Skip to content
Hindi News, हिंदी समाचार, Samachar, Breaking News, Latest Khabar – Pratirodh

Hindi News, हिंदी समाचार, Samachar, Breaking News, Latest Khabar – Pratirodh

Primary Menu Hindi News, हिंदी समाचार, Samachar, Breaking News, Latest Khabar – Pratirodh

Hindi News, हिंदी समाचार, Samachar, Breaking News, Latest Khabar – Pratirodh

  • Home
  • Newswires
  • Politics & Society
  • The New Feudals
  • World View
  • Arts And Aesthetics
  • For The Record
  • About Us
  • Featured

कमज़ोर टीम के सहारे कैसे खेलेगी कांग्रेस

Oct 14, 2011 | मृगेंद्र पांडेय
छत्तीसगढ में प्रदेश कांग्रेस कमेटी का गठन अध्यक्ष नंदकुमार पटेल ने कर दिया. छोटी और सबको खुश करने वाली कार्यकारिणी बनाकर पटेल ने यह संकेत देने की कोशिश की कि वे किसी से टकराव लेने के मूड में नहीं हैं.
 
चुपचाप शांतिपूर्वक पूरे प्रदेश में पहले अपना जनाधार बनाया जाए फिर पूरी तरह से अपनी टीम बनाई जाए. यही कारण है कि पटेल की कार्यकारिणी में एक भी उनका आदमी नहीं है. उपाध्यक्ष और महासचिव में किसी भी नेता को पटेल का शार्गिद नहीं कहा जा सकता. 
 
तो क्या पटेल की यह कार्यकारिणी वरिष्ठ नेताओं के दबाव में बनाई गई कार्यकारिणी कही जाएगी. क्या पटेल बिना कोई रिश्क लिए प्रदेश अध्यक्ष बने रहना चाहते हैं. 
 
नंदकुमार की कार्यकारिणी पर 2013 में होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की नैया पार कराने का जिम्मा है. हो भी क्यों न. पिछले दो चुनाव में भाजपा ने विधानसभा में कांग्रेस को इस लायक भी नहीं छोडा कि वे अपने मुददों पर बहस करा सके.
 
इसके पीछे एक बड़ा कारण भाजपा कांग्रेस का आपसी समझौता हो सकता है, लेकिन नंदकुमार से प्रदेश के आम आदमी को भी उम्मीद थी. इस उम्मीद पर वे खरे नहीं उतरे हैं.
 
उनकी टीम में एक भी ऐसा चेहरा नहीं है, जो पार्टी का कद्दावर पालिटिकल फेस हो. जो कोई बड़ा आंदोलन करके जनाधार में परिवर्तन लाने का माद्दा रखता हो. जो भाजपा सरकार की ओर से बांटे जा रहे दो रुपए किलो चावल और पांच रुपए किलो चना की काट ला सके. तो फिर क्या विजन 2013 के ये महारथी कांग्रेस के रथ को डूबो देंगे.
 
जब तक नंदकुमार पटेल वरिष्ठ नेताओं के दबाव से बाहर नहीं आएंगे, तब तक वे प्रदेश में सुस्त पडी कांग्रेस में जान नहीं डाल सकते. 
 
इन्ही नेताओं के कारण पार्टी का बेड़ा गर्क हुआ है. अगर ये वरिष्ठ नेता इतने ही काबिल होते तो आदिवासी क्षेत्र, जो कभी कांग्रेस का गढ़ माना जाता था, वहां पार्टी को चार सीट निकालने के लिए संघर्ष नहीं करना पड़ता.
 
पटेल ने इससे पहले जिलाध्यक्षों की घोषणा में भी सभी नेताओं को साधने का प्रयास किया. बाकी जिलाध्यक्ष की घोषणा इसलिए नहीं हो पा रही है क्योंकि ये नेता अपने लोगों को बनाने के लिए दबाव बनाए हुए हैं. उपाध्यक्ष और महासचिव बनाने में पटेल ने विद्या भैया, जोगी, महंत और वोरा के बीच संतुलन साधा है. यह देखना दिलचस्प होगा कि चार गुटों में बंटी कांग्रेस में क्या पटेल कोई करिश्मा करके आने वाले समय में अपना कोई गुट बना पाते हैं. 
 
