Skip to content
Hindi News, हिंदी समाचार, Samachar, Breaking News, Latest Khabar – Pratirodh

Hindi News, हिंदी समाचार, Samachar, Breaking News, Latest Khabar – Pratirodh

Primary Menu Hindi News, हिंदी समाचार, Samachar, Breaking News, Latest Khabar – Pratirodh

Hindi News, हिंदी समाचार, Samachar, Breaking News, Latest Khabar – Pratirodh

  • Home
  • Newswires
  • Politics & Society
  • The New Feudals
  • World View
  • Arts And Aesthetics
  • For The Record
  • About Us
  • Featured

अन्ना-रामदेव, संघ और भ्रष्टाचार विरोध

Aug 30, 2012 | अंजनी कुमार

नोट: यह खबर इंडियन एक्सप्रेस में 20 अगस्त 2012 को मुख्य पृष्ठ पर छपी. इस खबर को उस समय लाया गया जब अन्ना की विदाई खुद अन्ना ने ही तय कर दी और बाबा रामदेव चूहे की पूंछ की तरह हिलते हुए इस आंदोलन के जीवित रहने का संकेत दे रहे थे. सच्चाई सबको मालूम थी कि रामलीला मैदान में चल रहा उठा पटक कब का खत्म हो चुका है. वर्ष 2014 की तैयारी में इस उठा पटक की जरूरत ही नहीं रह गई थी. यह जो हुआ सिर्फ धींगा मुश्ती नहीं था. यह देश की सत्ता पर काबिज होने की खूनी खेल के प्रयोग की एक नई पृष्ठभूमि थी. यह 1990 के बाद उभरकर आए ब्यूरोक्रेटों और नव-जमींदारों का फासीवादी प्रयोग था जिसका पाठ आए दिनों में और भी अधिक खूनी और राजनीतिक तौर पर और अधिक जनद्रोही होगा. यह देश के प्रशासनिक, न्यायिक और राजनीति संरचना के पुनर्गठन के एक प्रस्ताव का देशव्यापी प्रयोग था जिससे ‘देश के प्रगतिशील दिमाग’ को और अधिक चौड़ाकर फासीवादी घोड़े को पूरी रफ्तार से दौड़ाया जा सके.

 
इस खबर में जिस विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन का जिक्र है उसने नेपाल के वर्तमान प्रधानमंत्री बाबूराम भट्टाराई की भारत यात्रा का 2010 में खर्च वहन किया था. इस काम को संगठित कराने में कश्मीर से लेकर माओवाद पर अपनी पकड़ बनाने का दावा करने वाले एक वामपंथी पत्रकार ने सक्रिय भूमिका का निर्वाह किया, इस बात की चर्चा उस समय हुई थी. साथ ही एक अन्य वामपंथी पत्रकार ने इस मुद्दे पर बाबूराम को चेताया भी था. उस यात्रा में वामपंथी मंचों से अपनी साम्राज्यवाद परस्त लाइन को खूब रखा. प्रचंड व बाबूराम जी के नेतृत्व में सीपीएन-माओवादी ने नेपाल में राजशाही के खिलाफ चल रहे जनयुद्ध के समय-2002 में ‘अंतरराष्ट्रीय पटल पर हो रही बेइज्जती’ को ठीक करने के लिए यूरोप व अमेरीका से अपील किया था. यह पत्र भारत के लिए भी था. खुला भी और हाथों हाथ पहुंचाने का भी. जिसे एसडी मुनी ने अभी हाल ही में खुलासा किया. बहरहाल प्रो. एसडी मुनी के माध्यम से उस समय भारत की केंद्र में बैठी भाजपा की सरकार के साथ संपर्क साधकर अपने बारे में बनी धारणा को ठीक करने का आग्रह किया गया था. यह पिछले दिनों अखबार की सुर्खियों में बना रहा. शायद इस कारण भी कि इस आग्रह व संपर्क के बाद सीपीएन माओवादी के नेतृत्व का भारत सरकार के अंदरूनी हिस्सों से रिश्ता मजबूत बनता गया और बाद में एक दूसरे पर रॉ का ऐजेंट होने का आरोप प्रत्यारोप भी चला. यहां यह बताने की जरूरत नहीं कि सबसे अधिक इस तरह के आरोप बाबूराम भट्टाराई पर ही लगे. यह एकीकृत सीपीएन-माओवादी पार्टी में विवाद और आलोचना-आत्मालोचना का एक महत्वपूर्ण मुद्दा भी बना.
 
