Skip to content
Hindi News, हिंदी समाचार, Samachar, Breaking News, Latest Khabar – Pratirodh

Hindi News, हिंदी समाचार, Samachar, Breaking News, Latest Khabar – Pratirodh

Primary Menu Hindi News, हिंदी समाचार, Samachar, Breaking News, Latest Khabar – Pratirodh

Hindi News, हिंदी समाचार, Samachar, Breaking News, Latest Khabar – Pratirodh

  • Home
  • Newswires
  • Politics & Society
  • The New Feudals
  • World View
  • Arts And Aesthetics
  • For The Record
  • About Us
  • Featured

दलितों को कर रहे है गांव छोड़ने को मजबूर

Apr 29, 2012 | भंवर मेघवंशी
दक्षिणी राजस्थान का भीलवाड़ा जिला दलितों, महिलाओं और अल्पसंख्यकों पर अत्याचार करने में अव्वल रहा है, विगत एक दशक से समाज के उपरोक्त तीनों वंचित वर्ग भेदभाव, उत्पीड़न, शोषण, अन्याय और सामाजिक असमानता के शिकार बनते आ रहे.
 
दलित अत्याचारों व सांप्रदायिकता की प्रयोगशाला बन गए भीलवाड़ा में गंगापुर को एक ऐतिहासिक इलाका माना जाता है, कहा जाता है कि ग्वालियर के सिंधिया राजघराने की एक महिला गंगाबाई ने यह शहर बसाया था, तब से यह क्षेत्र सिंधिया परिवार के अधीन रहा, मतलब यह कि सामंतशाही तो यहां की जड़ों में थी ही, दबंग जाट समुदाय भी यहां के गांवों में बहुतायत में है और दक्षिणपंथी संगठनों के साथ जुड़ा हुआ है.
 
भाजपा नेता डॅा. रतनलाल जाट इस इलाके से विधायक बनकर राजस्थान सरकार में मंत्री भी रह चुके है, आजकल उनके सुपुत्र कमलेश चैधरी सहाड़ा पंचायत समिति के प्रधान है, गांवों में जाट समुदाय ग्राम पंचायतों, दुग्ध उत्पादक सहकारी संघों तथा ग्राम सेवा सहकारी समितियों सहित कई प्रमुख संस्थानों पर काबिज होकर काफी वर्चस्वशाली कौम के रूप में उभर कर सामने आया है, हालांकि जाट स्वयं को किसानों का स्वयंभू प्रतिनिधि घोषित करते है तथा सामंतशाही ताकतों के विरुद्ध लड़ने का संकल्प दोहराते है मगर देखा यह जा रहा है कि वे आजकल नवसामंत है तथा गंगापुर क्षेत्र में दलित आदिवासी तबकों पर अत्याचार करने में वे प्रमुख भूमिका अदा करते है.
 
इस बार उनके निशाने पर गंगापुर थाना क्षेत्र की गोवलिया ग्राम पंचायत के काला का खेड़ा गांव के बैरवा समुदाय के लोग है. इन दलित बैरवाओं से गांव के जाट, गाडरी, कुमावत इत्यादि लोग इसलिए नाराज है क्योंकि ये दलित परंपरागत रूप से कांग्रेस के समर्थक है जबकि सवर्ण भाजपाई. दूसरी दिक्कत यह है कि बैरवा समुदाय के लोगों ने कड़ी मेहनत के बूते अपनी आर्थिक स्थिति ठीक करने का प्रयास किया है, उन्होंने अपने कच्चे मकानों को अब पक्के मकानों में तब्दील करना शुरू कर दिया है.
 
यहीं से शुरू हुई दबंग सवर्णों के पेट में मरोडि़या उठना, उन्हें यह अच्छा नहीं लगा कि लोभचंद बैरवा अपने चौराहे पर स्थित मकान को सुंदर स्वरूप दे, उन्होंने लोभचंद को चेताया कि वह नए मकान पर रोशनदान नहीं लगाए, दलित लोभचंद ने कहा जब सारे लोगों ने लगाए है तो मैं क्यों नहीं लगाऊं, लगाऊंगा. उसने अपने निर्माणाधीन मकान पर रोशनदान लगवा दिए, यह सवर्णों को बर्दाश्त नहीं हुआ. सवर्णों द्वारा 18 मार्च 2012 को रात साढ़े ग्यारह बजे लोभचंद बैरवा के मकान पर सामूहिक हमला किया गया, उनकी पत्नी लेहरी बैरवा के साथ मारपीट की गई तथा मकान में आग लगा दी गई, फिर गांव छोड़ देने की धमकी देकर वे लोग चले गए.
 
