Skip to content
Hindi News, हिंदी समाचार, Samachar, Breaking News, Latest Khabar – Pratirodh

Hindi News, हिंदी समाचार, Samachar, Breaking News, Latest Khabar – Pratirodh

Primary Menu Hindi News, हिंदी समाचार, Samachar, Breaking News, Latest Khabar – Pratirodh

Hindi News, हिंदी समाचार, Samachar, Breaking News, Latest Khabar – Pratirodh

  • Home
  • Newswires
  • Politics & Society
  • The New Feudals
  • World View
  • Arts And Aesthetics
  • For The Record
  • About Us
  • Featured

श्री श्री रविशंकर निजी क्षेत्र की उपज और प्रचारक हैं

Apr 2, 2012 | Pratirodh Bureau

 श्रीश्री रविशंकर का बयान खुले तौर पर निजीकरण का समर्थन करता है. वे सरकारी स्कूलों को नक्सलियों-माओवादियों का केंद्र बता रहे हैं, जबकि निजी स्कूलों को संस्कारशाला होने का सर्टिफिकेट दे रहे हैं. यह उनकी मजबूरी भी है. श्रीश्री रविशंकर आर्ट ऑफ लिविंग नाम से जो मुहिम चला रहे हैं, उसमें सरकारी स्कूलों, वहां से निकले बच्चों, गरीब अभिभावकों की कोई भूमिका भी नहीं है. उनका आर्ट ऑफ लिविंग संपन्न, खाते-पीते लोगों और कॉर्पोरेट के लिए है. क्योंकि, आर्ट ऑफ लिविंग के विभिन्न स्तरों के प्रशिक्षण के लिए अच्छी-खासी फीस चुकानी पड़ती है.

 
ऐतराज किए जाने के पीछे साफ-साफ वजहें हैं. श्रीश्री बीते एक दशक में कई मंचों पर खुद को शांतिदूत की तरह प्रस्तुत कर चुके हैं. पिछले दिनों वे पाकिस्तान में थे तो उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच मध्यस्त होने की इच्छा जताई. वे कश्मीर में भी आंतकियों से बातचीत के लिए प्रस्ताव देते रहे. तालिबान तक से वार्ता में बिचैलिया बनने का बयान भी दे चुके हैं. मीडिया उन्हें हाथोंहाथ लेता रहा है. लेकिन, सरकारी स्कूलों से नक्सली पैदा होने के बयान ने इतना तो बता दिया कि इस देश के गरीब लोगों के प्रति, उनके बच्चों के प्रति श्रीश्री कहां तक और किस स्तर का सोचते हैं. आखिर, कोई शौकिया तौर पर न तो माओवादी बनेगा और न ही नक्सली. मौजूदा व्यवस्था में ही कोई खोट है जो युवा पीढ़ी को सपने देखने, आगे बढ़ने की बजाय बंदूक उठाने के लिए बाध्य कर रही है. 
 
श्रीश्री जिन्हें नक्सली, माओवादी के तौर पर चिह्नित कर रहे हैं वे न तो देशद्रोही हैं और न गुंडे-बदमाश. उनके तौर-तरीकों पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं, लेकिन उनका मकसद इतना बुरा नहीं है कि श्रीश्री ऐसी गैरजरूरी और विवादित बात कह दें. यह बयान भले ही अनजाने में सामने आया हो, लेकिन इतना तय है कि श्रीश्री के अवचेतन में कुछ बातें मौजूद हैं. मसलन, सरकारी स्कूल खराब जगह हैं, सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे करीब 20 करोड़ बच्चे नक्सली बनने के मुहाने पर खड़े हैं और नक्सली एक गंदी जमात है. इसलिए यदि, इन 20 करोड़ बच्चों को बचाना है तो सरकारी स्कूलों को बंद करना होगा. अब, सवाल यह है कि ये बच्चे किन स्कूलों में जाएं? उन स्कूलों में जहां सालाना औसत फीस दो लाख से भी ज्यादा है या फिर पांच से दस लाख के सालाना खर्च वाले दून या मेयो कॉलेज की राह पकड़ें?
 
