साहित्य और पत्रकारिता की दूरी बढ़ी है: मंगलेश डबराल

गांधी शांति प्रतिष्ठान के सभागार में कवि, चित्रकार और दूरदर्शन के मशहूर प्रोड्यूसर कुबेर दत्त की याद में जन संस्कृति मंच की ओर से एक आयोजन किया गया. आयोजन की शुरुआत कुबेर जी की जीवनसंगिनी कमलिनी दत्त द्वारा उनके जीवन और रचनाकर्म पर केंद्रित वीडियो की प्रस्तुति से हुई. उन्होंने कहा कि कुबेर के बारे में बोलना मेरे लिए सबसे ज्यादा मुश्किल है, उतना ही जितना एक तूफान को मुट्ठी में बंद करना. कुबेर की विचारधारा के प्रति निष्ठा उनके सभी कार्यकलापों का दिशानिर्देश करती थी. वे इस हद तक निडर थे जिस हद तक किसी सरकारी कर्मचारी के लिए होना संभव नहीं था. वे इस संबंध में स्पष्ट विचार रखते थे कि कार्यक्रम दर्शकों के लिए बनता है, सरकार या अधिकारियों के लिए नहीं.

‘साहित्य और जनमाध्यम’ विषय पर प्रथम कुबेर दत्त स्मृति व्याख्यान देते हुए कवि मंगलेश डबराल ने कहा कि आज सूचनाओं की बमबारी ज्यादा हो रही है, संवाद कम हो रहा है. दैनिक अखबार भी उत्पाद में बदल गए हैं और टीवी की नकल कर रहे हैं. टीवी का मूल स्वभाव मनोरंजन हो गया है. राजनीति भी यहां मनोरंजन बन जाती है. अब गरीबी हटाओ की जगह अमीरी बढ़ाओ उसका नया नारा हो गया है. भूमंडलीकरण के बाद साहित्य और पत्रकारिता के बीच दूरी बढ़ी है.
आयोजन के तीसरे खंड ‘कुबेर की दुनिया’ पर बोलते हुए हिंदी के वरिष्ठ आलोचक विश्वनाथ त्रिपाठी ने कहा कि कुबेर ने अपने काम के जरिए यह दिखाया कि एक प्रतिबद्ध संस्कृतिकर्मी के लिए काम करने का स्पेस हर जगह है. हमें कुबेर दत्त और कमलिनी दत्त दोनों की कला साधना पर विचार करना चाहिए. संस्कृति की दुनिया में ऐसा कोई दूसरा दंपत्ति दिखाई नहीं देता. जनवादी लेखक संघ के महासचिव मुरली मनोहर प्रसाद सिंह ने कहा कि कुबेर दत्त दूरदर्शन मे केवल वेतनभोगी कर्मचारी की तरह काम नहीं कर रहे थे. दूरदर्शन को उन्होंने जनवादी विचार और साहित्य-संस्कृति का माध्यम बनाया. केदारनाथ अग्रवाल की कविता पंक्तियों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि मैंने उसको जब-जब देखा, गोली जैसा चलता देखा.
अपने पिता को अत्यंत मर्मस्पर्शी ढंग से याद करते हुए युवा नृत्यांगना पुरवा धनश्री ने कहा कि उन्होंने सिखाया कि हर इंसान चाहे वह किसी भी धर्म, जाति, प्रांत, भाषा, संस्कृति से हो, यूनिक है और इंसानियत, प्यार, श्रद्धा सबसे बड़ा धर्म है.
कवि राम कुमार कृषक ने कहा कि वे प्रगतिशील जनवादी मूल्यों के समर्थक थे. कबीर से लेकर भगतसिंह तक भारतीयता की जो परंपरा बनती है, वे खुद को उससे जोड़ते थे. कवि मदन कश्यप ने कहा कि सिर्फ अपनी ही नहीं, बल्कि सामूहिक सृजनात्मकता और विचार के लिए उन्होंने कैरियर को हमेशा दांव पर रखा. उनकी चिंताएं बड़ी थीं. चित्रकार हरिपाल त्यागी ने कहा कि किसी को याद करना दरअसल उसे दुबारा खोजना होता है. जिस उम्र में लोग चित्रकला बंद कर देते हैं, उस उम्र में कुबेर ने चित्रकला शुरू किया. कवि चंद्रभूषण ने कहा कि वे नौजवानों की तरह निश्छल और निष्कवच थे. उन्हीं की कविता के हवाले से कहा जाए तो भारत का जो जनसमुद्र है, उसकी सांस हैं उनकी कविताएं, जो उसकी तकलीफ को झेलते हुए लिखी गई है. श्याम सुशील ने कहा कि कुबेर दत्त मीडियाकर्मी और लेखक की भूमिकाओं को अलग-अलग नहीं मानते थे. श्याम सुशील ने रमेश आजाद द्वारा कुबेर दत्त पर लिखित कविता- कुबेर दत्त की रंगशाला से का पाठ भी किया. कुबेर दत्त के छोटे भाई सोमदत्त शर्मा ने उन पर केंद्रित अपनी कविता के जरिए उन्हें बड़े भावविह्वल अंदाज में याद किया.
आयोजन के संचालक सुधीर सुमन ने कहा कि कुबेर दत्त अंधेरे के भीतर जिस रोशनी की आहट सुनने की बात करते थे, उन आहटों को सुनना, उन्हें अपनी रचनाओं में दर्ज करना और बेहिचक दमनकारी शासक संस्कृति व राजनीति के खिलाफ खड़ा होना आज भी बेहद जरूरी है. सभागार में कुबेर दत्त की कविता और पेंटिंग से बनाए गए पोस्टर भी लगाए गए थे. ये पोस्टर कुबेर दत्त की खूबसूरत लिखावट, कविता में मौजूद वैचारिक फिक्र और प्रभावी चित्रकारी की बानगी थे.
प्रो. चमनलाल, रेखा अवस्थी, बलदेव वंशी, अशोक भौमिक, अचला शर्मा, प्रणय कृष्ण, आशुतोष, रंजीत वर्मा, शैलेंद्र चैहान, भगवानदास मोरवाल, सतीश सागर, भूपेन, रोहित जोशी, रमेश आजाद, कुमार मुकुल, स्वतंत्र मिश्र, प्रभात कुमार, मीरा जी, अवधेश, क्वीनी ठाकुर, पुरुषोत्तम नारायण सिंह, ब्रजमोहन शर्मा, मार्तण्ड, कमला श्रीनिवासन, वासुदेवन अयंगार, रोहित कौशिक, सुरुचि, रविप्रकाश, सौरभ, दिनेश और नीरज आदि कई साहित्यकार, संस्कृतिकर्मी, मीडियाकर्मी, राजनीतिक कार्यकर्ता और छात्र इस आयोजन में मौजूद थे.

