जी हां, अभी भी ज़िंदा है ब्रह्मेश्वर मुखिया

जब पता चला कि मेरे अखबार की टीम रणवीर सेना प्रमुख और 222 से अधिक दलितों की हत्या का आरोपी ब्रह्मेश्वर मुखिया के दाह संस्कार की कवरेज के लिए बांस घाट जा रही है. मैं खुद को रोक नहीं सका. मैं उस चेहरे को देखना चाहता था जो पूरे बिहार के सामंती चरित्र का प्रतीक रहा है. मुख्य सड़क से पैदल 5 किमी अंदर घाट था, जहां तक हमें पैदल ही जाना था. तपती दोपहर और बालुई जमीन लेकिन फिर भी उत्साह इतना की हमलोग चले जा रहे थे.

घाट पर आए लोगों और उनके नारों के चरित्र को देखकर बार बार मन कहता है कि मुखिया अभी जिंदा है. एक ही जाति के हजारों लोगों की उत्पादी भीड़. बार-बार घृणा से भरे नारे. सवर्ण जिंदाबाद के नारे, मरने और मारने की उत्तेजना. ये सब बता रहे थे कि मुखिया का शरीर भले ही मर गया हो लेकिन मुखिया जिस सामंती व्यवस्था का प्रतीक था. वो आज भी उसी तरह जिंदा है.
इस शव यात्रा में क्या डॉक्टर, इंजिनियर और क्या आम किसान सभी एक ही स्वर में बोल रहे थे. सबके चेहरे से जातिय घृणा और सवर्ण होने का गर्व झलक रहा था. जिस सेना ने बथानी टोला में 21, लक्ष्मणपुर बाथे में 59, और इसी तरह नगरी, सिंदानी, इकवारी, हैवसपुर, मिंयापुर, पचखोरी, आकोपुर, जैसे नरसंहारों में कुल 287 से अधिक दलितों और समाज के सबसे नीचले तबके के निर्दोष महिलाओं, बच्चों को मारने का काम किया उसी सेना प्रमुख के लिए इतना समर्थन देख मुझे बारबार लग रहा है कि अभी सामंतवाद की जड़े समाज में काफी अंदर तक घूसी है.
जिस व्यवस्था ने एमसीसी और मुखिया को जन्म दिया उसे खत्म करने की कोई कोशिश नहीं की जा रही है. भूमि का असमान वितरण, जाति व्यवस्था के भीतर सवर्णों द्वारा दलितों का शोषण, जमींदारी प्रथा जैसी चीजें हैं जिसकी वजह से एमसीसी जैसे संगठनों को खड़ा होना पड़ा था. लेकिन ये हजारों लोग उसी व्यवस्था को बनाए रखने के लिए मरने मारने पर उतारू हैं जिसका मुखिया, मुखिया जैसे लोग होते हैं.
मुखिया की शवयात्रा में शामिल लोगों ने जिस तरह से उपद्रव मचाया है वो भी एक सामंती चरित्र को ही दर्शाता है. आरा से पटना तक मुखिया के समर्थकों ने शक्ति प्रदर्शन करने के दौरान न तो किसी आम आदमी को बख्शा है और न ही पुलिस के मामुली सिपाही को. जहां से भी भीड़ गुजरी वहां से आगजनी और उपद्रव की खबर आती रही. मुखिया की शवयात्रा में शामिल लोगों लगभग 900 वाहनो का काफिला था. इनमें कई ऐसे थे जो शराब पीकर नशे में लोगों पर कहर बरपा रहे थे.
सड़क पर खोमचे लगाने वाले गरीब लोगों को भी नहीं बख्शा जा रहा था. उनके ठेले को तोड़ा-फोड़ा जा रहा था. कहीं बसों में आग लगायी जा रही थी. मुखिया समर्थक हर ऑटो और बस का शीशा फोड़ते जा रहे थे. एक बुजुर्ग के हाथ-पैर जोड़ने का भी कोई असर नहीं हुआ. अलबत्ता उसके हाथ-पैर टूटने लायक पिटाई जरूर कर दी गई. इन उपद्रवियों से प्रेस वाले भी नहीं बच पाये. कई इलेक्ट्रोनिक मिडिया के साथियों के कैमरे तोड़े गए, कई को मारा-पीटा भी गया.
इस सारी घटनाक्रम के दौरान हैरानी की बात ये रही कि सुशासन की पुलिस और बिहार में कानून व्यवस्था के दुरूस्त होने का दावा करने वाली सरकार कहीं नजर नहीं आयी. लोग पिटते रहे और पुलिस मुकदर्शक बनी रही. सामान्य दिनों में अपने अधिकारों के लिए प्रदर्शन करने वालों पर जिस पुलिस का डंडा बरसता रहता है वही पुलिस आज खुद छुपती हुई दिखी. आज भी पुलिसिया ज्यादती का शिकार आमलोगों को ही होना पड़ा. आयकर गोलंबर पर मुखिया समर्थकों के उपद्रव के दौरान जो पुलिस दुबकी रही, वही उनके जाते ही आकर आमलोगों और प्रेस पर लाठी चलाने लगी.
घाट पर शव के पहुंचने के साथ ही नीतीश सरकार मुर्दाबाद और एक जाति विशेष जिंदाबाद के नारे लगने लगे. इस दौरान लोग प्रतिबंधित रणवीर सेना जिंदाबाद के नारे भी लगाते दिखे. ऐसा लग रहा था कि मानों बिहार में एक बार फिर जातिय संर्घषों की कहानी लिखी जानी है. लेकिन लोगों द्वारा हत्या का आरोप उसी जाति के एक विधायक पर लगाने के कारण मेरा डर कुछ कम हुआ. लोग खुलकर सरकार की आलोचना कर रहे थे. दूसरी तरफ कुछ आमलोगों में यह डर भी है कि हो सकता है कि फिर से किसी दलित को इसमें फंसाया जाय. ऐसे में मेरी चिंता और गहरा जाती है.
एक चिंता ये भी है कि आज लगभग सभी प्रमुख बिहार की राजनितिक दल मुखिया को महान किसान नेता बनाने पर तुले है. कोई उसे गरीब और आम किसानों का मसीहा तक कह रहा है. यदि सच में. इस समाज में मुखिया जैसे लोग मसीहा बनने लगे तो लोगों का मसीहा शब्द से विश्वास उठना लाजिमी होगा.