बहरहाल आइए, द इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर को पढ़ें:
 
********
 
सी जी मनोज, नई दिल्ली, 19 अगस्त: नई दिल्ली के कूटनीति का हृदयस्थल माना जाने वाला इलाका चाण्यक्यपुरी में एक आला दर्जे का एक संस्थान जो थिंकटैंक भी है, स्थित है. इसके लिए जमीन नरसिम्हाराव की सरकार ने मुहैया करवाया. इस पर भूतपूर्व गुप्तचर अधिकारी और आर एस एस के प्रसिद्ध स्वयंसेवकों का एक समूह की पकड़ है. ये हाल के देश में भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन, खासकर बाबा रामदेव के नेतृत्व वाले आंदोलन के पीछे काम करने वाली गुपचुप ताकतें हैं.
 
वास्तव में यह विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन ही था जहां बाबा रामदेव के नेतृत्व में भ्रष्टाचार विरोधी मोर्चा बनाने का निर्णय लिया गया. यह अन्ना हजारे के पहले भूख हड़ताल पर बैठने के एक दिन पहले की बात है. इस फाउंडेशन के निदेशक अजीत डोभाल हैं. ये इंटलिजेंस के भूतपूर्व निदेशक हैं. यह फाउंडेशन ही था जिसने रामदेव और टीम अन्ना के सदस्यों को एक साथ लाने का पहली बार गंभीर  प्रयास किया.
 
विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन का उद्घाटन 2009 में हुआ. यह 1970 के शुरुआती दिनों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के भूतपूर्व महासचिव एकनाथ रानाडे और इसी के प्रचारक पी परमेश्वरन की अध्यक्षता में स्थापित विवेकानंद की ही एक परियोजना है.
 
पिछले साल के अप्रैल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चिंतक केएन गोविंदाचार्य के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन और फाउंडेशन ने मिलकर भ्रष्टाचार व ब्लैक मनी पर सेमिनार किया. इसमें रामदेव व टीम अन्ना के सदस्य अरविंद केजरीवाल व किरन बेदी ने हिस्सा लिया.
 
1 व 2 अप्रैल को दो दिवसीय इस सेमिनार के अंत में ‘भ्रष्टाचार विरोधी मोर्चा’ बनाया गया. इसके संरक्षक बने रामदेव और गोविंदाचार्य बने संयोजक. इसमें डोभाल के साथ अन्य सदस्य थे: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एस गुरुमुर्ति, एनडीए सरकार में भारत के राजदूत का प्रभार संभालने वाले भीष्म अग्निहोत्री, प्रोफेसर आर वैद्यनाथन, जो इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ बेंगलोर में हैं और भाजपा के ब्लैक मनी पर बने टास्क फोर्स के अजीत डोभाल व वेद प्रताप वैदिक के साथ हिस्सा हैं.
 
इस दो दिवसीय सेमिनार के अंत में जारी किये गए पत्र में यह बताया गया कि रामदेव ने ‘भ्रष्टाचार के खिलाफ चैतरफा युद्ध करने और तत्काल ही यह मोर्चा लोगों का ध्यान खींचने वाला एक्शन कार्यक्रम व समानधर्मा भ्रष्टाचार विरोधी संगठन, संस्थान और व्यक्तियों तक पहुंचने के कार्यक्रम की’ घोषणा किया. 
इस सेमिनार के तुरंत बाद ही हजारे का भूख हड़ताल शुरु हो गया. और अप्रैल के अंत में रामदेव ने अपना रामलीला मैदान में 4 जून से विरोध कार्यक्रम की घोषणा कर दिया. यह यूपीए सरकार के खिलाफ पहला सार्वजनिक प्रदर्शन था.
 
इस सच्चाई के बावजूद कि यह संस्थान सरकार द्वारा दिये गये जमीन पर है,  इस फाउंडेशन के सलाहकार बोर्ड में भूतपूर्व गुप्तचर विभाग के अधिकारी, रिटायर हुए प्रशासक, कूटनीतिज्ञ और सेवानिवृत्त सेना के लोग बैठते हैं. इसमें रॉ के भूतपूर्व मुखिया एके वर्मा, भूतपूर्व सेना प्रमुख विजय सिंह शेखावत, भूतपूर्व वायुसेना प्रमुख एस कृष्णास्वामी व एसपी त्यागी, भूतपूर्व सीमा सेना बल के प्रमुख प्रकाश सिंह, भूतपूर्व विदेश सचिव कनवाल सिब्बल, भूतपूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा उप सलाहकार सतीश चंद्रा और भूतपूर्व गृह सचिव अनिल बैजल शामिल हैं.
 