राज्य गठन के बाद से प्रदेश कांग्रेस में तीन अध्यक्ष ऐसे बने जो अपना कोई गुट नहीं बना पाए. रामानुजलाल यादव, धनेंद्र साहू और सत्यनारायण शर्मा. ये तीनों अध्यक्ष अपने क्षेत्र में ही सिमट कर रहे गए. प्रदेश स्तर पर न तो उनकी टीम तैयार हुई, न ही उन लोगों ने कोई टीम बनाने के लिए संघर्ष ही किया. 
 
इसका परिणाम यह हुआ कि लंबे समय से जो चार गुट प्रदेश में चले आ रहे थे, वहीं बरकरार रहे. 
 
श्यामचरण शुक्ल की मौत के बाद उनके बेटे अमितेश शुक्ला विधायक तो बन गए, लेकिन अपने पिता की वसीयत को संभाल नहीं पाए. 
 
अब नंदकुमार पटेल के सामने भी यही संकट है. इस संकट को पटेल शुरुआती दिनों में ही पहचान लेंगे तो अपना कार्यकाल पूरा करते-करते प्रदेश स्तर के नेता और प्रदेश स्तर की अपनी टीम बनाने में जरुर सफल हो जाएंगे.
 
छत्तीसगढ कांग्रेस में संक्रमण काल का दौर है. एक पीढी कांग्रेस से दूर हो रही है. मोतीलाल वोरा, विद्याचरण शुक्ला, अजीत जोगी और सत्यनारायण शुक्ला अब सक्रिय राजनीति के लिए पूरी तरह फिट नहीं रह गए.
 
अब नए सिरे से कांग्रेस की राजनीति तय करने की जरुरत है. नंदकुमार पटेल पर अगले 20 साल को देखते हुए कार्यकारिणी का गठन करने की जिम्मेदारी थी.
 
जिन लोगों को पटेल ने अपनी कार्यकारिणी में तवज्जो दिया है, वह इस कार्यकारिणी में तो पटेल के साथ चल सकते हैं, लेकिन कांग्रेस की नैया पार करने में कारगर नहीं होंगे. 
 
पटेल ने सात उपाध्यक्ष को अपनी टीम में शामिल किया है, इसमें से हंसराज भारद्वाज, केके गुप्ता, प्रदीप चौबे, पुष्पा देवी सिंह, टीएस सिंहदेव वरिष्ठ तो हैं, लेकिन अपने क्षेत्र के बाहर कोई खासा जनाधार नहीं है. प्रदीप चौबे तो कई चुनाव भी हार चुके हैं. इनसे कांग्रेस अगर कोई उम्मीद करती है, तो वह अपने साथ ही धोखा करेगी.
 
पटेल ने 11 महासचिव बनाए. इसमें से देवव्रत सिंह को छोड़कर कोई भी नेता प्रदेशस्तरीय जनाधार वाला नहीं है. देवव्रत इससे पहले युवक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं, इसलिए उनकी प्रदेश के युवा नेताओं में ठीक-ठाक पकड़ है.
 
रायपुर से रमेश वल्यानी, सुभाष शर्मा और विधान मिश्रा को महासचिव बनाया गया है. ये तीनों नेता राजधानी की किसी भी विधानसभा सीट से चुनाव जीतने की स्थिति में नहीं हैं. 
 
सुभाष शर्मा और विधान मिश्रा पर दूसरे तरह के भी कई आरोप हैं. अरुण वोरा, भूपेश बघेल, फुलोदेवी नेताम, पदमा मनहर और चंद्रभान बरुमते भी प्रदेश स्तर पर कोई खास पकड़ नहीं रखते हैं. 
 
