समा जायेगा. धरती का तापमान लगातार बढ़ने के कारण पृथ्वी के दोनों ध्रुवों के ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं और महासागरों का जल स्तर बढ़ रहा है. इस वर्ष दुनिया के सर्वाधिक गर्म 15 शहर भारत और पाकिस्तान के हैं. ऐसे में आज एक ख़बर है कि मुंबई-नागपुर 258 किलोमीटर लम्बे एक्सप्रेस मार्ग के लिए करीब एक लाख पेड़ काटे जायेंगे.
दुनिया के किसी भी कोने में विकास की यात्रा विस्थापन से शुरू होती है और विनाश पर जाकर रूकती है. अपने देश में टिहरी बांध सहित कई कहानियां मौजूद हैं, कई नई कहानियां बनने वाली है.
जलवायु परिवर्तन के लिए भारत, चीन और अन्य देशों पर आरोप लगाने वाले अमेरिका के राष्ट्रपति ने पर्यावरण सम्बंधित एक रिपोर्ट को सदन में रखने से रुकवा दिया था.
अमेरिका के ब्यूरो ऑफ इंटेलिजेंस एंड रिसर्च विभाग में एक वरिष्ठ विश्लेषक के लिखित दस्तावेज़ को पहले संपादित करने और अंततः दबाने का प्रयास किया गया क्योंकि यह रिपोर्ट जीवाश्म ईंधन के जलने से धरती का तापमान बढ़ने की राष्ट्रपति ट्रम्प के तर्क को चुनौती देता है और इस रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में भारी कटौती नहीं की गई तो अगले दशक तक इसके भयंकर परिणाम होंगे जिसका गहरा असर अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा पर भी पड़ेगा. किन्तु राष्ट्रपति ट्रम्प ने इस तर्क को ख़ारिज कर दिया है.
ब्रिटेन की राजकीय यात्रा के अंतिम चरण में आयरलैंड रवाना होने से पहले ट्रम्प ने कहा था कि जलवायु परिवर्तन पर पर्याप्त कदम नहीं उठाने के लिए भारत, चीन और रूस जैसे देश जिम्मेदार हैं. ट्रम्प ने इन देशों को ऐसी हवा से भरे क्षेत्र करार दिया जिसमें सांस तक नहीं ली जा सकती। ट्रंप ने दावा किया कि अमेरिका में कुछ हद तक ‘सबसे साफ हवा’ है.
ट्रम्प ने यह भी कहा था कि भारत में न शुद्ध हवा न पानी, प्रदूषण पर भी समझ नहीं. ट्रंप ने 2017 के ऐतिहासिक पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौते से अमेरिका के हटने को सही ठहराने के लिए भारत और अन्य देशों को जिम्मेदार ठहराया था.
ऐसे में अमेरिका से इस रिपोर्ट का आना बहुत कुछ कहता है.
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