उक्त सेमिनार के बारे में पूछने पर डोभाज ने बताया कि यह मुद्दा राष्ट्रीय महत्व का है. और इसमें बहुत से लोगों के साथ सुब्रह्णयम स्वामी, न्यायमूर्ति एमएन वेंकेटचेलैया, न्यायमूर्ति जेएस वर्मा, भूतपूर्व लोकसभा मुख्य सचिव सुभाष कश्यप और भूतपूर्व मुख्य चुनाव कमिश्नर एन गोपालस्वामी भी शामिल हुए थे.
 
यद्यपि डोभाल इन बातों के साथ कि वह भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलनों को समर्थन देते हैं, यह भी कहा कि विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन का इन विरोध प्रदर्शनों में कोई भूमिका नहीं है. उनके अनुसार ‘हम इस बात को शिद्दत से महसूस करते हैं कि यह समय है जब मजबूत स्थिर सुरक्षित और विकासमान भारत दुनिया के मामलों में तय हुए चुके नियति में अपनी भूमिका का निर्वाह करे और राष्ट्रों के सौहार्द में अपने आकांक्षित स्थान को हासिल करे. भ्रष्टाचार और ब्लैक मनी भारत को बर्बाद कर रहे हैं. हम लोगों को इस मुद्दे पर आत्मरक्षात्मक होने की जरूरत नहीं है.’
 
रामदेव और अन्ना के अलावा भी एक और शख्स थे जिन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ एक मोर्चा गठित करने का ऐलान किया. वह थे स्वामी जिन्होंने भारत में भ्रष्टाचार विरोधी एक्शन कमेटी बनाया. हालांकि इस कमेटी की पहली बैठक में मुख्य अतिथि थे रामदेव और गोविंदाचार्य, गुरुमुर्ति, डोभाल और बैद्यनाथन भी यहां उपस्थित थे.
 
गोविंदाचार्य से फाउंडेशन के रिश्ते के बारे में पूछने पर गोविंदाचार्य ने यह बताया कि वह ‘बहुधा आते ही रहने वालों’ में हैं. ‘रामदेव और मैं अगस्त 2010 से लगातार एक दूसरे से संपर्क में हैं (रामदेव दिसंबर 2010 में गुलबर्ग गए थे और गोविंदाचार्य के भारत विकास संगम में हिस्सा लिया था). वह अक्सर विवेकानंद फाउंडेशन में आते हैं. उनके लिए दिल्ली में ऐसे तो कुछ जगहें हैं पर फाउंडेशन आना उनके लिए सबसे आसान है और दूसरों के लिए भी यहां एक दूसरे से मिलना आसान है.’’
 
गोविंदाचार्य ने यह भी स्वीकार किया कि सेमिनार रामदेव और अन्ना कैंप को साथ लाने में ‘कुछ हद तक नजदीकी संचालन का काम’ करेगा, यह भी उम्मीद की गई थी. 
 
संघ चिंतक ने इस सूत्रबद्धता को किसी भी तरह से नकारा नहीं. यह पूछने पर कि इससे तो यह बात बनना तय है कि विवेकानंद केंद्र और फाउंडेशन आरएसएस से जुड़े हुए हैं, उन्होंने कहा, ‘कोई इस हद तक पहुंच सकता है. सांगठिन तौर पर आर एस एस इसमें शामिल नहीं होता है. स्वयं सेवक ही पहलकदमी लेते हैं.’ 
 
हालांकि डोभाल के अनुसार फाउंडेशन स्वतंत्र है और इसका आरएसएस से कोई संबंध नहीं है.‘हमारी उनके(रामदेव) के आंदोलन में कोई भूमिका नहीं है. हममें से वहां कोई गया भी नहीं. यह स्वतंत्र और पंजीकृत ईकाई है. हम लोग सरकारी फंड नहीं लेते हैं.’
 