श्रीश्री रविशंकर भी कुछ स्कूलों की मदद करते हैं, उनका ट्रस्ट भी कुछ स्कूल चलाता है, क्या उनकी संस्थाएं इतने उंचे स्तर पर पहुंच गईं जहां वे 20 करोड़ बच्चों को संभालने और उनके भाग्य संवारने का दम भर सकते हैं. निजी स्कूलों की असलियत का प्रमाण सिर्फ वह फीस नहीं है जो वे वसूल रहे हैं, बल्कि वो सच्चाई है जिसमें वे गरीबों, वंचितों का ठेंगा दिखा रहे हैं. शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने के दो साल बाद भी निजी स्कूलों का एक बड़ा समूह अपनी 25 प्रतिशत सीटों पर गरीब बच्चों को प्रवेश देने में आनाकानी कर रहा है. क्या इस पर श्रीश्री कुछ कहेंगे? और हां, उन्हें इस तथ्य का भी जवाब देना चाहिए कि केंद्रीय बोर्डों के परीक्षा परिणाम में नवोदय विद्यालयों और केंद्रीय विद्यालयों के बच्चे नामी निजी स्कूलों के बच्चों से आगे क्यों रहते हैं. केंद्रीय विद्यालयों की बात न भी करें तो नवोदय विद्यालयों में तो 75 प्रतिशत बच्चे तो गरीब और ग्रामीण परिवारों से आते हैं. फिर भी, ये नक्सली, माओवादी बनने की बजाय निजी स्कूलों के बच्चों से आगे खड़े दिखते हैं.
 
जब श्रीश्री निजी स्कूलों की बात कर रहे थे तो यकीनन उनके मन में संघ की सरपरस्ती वाले विद्यामंदिर-शिशु मंदिर भी रहे होंगे. कुछ सालों से श्रीश्री रविशंकर संघ का संघ की गतिविधियों और उसके उपक्रमों से लगाव बढ़ा है. लेकिन, वे खुलकर संघ के साथ खड़े होने से बचते रहे हैं. इसकी एक बड़ी वजह यही दिखाई देती है कि वे भले ही अंदरखाने संघ के साथ हों, उसके हिमायती हों, लेकिन वे बाहरी तौर पर तटस्थ दिखने की कोशिश कर रहे हैं. इसकी पुष्टि उनके इस बयान से भी हुई कि वे दो इतालवी नागरिकों को छुड़ाने के लिए नक्सली से वार्ता में मध्यस्त बनने के इच्छुक हो गए. हालांकि, न तो नक्सलियों और न ही सरकार की ओर से इस बारे में उनसे कोई आग्रह किया था. लेकिन, वे स्वयंभू तौर पर मध्यस्त बने घूम कर रहे हैं. 
 
श्रीश्री ने हाल के दिनों में कई ऐसे मुद्दों को छेड़ा है जिसमें उनकी राजनीतिक रुचि और लगाव भी परिलक्षित हो रहा है. वे भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान के नाम पर यूपी में कुछ दिन मुहिम चला चुके हैं. कई मंचों पर संघ के कट्टर खेमे के साथ नजर आ चुके हैं. बीच-बीच में कभी रामदेव तो कभी अन्ना के साथ खड़े होने की कोशिश करते नजर आते हैं. कुछ समय पहले आंध्रप्रदेश में कुत्ते भगाने के लिए चलाई गई गोली को खुद पर जानलेवा हमले के तौर पर प्रचारित कर चुके हैं. उनके बारे में जावेद अख्तर ने पिछले दिनों एक व्याख्यान में महत्त्वपूर्ण टिप्पणी की थी, वो ये कि सांसों के उतार-चढ़ाव का खेल समृद्ध लोगों को तो सुख देता है, लेकिन उससे भूखे लोगों का भला नहीं होता. ठीक यही बात उनके सरकारी स्कूलों में नक्सली पैदा होने पर लागू होती है. उनके इस बयान से कार्पोरेट खेमा और प्राइवेट सेक्टर तो जरूर खुश होगा, लेकिन मजबूर और गरीब अभिभावकों का वे इससे बड़ा मजाक नहीं उड़ा सकते.

