सोच का क्या कीजिएगा, कभी भी आ सकती है

पहली खबरः एक केंद्रीय मंत्री को कुत्ते ने काट लिया. कुत्ता मर गया.

दूसर ख़बरः एक केंद्रीय मंत्री ने कुत्ते को काट लिया. मंत्री खुश हो गया.
तीसरी ख़बरः एक केंद्रीय मंत्री ने पहले कुत्ते को काटा. फिर अभिव्यक्ति को और फिर अपने कपड़े फाड़कर कहा, मुझे नंगा कहने वाले को नंगा कर दिया जाएगा. कागज़ पर अशोक की लाट है. नीचे लिखा है सत्यमेव जयते.
सो, ख़बरनवीशों अपन ने इन फलां महाराज जी को जो मंत्री जी हैं, को भरपेट गालियां और धिक्कारें बक्शने के लिए एक नई नायाब जगह खोजी है जहाँ पर जाने से फिलहाल किसी लोकतंत्र में या तानाशाही में या किसी और राजे-महाराजे के दौर में अबतक प्रतिबंध नहीं लगा है. यह मुफीद और इत्मिनान की जगह है अंग्रेज़ी सुराही वाली फारिगबक्श कुर्सी.
जी हाँ, अमली ज़बान में आप और हम इसे बड़े अंग्रेज़ियत भरे अंदाज़ में कमोड कहते हैं. चुनाचे कमोड एक स्टूलनुमा सफेद सुराही है जिसमें भरा जाता है और खाली हुआ जाता है. बस, ज़रा रास्ते अलग होते हैं. यह एक बार की खुराकी के बाद दूसरी बारी के पहले की एक निहायत अहम चीज़ है जिसके बिना मेवा भी मिट्टी लगता है.
खैर मैं भी बेवजह आपको इस अंग्रेज़ी सुराही की ज्यामिति और गृहविज्ञान समझाने लगा. तो साथियों, हुआ यूं कि सवेरे सवेरे अखबार की दस्तक पर जब पुलिंदे लेकर मैं रोज़ की इस अहम कार्रवाई को अंजाम-ए-निपटान बक्शने की खातिर अपने गूसलखाने में दाखिल हुआ तो देखता क्या हूं कि जम्हूरियत (लोकतंत्र) के प्रति निहायत हरामखोर हो चले एक मंत्री महोदय ने ऐलान बक्शा है कि उनके, या उनकी सरकार के, या उनकी सरकार के किसी नुमाइंदे के, या उनकी सरकार की लेडी रहबर के, या उनकी सरकार के वज़ीर के या किसी और मंत्री के हुस्न, इश्क और हरक़तों को लेकर अगर कोई किसी भी तरह की टीका-टिप्पणी फेसबुक या ऐसी किसी दर्ज़ी और नाई की दुकान टाइप वेबसाइट या किसी और फिरकापरस्ती के खयाल से पैदा हुई वेबसाइट या पोर्टल या किसी रिसाले या किसी ई-मैगज़ीन या किसी ब्लॉग जैसे यतीमखाने पर करता पाया जाएगा तो ऐसे किसी भी बयान और उसके ताशुरात फरमाने वाले या ऐसी नौबद बक्शने वाले सर्वर, वेबसाइट और ऐसी तमाम अनाप-शनाप गुंजाइशों को बख्शा नहीं जाएगा.
तो जनाब, अब मसला यूं है कि गाली देने पर पाबंदी है. मतलब यह कि अगर हजाम आपकी खत सही करते वक्त चेहरे पर उस्तरा फरमा बैठे और एक सुर्ख लकीर शीशे में दिख रहे अक्स के साथ आपकी आंखों में आ जमें तो खबरदार दर्द और तकलीफ का एक लफ़्ज़ भी मत निकालिएगा वरना हज्जाम साहेब आपका कान काट लेंगे.
अब ऐसी चेतावनियों से कौन नहीं डरेगा. भई, जिसे किसी फिरकापरस्त की तरह किसी फर्ज़ी के तकरार में पुलिस या फौजियों के हाथों मारे जाने की जल्दी पड़ी हो, वो ऐसी गुस्ताखियां करता चले, एक समझदार और मिडिल-क्लास सिटिजन होने के नाते हम तो अपने पर समेटकर बैठेंगे. सबक यह है कि बच्चू, ज़्यादा डैने फैलाओगे तो बहेलिए के निशाने पर आओगे.
सो, हमने सोच लिया. इसी अंग्रेज़ी सुराही पर बैठकर पेट की कब्जियत और अम्ल, बदबूओं के गवाही में बीच इन सारी पाबंदियों पर जमकर कहर ढाउंगा. इतनी गालियां दूंगा कि खुदा खैर करे, आपको रोटी खानी मुश्किल हो जाएगी और बार-बार हर नेवाले पर आपके गाल कटेंगे. ज़बान दांतों के नीचे आएगी.
तो जनाब फ़लां महाराज जी, जिन-जिन चीज़ों पर आपने पाबंदी लगाई है, उनमें अभी निपटान पर पाबंदी शामिल नहीं है. आप लगा भी नहीं सकते हैं. सो, हम अंग्रेज़ी सुराही पर बैठकर आपको बेहिसाब गालियां बक्शने वाले हैं. अब माई का दूध पिया हो या नेस्ले का, रोक के दिखाइए. क्योंकि यह रिसाला, वेबसाइट या ज़बान नहीं है. यह एक निहायत प्राकृतिक चीज़ है… और सोच कर तो देखिए, यह कभी भी आ सकती है. किसी को भी आ सकती है.

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