Recent Posts

  • Featured

A New World Order Is Here And This Is What It Looks Like

On Sept. 3, 2025, China celebrated the 80th anniversary of its victory over Japan by staging a carefully choreographed event…

2 days ago
  • Featured

11 Yrs After Fatal Floods, Kashmir Is Hit Again And Remains Unprepared

Since August 20, Jammu and Kashmir has been lashed by intermittent rainfall. Flash floods and landslides in the Jammu region…

2 days ago
  • Featured

A Beloved ‘Tree Of Life’ Is Vanishing From An Already Scarce Desert

The social, economic and cultural importance of the khejri tree in the Thar desert has earned it the title of…

2 days ago
  • Featured

Congress Labels PM Modi’s Ode To RSS Chief Bhagwat ‘Over-The-Top’

On Thursday, 11 September, the Congress party launched a sharp critique of Prime Minister Narendra Modi’s recent tribute to Rashtriya…

3 days ago
  • Featured

Renewable Energy Promotion Boosts Learning In Remote Island Schools

Solar panels provide reliable power supply to Assam’s island schools where grid power is hard to reach. With the help…

3 days ago
  • Featured

Are Cloudbursts A Scapegoat For Floods?

August was a particularly difficult month for the Indian Himalayan states of Uttarakhand, Himachal Pradesh and Jammu and Kashmir. Multiple…

3 days ago

This website uses cookies.