Continue Reading

Previous Chandu’s killing: Scores protest against CBI
Next No infrastructure for DD Urdu even after 5 yrs

More Stories

  • Featured

‘PM Modi Wants Youth Busy Making Reels, Not Asking Questions’

15 hours ago Pratirodh Bureau
  • Featured

How Warming Temperature & Humidity Expand Dengue’s Reach

19 hours ago Pratirodh Bureau
  • Featured

India’s Tryst With Strategic Experimentation

19 hours ago Pratirodh Bureau

Recent Posts

  • ‘PM Modi Wants Youth Busy Making Reels, Not Asking Questions’
  • How Warming Temperature & Humidity Expand Dengue’s Reach
  • India’s Tryst With Strategic Experimentation
  • ‘Umar Khalid Is Completely Innocent, Victim Of Grave Injustice’
  • Climate Justice Is No Longer An Aspiration But A Legal Duty
  • Local Economies In Odisha Hit By Closure Of Thermal Power Plants
  • Kharge Calls For Ban On RSS, Accuses Modi Of Insulting Patel’s Legacy
  • ‘My Gender Is Like An Empty Lot’ − The People Who Reject Gender Labels
  • The Environmental Cost Of A Tunnel Road
  • Congress Slams Modi Govt’s Labour Policy For Manusmriti Reference
  • How Excess Rains And Poor Wastewater Mgmt Send Microplastics Into City Lakes
  • The Rise And Fall Of Globalisation: Battle To Be Top Dog
  • Interview: In Meghalaya, Conserving Caves By Means Of Ecotourism
  • The Monster Of Misogyny Continues To Harass, Stalk, Assault Women In India
  • AI Is Changing Who Gets Hired – Which Skills Will Keep You Employed?
  • India’s Farm Policies Behind Bad Air, Unhealthy Diet, Water Crisis
  • Why This Darjeeling Town Is Getting Known As “A Leopard’s Trail”
  • Street Vendors Struggle With Rising Temps
  • SC Denies Two-Week Extension In Umar Khalid, Sharjeel Imam Bail Pleas
  • Hydrocarbon Exploration In TN Sparks Protests From Fishers And Farmers

Search

Main Links

  • Home
  • Newswires
  • Politics & Society
  • The New Feudals
  • World View
  • Arts And Aesthetics
  • For The Record
  • About Us

Related Stroy

  • Featured

‘PM Modi Wants Youth Busy Making Reels, Not Asking Questions’

15 hours ago Pratirodh Bureau
  • Featured

How Warming Temperature & Humidity Expand Dengue’s Reach

19 hours ago Pratirodh Bureau
  • Featured

India’s Tryst With Strategic Experimentation

19 hours ago Pratirodh Bureau
  • Featured

‘Umar Khalid Is Completely Innocent, Victim Of Grave Injustice’

2 days ago Pratirodh Bureau
  • Featured

Climate Justice Is No Longer An Aspiration But A Legal Duty

2 days ago Pratirodh Bureau

Recent Posts

  • ‘PM Modi Wants Youth Busy Making Reels, Not Asking Questions’
  • How Warming Temperature & Humidity Expand Dengue’s Reach
  • India’s Tryst With Strategic Experimentation
  • ‘Umar Khalid Is Completely Innocent, Victim Of Grave Injustice’
  • Climate Justice Is No Longer An Aspiration But A Legal Duty
Copyright © All rights reserved. | CoverNews by AF themes.