केंद्रीय कार्यालय ‘चारु भवन‘ का उद्घाटन

28 जुलाई 2012 को भाकपा-माले के संस्थापक महासचिव और ऐतिहासिक नक्सलबाड़ी आंदोलन के सूत्रधार चारु मजूमदार के 40 वें शहादत दिवस के अवसर पर भाकपा-माले ने दिल्ली में अपने केंद्रीय कार्यालय ‘चारु भवन’ का उद्घाटन किया तथा कार्यालय में चारु मजूमदार की प्रतिमा स्थापित की. इस अवसर पर उनके जीवन और विचारों पर केंद्रित पुस्तक ‘चारु मजूमदार: द मैन ऐंड हिज लिगेसी’ का लोकार्पण भी हुआ.

भाकपा-माले, केंद्रीय कार्यालय ‘चारु भवन’ का उद्घाटन भाकपा-माले महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य ने किया. का. चारु मजूमदार की प्रतिमा का अनावरण पोलित ब्यूरो सदस्य का. स्वदेश भट्टाचार्य ने किया, जो चारु मजूमदार के तीसरे शहादत दिवस (28 जुलाई 1974) के मौके पर पुनर्गठित भाकपा-माले की केंद्रीय कमेटी के एकमात्र जीवित सदस्य हैं. चारु मजूमदार की इस प्रतिमा को पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के श्री बोधन हंसदा ने बनाया है.
इस अवसर पर का. चारु मजूमदार की बेटियां अनीता और मधुमिता और उनके पुत्र माले केंद्रीय कमेटी सदस्य अभिजीत मजूमदार मौजूद थे.
पार्टी के तमाम पोलित ब्यूरो और केंद्रीय कमेटी के सदस्य, नेपाल के कम्युनिस्ट पार्टी (एमाले) के केंद्रीय कमेटी के सदस्य का. देवी ज्ञवाली और गुरु बराल, लंदन के साउथ एशिया सॉलिडेरिटी ग्रुप की कल्पना विल्सन, पार्टी के कई वरिष्ठ नेता और केंद्रीय कमेटी के पूर्व सदस्य, जनसंगठनों के नेता तथा विभिन्न राज्यों के प्रमुख नेताओं ने का. चारु मजूमदार की प्रतिमा पर पुष्प अर्पण करके उन्हें श्रद्धांजलि दी.
हिरावल (पटना) और पश्चिम बंगो गण सांस्कृतिक परिषद के संस्कृतिकर्मियों ने शहीद गीत प्रस्तुत किए. चारु मजूमदार के शहादत दिवस पर दो मिनट का मौन रखकर उनके साथ भाकपा-माले के पहले केंद्रीय कमेटी के शहीद एवं दिवंगत सदस्य- का. सरोज दत्त, सुशीतल राय चैधरी, कानू सान्याल, नागभूषण पटनायक, अप्पू, वेम्पटपू सत्यनारायणा, आदिबाटला कैलाशम, अप्पलसूरी, शिवकुमार मिश्र और सोरेन बोस; नक्सलबाड़ी, श्रीकाकुलम एवं भोजपुर आंदोलन के पहले दौर के शहीद साथियों- पंचादि कृष्णमूर्ति, पंचादि निर्मला, सुब्बाराव पाणिग्रही, मास्टर जगदीश, रामेश्वर अहीर, बाबा भूजा सिंह, दया सिंह; पार्टी के पूर्व महासचिव का. जौहर (1975 में शहीद) और का. विनोद मिश्र (1998 में जिनका निधन हुआ); का. रामनरेश राम, का. महेंद्र सिंह समेत केंद्रीय कमेटी और अन्य मोर्चों पर शहीद एवं दिवंगत साथियों को श्रद्धांजलि दी गई.
लिबरेशन के संपादक अरिंदम सेन ने ‘चारु मजूमदार: द मैन ऐंड हिज लिगेसी’ की एक प्रति का. स्वदेश भट्टाचार्य को भेंट की और का. स्वदेश भट्टाचार्य ने इस पुस्तक का लोकार्पण किया. इस पुस्तक में का. चारु मजूमदार की जीवनी, उनकी बेटी अनीता की यादें तथा उनके परिवार के एलबम से ली गईं कई दुर्लभ तस्वीरें और उनके लेखों के कुछ अंश एवं उनके जीवन एवं विचारों के ऐतिहासिक संदर्भ और उनकी आज के दौर में प्रासंगिकता से संबंधित सामग्री हैं.
भाकपा-माले केंद्रीय कमेटी और का. चारु मजूमदार के परिवार की ओर से का. अभिजीत मजूमदार ने उपस्थित कामरेडों का अभिनंदन किया और उनकी क्रांतिकारी परंपरा को आगे बढ़ाने का आह्वान किया.
इस मौके पर कामरेडों को संबोधित करते हुए पार्टी महासचिव का़. दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि साठ और सत्तर के दशक में बर्बर राज्य दमन को झेलते हुए का. चारु मजूमदार और उनके साथियों ने देश के क्रांतिकारी वामपंथी आंदोलन में एक नई ऊर्जा का संचार किया था. आज के दौर में जब कांग्रेस सहित देश की तमाम शासकवर्गीय पार्टियों द्वारा भारत के लोकतंत्र और किसानों-मजदूरों के मानवीय अधिकारों पर निरंतर हमले हो रहे हैं, तब का. चारु मजूमदार की जो विरासत है, वह और भी ज्यादा प्रासंगिक हो जाती है. इस वक्त देश का वामपंथी आंदोलन भी एक बहस से गुजर रहा है. यूपीए-एनडीए द्वारा कायम लूट और दमन तंत्र के खिलाफ देश की जनता एक ताकतवर राजनीतिक विकल्प चाहती है. अफसोस है कि सीपीएम ने एक वामपंथी राजनीतिक विकल्प पेश करने के बजाए कांग्रेसपरस्ती की राह पर चलते हुए राष्ट्रपति चुनाव में प्रणब मुखर्जी का समर्थन कर दिया, जिसे लेकर खुद उनकी कतारों के भीतर भारी बहस मजबूत है. उनकी कतारों के भीतर से जो युवा कामरेड इस अवसरवाद के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं, उनका का. दीपंकर ने स्वागत किया.
उन्होंने उम्मीद जाहिर की कि आज के दौर में वामपंथी आंदोलन तमाम तरह के अवसरवाद से निर्मम संघर्ष चलाते हुए अपनी क्रांतिकारी विरासत को आगे बढ़ाएगा. उन्होंने कहा कि एक मजबूत क्रांतिकारी वामपंथी आंदोलन के जरिए देश की भ्रष्ट और लुटेरी व्यवस्था को बदलना ही चारु मजूमदार के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी.
का. चारु मजूमदार के शहादत दिवस पर आयोजित इस समारोह का समापन ‘इंटरनेशनल’ गीत के गायन से हुआ.

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