Recent Posts

  • Featured

What Makes The Indian Women’s Cricket World Cup Win Epochal

For fans and followers of women’s cricket, November 2 – the day the ICC World Cup finals were held in…

3 hours ago
  • Featured

Dealing With Discrimination In India’s Pvt Unis

Caste-based reservation is back on India’s political landscape. Some national political parties are clamouring for quotas for students seeking entry…

5 hours ago
  • Featured

‘PM Modi Wants Youth Busy Making Reels, Not Asking Questions’

In an election rally in Bihar's Aurangabad on November 4, Congress leader Rahul Gandhi launched a blistering assault on Prime…

22 hours ago
  • Featured

How Warming Temperature & Humidity Expand Dengue’s Reach

Dengue is no longer confined to tropical climates and is expanding to other regions. Latest research shows that as global…

1 day ago
  • Featured

India’s Tryst With Strategic Experimentation

On Monday, Prime Minister Narendra Modi launched a Rs 1 lakh crore (US $1.13 billion) Research, Development and Innovation fund…

1 day ago
  • Featured

‘Umar Khalid Is Completely Innocent, Victim Of Grave Injustice’

In a bold Facebook post that has ignited nationwide debate, senior Congress leader and former Madhya Pradesh Chief Minister Digvijaya…

2 days ago

This website uses cookies.