मुकुल कनिक्तर जो पहले इस फाउंडेशन से जुड़े हुए थे, ने बताया कि फाउंडेशन द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर आयोजित सेमिनारों में प्रशासकीय अधिकारी व साथ ही प्रधानमंत्री ऑफिस के अधिकारी भी भागीदरी करते रहते हैं. सच्चाई तो यह है कि इसी हफ्ते फाउंडेशन में केंद्रीय संस्कृति मंत्री कुमारी शैलजा ‘द हिस्टोरिसीटी ऑफ वैदिक एंड रामायना एरा: साइंटिफिक एविडेंस फ्रॉम द डेप्थ ऑफ ओसियन टू द हाइट ऑफ स्काई’ नामक पुस्तक का विमोचन करने वाली हैं.
 
रामदेव के अभियान के साथ अपने जुड़ाव के बावजूद गोविंदाचार्य यह महसूस करते हैं यह आंदोलन अब खत्म हो चुका है. उन्होंने कहा कि ‘दोनों (अन्ना और रामदेव) का आंदोलन सत्ता और पार्टी राजनीति के ब्लैक होल में घुस कर खत्म हो गया ……रामदेव अब भाजपा के ऐजेंडों को आगे बढ़ाने वाला या उसका हिस्सेदार बन गए हैं.’

Continue Reading

Previous आखिर निकहत से मिलने से क्यों डरते हैं नीतीश
Next Coalgate: Collision to Collusion

More Stories

  • Featured

Zohran Mamdani’s Last Name Reflects Eons Of Migration And Cultural Exchange

50 mins ago Pratirodh Bureau
  • Featured

What Makes The Indian Women’s Cricket World Cup Win Epochal

7 hours ago Shalini
  • Featured

Dealing With Discrimination In India’s Pvt Unis

9 hours ago Pratirodh Bureau

Recent Posts

  • Zohran Mamdani’s Last Name Reflects Eons Of Migration And Cultural Exchange
  • What Makes The Indian Women’s Cricket World Cup Win Epochal
  • Dealing With Discrimination In India’s Pvt Unis
  • ‘PM Modi Wants Youth Busy Making Reels, Not Asking Questions’
  • How Warming Temperature & Humidity Expand Dengue’s Reach
  • India’s Tryst With Strategic Experimentation
  • ‘Umar Khalid Is Completely Innocent, Victim Of Grave Injustice’
  • Climate Justice Is No Longer An Aspiration But A Legal Duty
  • Local Economies In Odisha Hit By Closure Of Thermal Power Plants
  • Kharge Calls For Ban On RSS, Accuses Modi Of Insulting Patel’s Legacy
  • ‘My Gender Is Like An Empty Lot’ − The People Who Reject Gender Labels
  • The Environmental Cost Of A Tunnel Road
  • Congress Slams Modi Govt’s Labour Policy For Manusmriti Reference
  • How Excess Rains And Poor Wastewater Mgmt Send Microplastics Into City Lakes
  • The Rise And Fall Of Globalisation: Battle To Be Top Dog
  • Interview: In Meghalaya, Conserving Caves By Means Of Ecotourism
  • The Monster Of Misogyny Continues To Harass, Stalk, Assault Women In India
  • AI Is Changing Who Gets Hired – Which Skills Will Keep You Employed?
  • India’s Farm Policies Behind Bad Air, Unhealthy Diet, Water Crisis
  • Why This Darjeeling Town Is Getting Known As “A Leopard’s Trail”

Search

Main Links

  • Home
  • Newswires
  • Politics & Society
  • The New Feudals
  • World View
  • Arts And Aesthetics
  • For The Record
  • About Us

Related Stroy

  • Featured

Zohran Mamdani’s Last Name Reflects Eons Of Migration And Cultural Exchange

50 mins ago Pratirodh Bureau
  • Featured

What Makes The Indian Women’s Cricket World Cup Win Epochal

7 hours ago Shalini
  • Featured

Dealing With Discrimination In India’s Pvt Unis

9 hours ago Pratirodh Bureau
  • Featured

‘PM Modi Wants Youth Busy Making Reels, Not Asking Questions’

1 day ago Pratirodh Bureau
  • Featured

How Warming Temperature & Humidity Expand Dengue’s Reach

1 day ago Pratirodh Bureau

Recent Posts

  • Zohran Mamdani’s Last Name Reflects Eons Of Migration And Cultural Exchange
  • What Makes The Indian Women’s Cricket World Cup Win Epochal
  • Dealing With Discrimination In India’s Pvt Unis
  • ‘PM Modi Wants Youth Busy Making Reels, Not Asking Questions’
  • How Warming Temperature & Humidity Expand Dengue’s Reach
Copyright © All rights reserved. | CoverNews by AF themes.