\’कब घर वापस लौटेगी मेरी बिटिया\’

राजस्थान के नागौर जिले की जायल तहसील में एक छोटा सा गाँव है बुगरडा. रामलाल बनबावरी इसी गाँव में अपने परिवार के साथ रहता है. वो खुद भट्टे पर काम करता है और कुछ खेती-बाड़ी भी है. कुल मिला कर खाने भर का हो जाता है. पूरा परिवार इसी में खुश था.

बीती 26 जुलाई को रामलाल जब भट्टे पर काम कर रहा था तब प्रेमाराम, मांडूराम, राजेश और उसके साथी उसकी बिटिया किरण को अगवा कर के ले गए. किरण अभी महज़ 15 साल की किशोरी है. पिछले 1 महीने से उसकी बिटिया का कोई पता नहीं है. इस एक महीने में रामलाल एस.पी. और कलेक्टर को तीन बार ज्ञापन दे चुका है, पर कोई परिणाम सामने नहीं आया है. रामलाल और किसान महासभा के उसके साथी पिछले तीन दिन से जिला मुख्यालय पर धरना दे रहे हैं.
मेरा मकसद किसी किस्म की सनसनी पैदा करने वाली अपराध रिपोर्ट लिखना नहीं है. मैं वो काम कर भी नहीं सकता. आज मेरी मुलाकात रामलाल से हुई. उनकी आंखे रो-रो कर फूल चुकी हैं. बड़ी बेबसी से उन्होंने मुझसे कहा कि “उनका गरीब होना सबसे बड़ा जुर्म है. इसी वजह से कोई सुनवाई नहीं हो रही”. भट्टे पर काम करने वाले रामलाल बताते हैं की पुलिस ने दबिश देने के लिए जिन गाड़ियों का इस्तेमाल किया उनके लिए पैसे उन्हें अदा करने पड़े. इसके आगे वो कहते हैं की दो बार वो पुलिस को लड़की और अपराधियों के बारे में पुख्ता सूचना दे चुके है पर पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की. यहाँ तक की उसने एस.आई. को अपनी पुत्री को अपराधियों द्वारा ले जाते हुए दिखा दिया. और इसका जबाब यह मिला की “इन्हें अभी आगे रोकते है.“ इसके बाद अपराधी आराम से पुलिस के सामने से ही फरार हो गए.
नागौर में किशोरियों के अपहरण की वारदात लगातार बढ़ी है. लेकिन नागौर पुलिस ने इन वारदातों में तेजी से काम कर वाह-वाही बटोरी. दूसरी वारदातों और इस वारदात में फर्क सिर्फ इतना है की रामलाल अनुसुचिन जनजाति से है. गौरतलब है की जायल तहसील से विधायक मंजू मेघवाल खुद दलित हैं और राज्य सरकार में महिला और बाल विकास मंत्री हैं. बहरहाल रामलाल को अब भी अपनी बिटिया का इंतज़ार है. वो और उसके कोमरेड लाल झंडे के नीचे अब भी कलेक्ट्रेट के सामने धरना दे रहे हैं. इंसाफ के लिए लड़ाई अब भी जारी है.

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