लोकसभा चुनाव से पहले बसपा सुप्रीमो मायावती और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के बीच बुआ-भतीजे का जो चुनावी रिश्ता कायम हुआ था उस पर मायावती ने फिलहाल एक ब्रेक लगा दिया है. कल से ही गठबंधन के टूटने की अटकलें लगाई जा रही थीं.
बसपा सुप्रीमो मायावती ने मीडिया को संबोधित करते हुए एलान किया कि बसपा विधानसभा उपचुनाव अकेले लड़ेगी और उन्होंने गठबंधन जारी रखने के लिए शर्तें जोड़ दी.
उन्होंने उपचुनाव में अकेले लड़ने का एलान करते हुए कहा कि गठबंधन हमेशा के लिए समाप्त नहीं हो रहा है. अगर हमें लगेगा कि सपा इस स्थिति में है कि गठबंधन से लाभ हो सकता है तो हम जरूर साथ आएंगे नहीं तो अलग-अलग रहना ही बेहतर होगा.
मायावती ने लोकसभा चुनाव में करारी हार का ठीकरा समाजवादी पार्टी पर फोड़ते हुए कहा कि गठबंधन को यादव वोट ही नहीं मिले. उन्होंने कहा कि यादव बहुल सीटों पर भी यादव समाज का वोट एसपी को नहीं मिला. ऐसे में यह सोचने की बात है कि एसपी का बेस वोट बैंक यदि उससे छिटक गया है तो फिर उनका वोट बीएसपी को कैसे गया होगा?
मायावती ने कहा, ‘अखिलेश और उनकी पत्नी डिंपल मुझे बहुत इज्जत देते हैं. मैंने सभी मतभेद भुलाकर राष्ट्रहित में उनको सम्मान दिया, हमारे रिश्ते केवल राजनीति के लिए नहीं है, ये हमेशा के लिए हैं.
उन्होंने कहा कि हमारी समीक्षा में यह पाया गया कि बीएसपी जिस तरह से कैडर बेस पार्टी है, हमने बड़े लक्ष्य के साथ एसपी के साथ मिलकर काम किया है, लेकिन हमें बड़ी सफलता नहीं मिल पाई है. एसपी ने अच्छा मौका गंवा दिया है. ऐसी स्थिति में एसपी को सुधार लाने की जरूरत है. यदि वे भविष्य में अच्छा करते हैं तो हम फिर मिलकर काम करेंगे.
उन्होंने कहा कि ‘हम राजनीतिक मजबूरियों को नजरअंदाज नहीं कर सकते. लोकसभा चुनाव परिणाम से यह साफ़ हो गया कि यादव समुदाय के मतदाताओं ने हमें समर्थन नहीं किया और जिस कारण समाजवादी पार्टी के मजबूत उम्मीदवार भी हार गये’.
सोमवार को सपा-बसपा गठबंधन की टूटने की अटकलों के बीच अखिलेश यादव ने कहा था कि समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी मिलकर सामाजिक न्याय के लिए काम करेंगे.
आज गठबंधन पर मायावती की घोषणा के बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि यदि गठबंधन टूट गया है, तो मैं इस पर गहराई से विचार करूंगा और अगर उपचुनाव में गठबंधन नहीं होता है, तो समाजवादी पार्टी चुनाव की तैयारी करेगी, सपा भी अकेले सभी 11 सीटों पर लड़ेगी.
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी को मात्र 5 सीटें आई हैं और पिछले चुनाव में एक भी सीटें न जीत पाने वाली बीएसपी को 10 सीटें मिल गईं. इस नतीजे के बाद समाजवादी पार्टी में अंदर ही अंदर इस बात की चर्चा की थी कि बीएसपी का वोट सपा को ट्रांसफर नहीं हुआ है. इतना ही नहीं, सपा के दुर्ग कहे जाने वाले कन्नौज, बदायूं और फिरोजाबाद में परिवार के सदस्य तक चुनाव हार गए.
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