लेहरी बैरवा ने 19 मार्च को गंगापुर थाने में माधवलाल जाट, रतनलाल जाट, जगदीश गाडरी, शांतिलाल जाट, रामा गाडरी, जगदीश जाट, रामलाल जाट, डालु जाट तथा कनीराम इत्यादि के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 143, 453, 323, 438, 427 तथा 504 तथा अनुसूचित जाति जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धारा 3(1) (10) व 3 (5) के तहत मुकदमा दर्ज करवाया जिसकी जांच पुलिस उपाधीक्षक वृत गंगापुर सत्यनारायण कनौजिया को सौंपी गई है.
 
घटना की प्राथमिक दर्ज हुए एक माह से भी अधिक का समय हो गया है, मगर कोई गिरफ्तारी नहीं हुई. गांव के दबंग सवर्ण दलितों को मुकदमा उठा लेने के लिए निरंतर धमका रहे, मोबाइल पर सुरेशचन्द्र बैरवा को दी गई धमकी की तो रिकार्डिंग पुलिस को सौंपी भी गई है, सवर्ण रात के वक्त इन दलितों के घरों में पथराव करते है, दिन के वक्त सार्वजनिक चौराहें या चबूतरे इत्यादि के भी पास नहीं फटकने देते है, कुएं से पानी तक नहीं भरने दे रहे है, गांव वालों का दबाव इतना अधिक है कि या तो दलित समुदाय के पीडि़त अपनी एफआईआर वापस लें अथवा गांव खाली कर दे.
 
18 अप्रेल को शाम 5 बजे पीडि़त पक्ष के लोग सुरेशचंद्र बैरवा, रतनलाल बैरवा, गंगाराम बैरवा, रोशनलाल बैरवा, लोभचंद बैरवा तथा पारसलाल बैरवा तीनों मोटरसाइकिलों पर सवार होकर काला का खेड़ा से खांखला होते हुए गंगापुर थाने में बयान देने के लिए जा रहे थे कि कनीराम जाट, नारायण जाट, भगवान जाट, कालु जाट, गणेश गाडरी तथा सोहन जाट ने उनकी मोटरसाइकिलों को टक्कर मारकर उन्हें नीचे गिरा दिया तथा धमकी देते हुए कहा-‘‘चमारटो, तुम्हें गांव में नहीं रहनें देंगे, हमने लहरी चमारटी का मकान तो तोड़ दिया है तुम्हें भी चैन से नहीं रहने देंगे.’’ इस प्रकार के जातिगत अपमान और हिंसात्मक व्यवहार की शिकायत भी काला का खेड़ा के दलित बैरवाओं ने पुलिस उपाधीक्षक से की, लेकिन आज तक कार्यवाही के नाम पर केवल शून्य ही है.
 
दूसरी ओर आरोपियों के हौंसलें बुलंद है, वे सरेआम घूम रहे है, धमकियां दे रहे है, दलितों का सामाजिक बहिष्कार कर रहे है और आर्थिक रूप से दलितों की कमर तोड़ने में लगे है, जो दलित निर्माण मजदूरी अथवा खेत मजदूरी के जरिए अपनी आजीविका चलाते है, उन्हें अब कोई काम पर नहीं बुलाता है. दलित युवा सुरेशचंद्र बैरवा, बालुराम बैरवा तथा रतनलाल बैरवा के ईंट भट्टों की शिकायत करके उन्हें बंद करवा दिया गया है, इतना ही नहीं बल्कि प्रशासन के जरिए उनकी ईंटों की जब्ती की कोशिश भी की जा रही है, सवर्णों की मांग तो यह है कि दलित अगर काम चाहते है, ईंट भट्टा चलाना चाहते है अथवा गांव में रहना चाहते तो उन्हें दलित अत्याचार का मामला वापस लेकर समझौता करना होगा, अगर वे ऐसा नहीं करेंगे तो उन्हें गांव छोड़ना होगा.
 
