प्रज्ञा मानती हैं कि मालेगांव कांड में हिंदुओं को आतंकवादी साबित करने की साजिश रची गई थी। इसके पीछे दिग्विजय थे। प्रज्ञा इस मामले में आरोपी हैं और फिलहाल जमानत पर हैं। वह हार्डकोर हिंदुत्व पर चुनाव लड़ रही है। वह खुद पर अत्याचार की दास्तां सुनाते हुए सहानुभूति जुटाने की कोशिश कर रही हैं।
कांग्रेस के दिग्विजय सिंह के लिए संघ-भाजपा से दुश्मनी नई नहीं है। वह मुख्यमंत्री रहते और ना रहते हुए भी दोनों संगठनों के निशाने पर रहे हैं। राजनीति के खिलाड़ी दिग्विजय सिंह इनके घेरों को तोड़ते हुए बढ़ रहे हैं। वे आतंकवादियों की पैरवी करने के आरोपों पर बरसते हैं और कहते हैं कि जिस अजहर मसूद पर प्रतिबंध को लेकर मोदी मुग्ध हो रहे हैं, उसे कंधार तक छोड़ने भाजपा नेता ही गए थे। आरोपों का जवाब देने के साथ वह अपना विजन डॉक्यूमेंट दिखाकर वोट मांग रहे हैं।
दिग्विजय जल्दी उठते हैं और एक वीडियो संदेश जारी करते हैं। इसमें उन पर लगे आरोपों का जवाब होता है। इसके बाद प्रचार पर निकल पड़ते हैं। लोगों से उनकी बुनियादी समस्या और मांग पर चर्चा करते हैं। उनके साथ चल रहे जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा लोगों की समस्या नोट करने और समाधान का वादा करते हैं। एक सभा में बसपा के लोगों को कांग्रेस ज्वाइन कराते समय ईश्वर की कृपा, अल्लाह ताला की दुआ, गुरु गोविंद सिंह और प्रभु यीशु का नाम लेकर जय भीम का नारा लगवाते हैं। बागमुगलिया व खजूरी कलां की बस्तियों में कड़ी धूप में गली-गली पैदल घूमते हैं। अधिकांश लोगों को वह नाम से जानते थे। खुद को बड़ा हिंदू बताते हुए लोगों को भाजपा के हिंदू एजेंडा के जाल से निकलने की सीख देते हैं। बूथ कार्यकर्ताओं की मीटिंग लेते हैं और चुनाव मैनेजमेंट समझाते हैं। कहते हैं कि 318 बूथ हैं। हर बूथ पर 100-100 वोट उधर से इधर ले आओ जीत पक्की हो जाएगी।
प्रज्ञा का साध्वी जीवन पहले की तरह ही चल रहा है। उनका रिवेरा हाउस मंदिर से कम दिखाई नहीं देता। वह सुबह दस बजे घर से निकलती हैं। उससे पहले सभाओं के रोडमैप पर चर्चा करती हैं। प्रचार एक तरह से रोड-शो होता है। कार्यकर्ताओं के गले में भगवा दुपट्टा रहता है और वे जयश्री राम के नारे लगाते हैं। लोग पैर छू कर साध्वी से आशीर्वाद लेते हैं। महिलाओं व बच्चियों को वे गले लगाती हैं और बच्चों को दुलारती हैं। वे अपने पर हुए अत्याचार की कहानी भी सुनाती हैं। यूपी से साध्वी प्राची उनके प्रचार के लिए आई हैं।
सीट का लब्बोलुआब यह है कि संघ के दबाव में भाजपा को यहां हिंदू कार्ड फिलहाल तो भारी पड़ रहा है। दिग्विजय सिंह के तगड़े चुनाव प्रबंधन को अब संघ खेमा भी मजबूत मान रहा है। भाजपा के कद्दावर नेता बाबूलाल गौर व अन्य कार्यकर्ता पूरी तरह सक्रिय नहीं हुए हैं। सिर्फ हिंदू एजेंडे के बूते चुनाव जीतना अब चुनौती लग रहा है दिग्विजय सिंह हर वर्ग व हर सेक्टर कवर कर रहे हैं, वे लोगों से कह रहे हैं कि मैंने अपनी उम्मीदवारी सामने रख दी है। यदि आप मुझे हिंदू विरोधी, आतंकी और देशद्रोही नहीं मानते हैं तो मुझे स्वीकार कर लेना। दिग्विजय सिंह की यह बात काफी अपील कर रही है और वह दिन-ब-दिन मजबूत हो रहे हैं। भोपाल में 12 मई को मतदान है और देखने वाली बात यह होगी कि पलड़ा किसका भारी रहता है।
Indian diplomatic missions need to closely monitor the security situation and assess the threat perceptions to its communities. Nation-making is…
To work in nature conservation is to battle a headwind of bad news. When the overwhelming picture indicates the natural…
Amid the surge of extreme weather events globally, billions of dollars are pouring into developing cutting-edge weather forecasting models based…
On Friday, April 26, Congress leader Rahul Gandhi retaliated against Prime Minister Narendra Modi over his attack on the grand…
Climate change has not traditionally been seen as a health and human rights concern — but that may be changing…
Food loss after harvest has economic implications for the farmer and also impacts the environment due to loss of agricultural…
This website uses cookies.