शनिवार को दिल्ली एनसीआर से हुई तीन पत्रकारों की गिरफ्तारी के खिलाफ सोमवार को कुछ पत्रकारों ने प्रेस क्लब ऑफ इंडिया से संसद भवन तक मार्च का आयोजन किया था। कड़ी पुलिस सुरक्षा में पत्रकारों को संसद तक जाने से रोक दिया गया लेकिन बड़ी संख्या में पत्रकार, गैर-पत्रकार और नागरिक समाज के लोगों ने इस प्रदर्शन में हिस्सा लिया और प्रशांत कनौजिया, अनुज शुक्ला व इशिका सिंह की रिहाई की मांग उठायी।
इस बीच एक चौंकाने वाले घटनाक्रम में पत्रकारों के एक धड़े की ओर से प्रदर्शन और विरोध के खिलाफ भी आवाज उठी। कुछ वरिष्ठ पत्रकारों ने खुलकर गिरफ्तार पत्रकारों के कृत्य
की निंदा की, उन पर सवाल खड़े किए और पत्रकार बिरादरी व संगठनों की ओर से हो रही गिरफ्तारी की मुखालफ़त को भी कठघरे में खड़ा किया।
सबसे मुखर वाली प्रतिक्रिया प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के एक पदाधिकारी संजय सिंह की ओर से आई है जिन्होंने क्लब पर ही दोहरे मापदंड का आरोप लगा दिया है। आम तौर से प्रेस क्लब में कार्यकारिणी द्वारा किसी पत्रकार के उत्पीड़न या गिरफ्तारी के संबंध में लिए गए फैसले का भीतर से विरोध सार्वजनिक नहीं होता, लेकिन ऐसा पहली बार है।
वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप सिंह ने इस मामले पर कुछ सवाल खड़े किए हैं। अपने फेसबुक पोस्ट में उन्होंने प्रशांत कनौजिया के समर्थन में खड़े होने वाले पत्रकारों से दस सवाल किए हैं। उन्होंने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रतिष्ठा और उनके संवैधानिक अधिकारों का हवाला दिया है। उनकी इस पोस्ट को अच्छा-खासा समर्थन मिल रहा है।
प्रदर्शन से पहले प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के निर्वाचित संयुक्त सचिव संजय कुमार सिंह ने अपनी फेसबुक पोस्ट में ऐसी ही कुछ बातें कहीं और क्लब की प्रबंधन कमेटी के साथ इस मसले पर बगावत कर दी। उन्होने मीडिया संगठनों के दोहरे चरित्र पर सवाल उठाया है।
वरिष्ठ पत्रकार शेष नारायण सिंह ने भी संजय कुमार सिंह के लिखे का अनुमोदन किया है जबकि पीआइबी यूनियन के अध्यक्ष वरिष्ठ पत्रकार जयशंकर गुप्त, कार्यकारिणी के पूर्व सदस्य जितेन्द्र कुमार, राजेश वर्मा और अवतार नेगी ने संजय सिंह की आलोचना की है कि उन्हें क्लब के प्रबंधन द्वारा लिए गए फैसले का या तो सार्वजनिक मंच पर विरोध नहीं करना चाहिए या फिर पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।
इस बीच प्रशांत कनौजिया की पत्नी जिगीशा ने सुप्रीम कोर्ट में एक हेबियस कॉपर्स याचिका दाखिल की है जिस पर आज सुनवाई होनी है। दिन में प्रदर्शन के तुरंत बाद कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी के एक ट्वीट से अफ़वाह फैल गई कि यूपी पुलिस ने जिगीशा को भी गिरफ्तार कर लिया है। यह ख़बर बाद में गलत निकली। बाद में सिंघवी ने इसे दुरुस्त कर दिया।
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