25 अप्रेल को अपने साथियों के साथ इस गांव का दौरा करके जब मैं पीडि़त दलितों से मिल रहा था, तब गांव के दबंग सवर्णों की घेराबंदी और उनका अनियंत्रित व्यवहार तथा एकजुटता यही साबित कर रही थी कि काला का खेड़ा के दलित परिवार सुरक्षित नहीं है, जब तक कि कोई बड़ी सामाजिक व प्रशासनिक कार्यवाही वहां नहीं होगी तब तक काला का खेड़ा में रहना वहां के दलितों के लिए काला पानी की सजा से कम नहीं है. हालांकि गंगापुर थानेदार बाबूलाल सालवी और पुलिस उपाधीक्षक सत्यनारायण कन्नौजिया, दोनों ही दलित समुदाय से है जिनसे भी मिलकर बात की गई पर मुझे लगा कि हमारे लोग चाहे वे ग्रामीण मजदूर हो अथवा जनप्रतिनिधि या कि प्रशासन के आला अधिकारी, सब कोई मजबूर है और इतने विवश इतने लाचार कि कही ना जाए का कहिए.
 
(लेखक दलित, आदिवासी और घुमंतु समुदाय के प्रश्नों पर राजस्थान में कार्यरत है और ‘डायमंड इंडिया’ तथा खबरकोश डॅाटकॅाम के संपादक है, उनसे bhanwarmeghwanshi@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है.)

Continue Reading

Previous Another custodial death in Andhra
Next पत्रकार काज़मी केसः वो अदालतों के पार हैं

More Stories

  • Featured

Zohran Mamdani’s Last Name Reflects Eons Of Migration And Cultural Exchange

2 hours ago Pratirodh Bureau
  • Featured

What Makes The Indian Women’s Cricket World Cup Win Epochal

7 hours ago Shalini
  • Featured

Dealing With Discrimination In India’s Pvt Unis

9 hours ago Pratirodh Bureau

Recent Posts

  • Zohran Mamdani’s Last Name Reflects Eons Of Migration And Cultural Exchange
  • What Makes The Indian Women’s Cricket World Cup Win Epochal
  • Dealing With Discrimination In India’s Pvt Unis
  • ‘PM Modi Wants Youth Busy Making Reels, Not Asking Questions’
  • How Warming Temperature & Humidity Expand Dengue’s Reach
  • India’s Tryst With Strategic Experimentation
  • ‘Umar Khalid Is Completely Innocent, Victim Of Grave Injustice’
  • Climate Justice Is No Longer An Aspiration But A Legal Duty
  • Local Economies In Odisha Hit By Closure Of Thermal Power Plants
  • Kharge Calls For Ban On RSS, Accuses Modi Of Insulting Patel’s Legacy
  • ‘My Gender Is Like An Empty Lot’ − The People Who Reject Gender Labels
  • The Environmental Cost Of A Tunnel Road
  • Congress Slams Modi Govt’s Labour Policy For Manusmriti Reference
  • How Excess Rains And Poor Wastewater Mgmt Send Microplastics Into City Lakes
  • The Rise And Fall Of Globalisation: Battle To Be Top Dog
  • Interview: In Meghalaya, Conserving Caves By Means Of Ecotourism
  • The Monster Of Misogyny Continues To Harass, Stalk, Assault Women In India
  • AI Is Changing Who Gets Hired – Which Skills Will Keep You Employed?
  • India’s Farm Policies Behind Bad Air, Unhealthy Diet, Water Crisis
  • Why This Darjeeling Town Is Getting Known As “A Leopard’s Trail”

Search

Main Links

  • Home
  • Newswires
  • Politics & Society
  • The New Feudals
  • World View
  • Arts And Aesthetics
  • For The Record
  • About Us

Related Stroy

  • Featured

Zohran Mamdani’s Last Name Reflects Eons Of Migration And Cultural Exchange

2 hours ago Pratirodh Bureau
  • Featured

What Makes The Indian Women’s Cricket World Cup Win Epochal

7 hours ago Shalini
  • Featured

Dealing With Discrimination In India’s Pvt Unis

9 hours ago Pratirodh Bureau
  • Featured

‘PM Modi Wants Youth Busy Making Reels, Not Asking Questions’

1 day ago Pratirodh Bureau
  • Featured

How Warming Temperature & Humidity Expand Dengue’s Reach

1 day ago Pratirodh Bureau

Recent Posts

  • Zohran Mamdani’s Last Name Reflects Eons Of Migration And Cultural Exchange
  • What Makes The Indian Women’s Cricket World Cup Win Epochal
  • Dealing With Discrimination In India’s Pvt Unis
  • ‘PM Modi Wants Youth Busy Making Reels, Not Asking Questions’
  • How Warming Temperature & Humidity Expand Dengue’s Reach
Copyright © All rights reserved. | CoverNews by AF themes.