अरुण वोरा दो बार चुनाव हार चुके हैं. मोतीलाल वोरा के बेटे होने के अलावा उनमें राजनीतिक पकड़ कोई खास नहीं है. शिव डहरिया आदिवासी नेता हैं और अजीत जोगी के करीबी हैं. इसके कारण इनको जगह मिली है. 
 

कुल मिलाकर कांग्रेस की यह भविष्य की टीम कुछ खास करामात दिखा पाएगी, यह कह पाना मुश्किल है. राजनीतिक पंडित भी यह कह रहे हैं कि कांग्रेस में कोई चमत्कार ही रमन के रणबांकुरो को धूल चटा पाएगा. 

Continue Reading

Previous प्रशांत भूषण पर हमला करने वाला कौन..?
Next ये तो पहली झांकी है, मथुरा-काशी बाकी है

More Stories

  • Featured

‘PM Modi Wants Youth Busy Making Reels, Not Asking Questions’

8 hours ago Pratirodh Bureau
  • Featured

How Warming Temperature & Humidity Expand Dengue’s Reach

12 hours ago Pratirodh Bureau
  • Featured

India’s Tryst With Strategic Experimentation

12 hours ago Pratirodh Bureau

Recent Posts

  • ‘PM Modi Wants Youth Busy Making Reels, Not Asking Questions’
  • How Warming Temperature & Humidity Expand Dengue’s Reach
  • India’s Tryst With Strategic Experimentation
  • ‘Umar Khalid Is Completely Innocent, Victim Of Grave Injustice’
  • Climate Justice Is No Longer An Aspiration But A Legal Duty
  • Local Economies In Odisha Hit By Closure Of Thermal Power Plants
  • Kharge Calls For Ban On RSS, Accuses Modi Of Insulting Patel’s Legacy
  • ‘My Gender Is Like An Empty Lot’ − The People Who Reject Gender Labels
  • The Environmental Cost Of A Tunnel Road
  • Congress Slams Modi Govt’s Labour Policy For Manusmriti Reference
  • How Excess Rains And Poor Wastewater Mgmt Send Microplastics Into City Lakes
  • The Rise And Fall Of Globalisation: Battle To Be Top Dog
  • Interview: In Meghalaya, Conserving Caves By Means Of Ecotourism
  • The Monster Of Misogyny Continues To Harass, Stalk, Assault Women In India
  • AI Is Changing Who Gets Hired – Which Skills Will Keep You Employed?
  • India’s Farm Policies Behind Bad Air, Unhealthy Diet, Water Crisis
  • Why This Darjeeling Town Is Getting Known As “A Leopard’s Trail”
  • Street Vendors Struggle With Rising Temps
  • SC Denies Two-Week Extension In Umar Khalid, Sharjeel Imam Bail Pleas
  • Hydrocarbon Exploration In TN Sparks Protests From Fishers And Farmers

Search

Main Links

  • Home
  • Newswires
  • Politics & Society
  • The New Feudals
  • World View
  • Arts And Aesthetics
  • For The Record
  • About Us

Related Stroy

  • Featured

‘PM Modi Wants Youth Busy Making Reels, Not Asking Questions’

8 hours ago Pratirodh Bureau
  • Featured

How Warming Temperature & Humidity Expand Dengue’s Reach

12 hours ago Pratirodh Bureau
  • Featured

India’s Tryst With Strategic Experimentation

12 hours ago Pratirodh Bureau
  • Featured

‘Umar Khalid Is Completely Innocent, Victim Of Grave Injustice’

1 day ago Pratirodh Bureau
  • Featured

Climate Justice Is No Longer An Aspiration But A Legal Duty

2 days ago Pratirodh Bureau

Recent Posts

  • ‘PM Modi Wants Youth Busy Making Reels, Not Asking Questions’
  • How Warming Temperature & Humidity Expand Dengue’s Reach
  • India’s Tryst With Strategic Experimentation
  • ‘Umar Khalid Is Completely Innocent, Victim Of Grave Injustice’
  • Climate Justice Is No Longer An Aspiration But A Legal Duty
Copyright © All rights reserved. | CoverNews by AF themes.